आंध्र प्रदेश के एलुरु में स्थित सेंट जोसेफ कॉन्वेंट हॉस्टल में चौंकाने वाली घटना सामने आई है। यहाँ एक किशोरी ने बच्चे को जन्म देने के तुरंत बाद उसे खिड़की से फेंक दिया, जिससे उसकी मौत हो गई। यह हॉस्टल डायोसिस ऑफ एलुरु द्वारा संचालित है और घटना ने चर्च-प्रशासित संस्थानों की निगरानी और जिम्मेदारी पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस मामले में एक ट्रेनी पादरी को हिरासत में लिया है, जिसके कथित तौर पर ट्रेनी नन से संबंध थे।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, नन बनने की ट्रेनिंग ले रही किशोरी आंध्र प्रदेश के नंदयाल जिले की रहने वाली है और सेंट जोसेफ कॉन्वेंट में दूसरे वर्ष की इंटरमीडिएट छात्रा है। रविवार (8 दिसंबर 2024) को उसने हॉस्टल में बच्चे को जन्म दिया और तुरंत खिड़की से बाहर फेंक दिया। घटना की जानकारी मिलने पर पुलिस और महिला एवं बाल कल्याण विभाग के अधिकारी मौके पर पहुँचे। 2-टाउन सर्कल इंस्पेक्टर रामना के नेतृत्व में पुलिस ने जाँच शुरू की।
डीएसपी श्रवण कुमार ने बताया कि किशोरी का स्वास्थ्य बिगड़ने के बाद उसे सरवजना अस्पताल में भर्ती कराया गया। मृत बच्चे के शव को भी जाँच के लिए अस्पताल भेजा गया। इस मामले में एक ट्रेनी ईसाई पादरी को मुख्य संदिग्ध के रूप में हिरासत में लिया गया है।
शुरुआती जाँच में सामने आया कि किशोरी और पादरी के बीच संबंध थे। हॉस्टल की अन्य छात्राओं और प्रशासन से भी पूछताछ की जा रही है। इस मामले में महिला एवँ बाल कल्याण विभाग ने भी अपनी रिपोर्ट तैयार करनी शुरू कर दी है। यह मामला न केवल प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि महिलाओं की सुरक्षा और संस्थागत जिम्मेदारी पर भी बहस छेड़ता है।
घटना ने कॉन्वेंट हॉस्टल की कार्यप्रणाली और प्रशासन की लापरवाही को उजागर किया है। माना जा रहा है कि किशोरी की गर्भावस्था के बावजूद उसके सहपाठियों और हॉस्टल प्रशासन ने न तो उसकी स्वास्थ्य स्थिति को गंभीरता से लिया और न ही अधिकारियों को सूचित किया।
सेंट जोसेफ कॉन्वेंट एलुरु के डायोसिस (एलुरु के बिशप के नियंत्रण) में आता है और इसका उद्देश्य शिक्षा और मजहबी ट्रेनिंग देना है। इस संस्था का मकसद नैतिक और धार्मिक मूल्यों को बढ़ावा देना है, लेकिन इस घटना ने प्रशासनिक विफलता और महिलाओं की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।