Sunday, November 17, 2024
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3 भाई, नाम- आफताब, शकील और सगीर: दुनिया की नजर में कारीगर, चलाते थे हथियारों की फैक्ट्री

पुलिस ने बताया कि तीनों भाई लोहा और आभूषणों को तराशने का काम अच्छे से जानते थे। सगीर सबमर्सिबल पंप लगाने का काम भी जानता था। इस हुनर का इस्तेमाल वे हथियार बनाने के लिए कर रहे थे।

नोएडा पुलिस की क्राइम ब्रांच और गौतमबुद्ध नगर जिले के बिसरख थाना पुलिस ने संयुक्त कार्रवाई करते हुए शनिवार (3 जुलाई 2021) को अवैध हथियार फैक्टरी का भंडाफोड़ किया। पुलिस ने इस मामले में गाजियाबाद के केला भट्टा में रहने वाले तीन सगे भाइयों आफताब, शकील और सगीर को गिरफ्तार किया है। इनकी कार से 10 पिस्टल और भारी मात्रा में अवैध हथियार बनाने में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों के अलावा कई अर्ध निर्मित हथियार बरामद किए गए हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, तीनों आरोपित गाजियाबाद के केला भट्टा में अवैध हथियारों की फैक्टरी चला रहे थे। लेकिन पकड़े जाने की आशंका होने पर फैक्टरी को मेरठ शिफ्ट करने के लिए सामान लेकर ग्रेनो वेस्ट से गुजर रहे थे। बताया जा रहा है कि आरोपित दिल्ली के हाशिम से पिस्टल बनाने का सामान खरीदते थे और मेरठ के रहीस को वो अब तक 500 पिस्टल बेच चुके हैं।

डीसीपी क्राइम अभिषेक के मुताबिक, 3 जुलाई को क्राइम ब्रांच को सूचना मिली थी कि अवैध पिस्टल बनाने का काम करने वाले आरोपित कार से गुजरने वाले हैं। सूचना मिलते ही स्वाट टीम प्रभारी शावेज खान और बिसरख कोतवाली प्रभारी अनिता चौहान की टीम आरोपितों की तलाश में जुट गई। इनका खुलासा करने वाली टीम को पुलिस आयुक्त ने 40 हजार इनाम की घोषणा की थी।

पुलिस ने गाजियाबाद से मेरठ शिफ्ट होने के दौरान शाहबेरी गाँव के पास कार को रोककर चेकिंग की तो उसमें 10 पिस्टल और भारी मात्रा में असलाह बनाने का सामान बरामद हुआ। अमर उजाला की रिपोर्ट के मुताबिक, गिरफ्तार किए गए आरोपितों ने पूछताछ में बताया कि वह मेरठ में अवैध ​हथियारों की फैक्टरी लगाने के लिए ये सामान लेकर जा रहे थे। इससे पहले वह गाजियाबाद में फैक्टरी चला रहे थे। उन्होंने बताया कि वे पिस्टल तैयार करने के लिए सारा सामान दिल्ली निवासी हाशिम से लेते थे, जबकि पिस्टल को तैयार कर वह मेरठ निवासी रहीस को बेचते थे।

रिपोर्ट्स में यह भी खुलासा हुआ है कि ये आरोपित इंपोर्टेड हैंडगन के मॉडल यानी विदेशी कंपनी लामा की हूबहू नकल कर देसी पिस्तौल बना रहे थे। ऐसी पिस्टल का इस्तेमाल बड़े गिरोह या उनसे जुड़े बदमाश करते हैं। तीनों आरोपित एनसीआर में अब तक 500 पिस्टल बेच चुके हैं। ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि ये सभी एनसीआर व ​पश्चिम यूपी के बड़े गिरोह या उनसे जुड़े बदमाशों को पिस्टल बेचते होंगे। जो इनकी पिस्टलों से कई वारदात को अंजाम दे चुके होंगे।

पुलिस ने कहा कि तीनों भाई लोहा और आभूषणों को तराशने का काम अच्छे से जानते थे। इनमें से सगीर सबमर्सिबल पंप लगाने का काम जानता था, जो पिस्टल बनाने का मुख्य कारीगर भी है। ये तीनों पिस्टल बनाने में होने वाले बारीक काम को भी किया करते थे। इस हुनर को आरोपितों ने हथियार बनाने के काम में इस्तेमाल करना शुरू कर दिया था और अपने काम की आड़ में पिछले एक दशक से गाजियाबाद में इस ऑपरेशन को अंजाम दे रहे थे।

आरोपित बेहद सफाई से इस काम को किया करते थे। इससे उनकी पिस्टल आसानी से बिक जाती थी, इसे बनाने में उनका दो से तीन हजार रुपए का खर्च आता था। लेकिन इसके बदले में वह इसकी कई गुना ज्यादा कीमत वसूलते थे। तीनों आरोपित रहीस को एक पिस्टल करीब 25-25 हजार रुपए में बेचा करते थे। वहीं, रहीस एक पिस्टल का सौदा एक लाख रुपए में करता था। इसके लिए रहीस उनसे मुलाकात कर नकद भुगतान करता था।

पुलिस के मुताबिक, रहीस और सगीर अवैध हथियारों की बिक्री के मामले में दिल्ली की तिहाड़ जेल में साल 2010 में बंद हुए थे। इसी दौरान दोनों की पहचान जेल में हुई थी। दोनों ने यहाँ एक-दूसरे से अवैध हथियार बनाने व बिक्री के संबंध में जानकारी हासिल की थी। रहीस ने सगीर से कहा था कि अगर वह बेहतर पिस्टल तैयार कर सकता है, तो बिक्री की जिम्मेदारी उसकी रहेगी। जेल से बाहर आने के बाद ही आरोपित अवैध हथियारों के कारोबार में जुट गए।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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