छत्तीसगढ़ में ईसाई धर्मांतरण का खेल कई वर्षों से जारी है और इसका सबसे ज़्यादा निशाना जनजातीय समाज के लोगों को बनाया गया है। अब ईसाई धर्मांतरण के विरोध में जनजातीय समाज ने भी आक्रोशित होकर विरोध प्रदर्शन किया है। ताज़ा मामला नारायणपुर जिले के एड़का गाँव का है, जहाँ धर्मांतरित ईसाइयों पर जनजातीय समाज के लोगों पर हमला करने का आरोप है। इस संबंध पीड़ितों ने छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुइया उइके को पत्र लिख कर मामला से अवगत कराया है।
इस पत्र में आरोप लगाया गया है कि एड़का पंचायत के गोर्रा ग्राम में नए-नए धर्मांतरित ईसाइयों द्वारा जनजातीय समाज के लोगों पर लाठी-डंडों और रॉड के अलावा धारदार हथियारों से हमला किया गया। दावा किया गया है कि कुछ पादरी इस हमलावर भीड़ का नेतृत्व कर रहे थे। नारायणपुर जिला चिकित्सालय में घायलों का इलाज चल रहा है। पीड़ितों का कहना है कि उन्हें जान बचा कर भागना पड़ा। जिला प्रशासन को बिगड़ती कानून-व्यवस्था के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए जनजातीय समाज ने राज्यपाल से कार्रवाई की माँग की है।
स्थानीय मीडिया संस्थान ‘बोल छत्तीसगढ़’ की खबर में जानकारी दी गई है कि इस हमले में जनजातीय समाज के एक दर्जन से अधिक नेता घायल हुए हैं। साथ ही गाँव में दंगे जैसा माहौल बन गया। सूत्रों के हवाले से मीडिया संस्थान ने कहा है कि बाहर से करीब 700-800 ईसाइयों की भीड़ को बुलाया गया था। नारायणपुर के एसपी सदानंद कुमार को भी चोटें आई हैं। पत्थरबाजी और लाठी-डंडे से मारपीट की खबर पाकर वो घटनास्थल पर पहुँचे थे। उनसे हमने संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उधर से फोन नहीं उठाया गया। उनसे बातचीत होते ही हमारी खबर को अपडेट किया जाएगा।
जिलाधिकारी अजीत वसंत ने भी अस्पताल जाकर घायलों का हालचाल लिया और घटना के संबंध में पूछताछ की। जनजातीय समाज ने धर्मांतरण के विरुद्ध रैली निकाली थी, जिसमें 5000 के करीब लोग शामिल हुए थे। जबकि ईसाइयों का आरोप है कि बंगलापारा के चर्च में तोड़फोड़ की गई है। जनजातीय समाज का कहना है कि ये सुनियोजित साजिश के तहत भोले-भाले लोगों को ईसाई धर्मांतरण के लिए फँसा कर निशाना बनाया जा रहा है।
धर्मांतरण से वहाँ की मूल संस्कृति भी प्रभावित हो रही है, जिससे जनजातीय समाज नाराज़ है। जबकि धर्मांतरण करने वालों का कहना है कि उन्हें गाँव से बाहर जाने के लिए कहा जा रहा है। बेनूर क्षेत्र के करीब 6 गाँवों में धर्मांतरण के कारण माहौल गर्म है। दोनों पक्षों के बीच पहले भी मारपीट हुई है। धर्मांतरण करने वाले कई लोगों ने जिला कलेक्ट्रेट के बाहर धरना भी दिया था। पुलिस-प्रशासन के काफी समझाने के बाद वो वापस गए थे।
जनजातीय समाज के लोगों ने बताया कि सड़क पर आने-जाने वाले निर्दोष लोगों को मारा-पीटा गया है। जनजातीय समाज के एक नेता ने बताया कि उन्हें जान से मार डालने की धमकी दी गई। उन्होंने कहा कि हमलोग जनजातीय समाज को छोड़ कर कहाँ जाएँगे। उन्होंने बताया कि ‘लोगों को काटने’ की धमकी भी दी गई है। घायलों को सिर में पट्टी बाँधे भी देखा जा सकता है। उनका कहना है कि राज्य के कई इलाकों में ईसाई धर्मांतरण एक बड़ी समस्या है।
पीड़ितों ने कहा कि चर्च के इशारे पर इस हमले को अंजाम दिया गया है। कई वीडियो भी सामने आए हैं, जिनमें लोगों को बड़े-बड़े डंडे लिए मारपीट करते हुए देखा जा सकता है। पुलिस वालों पर भी हमले किए गए। अर्धसैनिक बलों के जवानों को भी घायल देखा गया। एक मैदान में ग्रामीणों के कार्यक्रम का वीडियो भी सामने आया है, जहाँ कई अर्धसैनिक बल तैनात हैं। बताया जा रहा है कि ये कार्यक्रम ईसाइयों द्वारा धर्मांतरण की साजिश और मना करने पर मारपीट की घटना के विरोध में हुआ था।
एसपी का सिर फटने के कारण उन्हें टाँके लगाए गए हैं। एड़का थाना प्रभारी भुनेश्वर जोशी भी घायल हुए हैं। इन इलाकों में माओवादियों का भी प्रभाव रहा है। मारपीट के विरोध में बखरुपारा स्थित साप्ताहिक बाजार में जनजातीय समाज ने विरोध प्रदर्शन की बात कही थी। नारायणपुर में बंद भी बुलाया गया था, उसमें भी हिंसा की खबरें आईं। थाने में दोनों तरफ से लिखित शिकायतें मिली हैं। बताया जा रहा है कि शनिवार (31 दिसंबर, 2022) को कुछ लोगों ने जनजातीय समाज के लोगों को घर से निकाल कर रात के अँधेरे में पिटाई की, जिससे वहाँ आक्रोश है।