जम्मू-कश्मीर के कुलगाम जिले में मंगलवार (31 मई 2022) को आतंकवादियों ने एक बार फिर स्कूल में हिंदू टीचर की गोली मारकर हत्या कर दी। शिक्षिका की हत्या के बाद प्रधानमंत्री पैकेज के अंतर्गत तैनात कश्मीरी पंडित समुदाय के कर्मचारियों ने कहा कि अगर उन्हें 24 घंटे के भीतर सुरक्षित स्थानों पर नहीं भेजा गया, तो वे बड़े पैमाने पर घाटी से पलायन करने को मजबूर होंगे।
बता दें कि कुलगाम जिले में मंगलवार को स्कूल शिक्षिका रजनी बाला (36) की गोली मारकर हत्या कर दी गई। घटना के समय स्कूल में कई अन्य टीचर भी थे लेकिन आतंकियों ने पूरे स्कूल में उन्हें अलग से चुन कर मारा। वह सांबा जिले की मूल निवासी थी लेकिन कुलगाम के गोपालपोरा के एक सरकारी स्कूल में तैनात थीं। घटना के बाद घायल रजनी बाला को अस्पताल ले जाया गया, जहाँ डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित किया। उनकी हत्या की खबर सुनने के बाद उनके परिजनों और छात्रों के आँसू नहीं रुक रहे।
हत्या से पहले ट्रांस्फर ऑर्डर को लेकर खुश थीं रजनी बाला
जानकारी के मुताबिक हत्या से एक दिन पहले सोमवार (30 मई 2022) की रात को रजनी को ट्रांसफर की सूचना मिली थी। इससे वह काफी खुश थीं। उन्होंने इसके बारे में स्कूल के पास के एक दुकानदार को भी बताया था, जिसे वह अपना भाई मानती थीं। रजनी और उनके पति राजकुमार की कुलगाम के ही चवलगाम स्थित सरकारी स्कूल में ट्रांसफर हो गया था। मंगलवार को आदेश की कॉपी मिलने वाली थी, लेकिन इससे पहले ही आतंकियों ने उनकी निर्मम हत्या कर दी। राजकुमार भी सरकारी टीचर हैं और वह गोपालपोरा से कुछ ही दूरी पर स्थित सरकारी मिडिल स्कूल मिरहामा में तैनात हैं।
छात्रों ने बताई आँखों-देखी
दैनिक भास्कर ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि 7वीं कक्षा की छात्रा उजमा जान तेज आवाज सुनकर बाहर आई तो उसने रजनी मैम को गिरते हुए देखा। हालाँकि उनको क्या हुआ, इसका जवाब कोई नहीं दे पा रहा था। वहीं इनशा जान कहती हैं कि रजनी मैम बहुत अच्छा पढाती थीं, वह उन्हें बहुत मिस करेंगी। वहीं स्कूल के पास ही रहने वाली साजा बेगम का कहना है कि वह गोलियों की आवाज सुनकर बाहर निकली और रजनी पर कुछ लोगों को गोली चलाते हुए देखा। वह आगे कहती हैं कि रजनी काफी व्यावहारिक महिला थीं और बच्चों को भी अच्छे से पढ़ाती थी।
दैनिक जागरण से बात करते हुुए मीर जुनैद नाम के छात्र ने कहा, “रजनी बाला की हत्या सिर्फ उनके मजहब और उनके जम्मू निवासी होने के कारण हुई है। यहाँ बहुत से लोग इस पाशविक आतंकवाद का समर्थन करते हैं। जब तक हम सच नहीं बोलेंगे, यहाँ कत्ल नहीं रुकेंगे। अगर मजहब उसके कत्ल की वजह नहीं है तो फिर स्कूल में बहुत सारे मुस्लिम अध्यापक थे, उन्हें क्यों कत्ल नहीं किया गया। यह कत्ल हम कश्मीरियों की तहजीब और कश्मीरियत का कत्ल है।”
रजनी की हत्या इस महीने की शुरुआत में बडगाम जिले में अपने कार्यालय में 35 वर्षीय राहुल भट की हत्या के बाद हुई है, जिसके बाद कश्मीरी पंडितों ने घाटी भर में व्यापक विरोध प्रदर्शन किया था और कश्मीर घाटी के बाहर सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित करने के लिए इसी तरह की माँग की थी और सामूहिक रूप से पलायन की धमकी दी थी।
आईडी देख जब हिंदू टीचर उतारे गए मौत के घाट
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर में आतंकी लगातार गैर-मुस्लिम समुदाय को टारगेट कर हमले कर रहे हैं। पिछले दिनों श्रीनगर में दो शिक्षकों की हत्या कर दी गई। आतंकियों ने श्रीनगर के ईदगाह इलाके में स्थित एक स्कूल में शिक्षकों को लाइन में खड़े कराकर पहचान करने के बाद दो गैर-मुस्लिम शिक्षकों की हत्या कर दी थी।
बता दें कि आतंकियों ने स्कूल के सभी शिक्षकों को पंक्ति में खड़ा किया, उसके बाद उनके पहचान पत्र और मोबाइल फोन की जाँच की। इसके साथ ही आतंकियों ने उनसे पूछताछ भी की और उनमें से अधिकतर को छोड़ दिया। माना जा रहा है कि जिन शिक्षकों को आतंकियों ने जाने दिया, वे सभी मुस्लिम थे। वहीं, आतंकियों ने सिख समुदाय से संबंध रखने वाली शिक्षिका सतिंदर कौर और हिंदू समुदाय से संबंध रखने वाले शिक्षक दीपक चंद की गोली मारकर हत्या कर दी।