Saturday, November 23, 2024
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भगवान के लिए किसी स्थान विशेष की जरूरत नहीं: मद्रास हाईकोर्ट ने मंदिर की याचिका खारिज की, सार्वजनिक जमीन पर निर्माण को बताया अवैध

हाईकोर्ट तमिलनाडु के राज्य हाइवे विभाग ने मंदिर को हटाने के लिए नोटिस दिया था। इसके बाद इस नोटिस को रद्द करने के लिए मंदिर के ट्रस्टी हाईकोर्ट गए। याचिकाकर्ता ने कहा कि मंदिर 30 साल पुराना है और इसके कारण लोगों और वाहनों की आवाजाही में किसी तरह की समस्या भी नहीं उत्पन्न होती।

मद्रास हाईकोर्ट (Madras High Court) ने शुक्रवार (28 नवंबर 2022) को सार्वजनिक जमीन पर बनाई गई मंदिर को हटाने पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि ईश्वर तो सर्वव्यापी हैं और उनकी दैवीय उपस्थिति के लिए किसी विशेष स्थान की आवश्यकता नहीं है। कोर्ट ने कहा कि यही कट्टरता धर्म के नाम पर लोगों के बीच दीवार पैदा करने वाली सारी समस्याओं की जड़ है।

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस एस वैद्यनाथन और जस्टिस डी भारत चक्रवर्ती की खंडपीठ ने मंदिर के ट्रस्टी द्वारा दी गई याचिका को खारिज करते हुए कहा कि हाइवे बनाने का उद्देश्य लोगों को सहूलियत देना है और इसमें सभी धर्म और जाति के लोग शामिल हैं। खंडपीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता मंदिर बनाने की आड़ में सार्वजनिक संपत्ति को नहीं हड़प सकता।

अदालत ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता विनयगर की पूजा करने और अपने भक्तों को सुविधा देने के लिए इतने आग्रही हैं तो उसके लिए कई रास्ते हैं। वह या तो अपनी जमीन पर या पास की जमीन पर मंदिर बनवाकर वहाँ मूर्ति को स्थानांतरित कर दें।

दरअसल, हाईकोर्ट तमिलनाडु के राज्य हाइवे विभाग ने पेराम्बलुर जिले के बेपन्नथट्टई में स्थिति एक मंदिर को हटाने के लिए नोटिस दिया था। इसके बाद इस नोटिस को रद्द करने के लिए मंदिर के ट्रस्टी एस. पेरियासामी ने हाईकोर्ट का रूख किया था। याचिकाकर्ता ने कहा कि मंदिर 30 साल पुराना है और इसके कारण लोगों और वाहनों की आवाजाही में किसी तरह की समस्या भी नहीं उत्पन्न होती।

हाईकोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता कह रहा है कि यह मंदिर तीन दशक पुराना है और यह जमीन मंदिर की है तो मंदिर की ओर से आवश्यक दस्तावेज क्यों नहीं पेश किया जा रहा है। ऐसा करने से उसे कौन रोक रहा है? कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता कह रहा है कि जमीन मंदिर के ट्रस्ट की संपत्ति है, लेकिन इसका कागजी साबूत पेश करने में असफल रहा है। इसलिए याचिकाकर्ता की यह दलील नहीं मानी जा सकती कि मंदिर का उद्देश्य सिर्फ पूजा के लिए है और इसके कारण लोगों या वाहनों को किसी तरह समस्या नहीं उत्पन्न हो रही।

कोर्ट ने कहा कि यदि याचिकाकर्ता के इस बात को मान ली जाए तो कल हर कोई सार्वजनिक जमीन पर कब्जा करके बैठ जाएगा और एक याचिका लेकर चला आएगा कि इससे किसी अन्य को परेशानी नहीं हो रही है। इसलिए उनके अवैध अतिक्रमण को अनुमति दी जाए।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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