महाराष्ट्र के पालघर में साधुओं की लिंचिंग मामले में दो पुलिसकर्मियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी गई जबकि एक पुलिसकर्मी को उसकी सेवा से बर्खास्त कर दिया गया। इसकी जानकारी स्वयं एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने दी।
उन्होंने बताया कि इन 3 पुलिसकर्मियों में सहायक पुलिस निरीक्षक आनंदराव का नाम भी शामिल है क्योंकि वह 16 अप्रैल को पालघर के कासा पुलिस थाने के प्रभारी थे। उनके अलावा सहायक पुलिस निरीक्षक (एएसआई) रवि सांलुके और कॉन्सटेबल नरेश धोडी को भी सेवा से बर्खास्त किया गया है।
#Maharashtra: Two police personnel given compulsory retirement and one police personnel dismissed from service, in connection with Palghar mob lynching case
— ANI (@ANI) August 31, 2020
अधिकारी ने बताया कि कोंकण रेंज के पुलिस महानिरीक्षक ने शनिवार को जारी एक आदेश में तीनों पुलिसकर्मियों को सेवा से बर्खास्त कर दिया। इससे पहले ये तीनों पुलिसकर्मी अन्य पाँच पुलिसकर्मियों के साथ निलंबित किए गए थे।
बता दें कि 16 अप्रैल को पालघर में दो साधुओं की बेरहमी से लिंचिंग के बाद इस मामले में महाराष्ट्र पुलिस पर सवाल खड़े हुए थे। कुछ दिन पहले जूना अखाड़ा के पीठाधीश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी ने साधुओं की हत्या मामले में सीबीआई की माँग उठाई थी। उनके साथ कई साधु संतों ने भी मामले पर कार्रवाई के लिए आवाज उठाई थी।
#Breaking | Palghar lynching case: 3 cops dismissed from service.
— TIMES NOW (@TimesNow) August 31, 2020
Aruneel with details. pic.twitter.com/c25ozSDGVs
इसके बाद मामले की जाँच के लिए गठित एक स्वतंत्र फैक्ट-फाइंडिंग कमिटी ने चौंकाने वाला दावा करते हुए कहा था कि इस घटना के पीछे गहरी साजिश थी। साथ ही इस घटना के तार नक्सलियों से भी जुड़ रहे हैं।
उक्त कमिटी में वकील, रिटायर्ड जज और पुलिस अधिकारियों को शामिल किया गया था। जिसने हाल में कहा कि पालघर में साधुओं की हत्या के मामले की जाँच सीबीआई और एनआईए करे।
कमिटी ने अपनी जाँच में यह भी पाया है कि वहाँ उपस्थित पुलिसकर्मी अगर चाहते तो इस हत्याकांड को रोक सकते थे लेकिन उन्होंने हिंसा की साजिश में शामिल होने का रास्ता चुना। शनिवार (अगस्त 29, 2020) को एक ऑनलाइन कार्यक्रम के जरिए कमिटी ने अपनी रिपोर्ट के कुछ अंश पेश किए।