भारत के पूर्वोत्तर के राज्य त्रिपुरा में एचआईवी-एड्स से जुड़ी गंभीर जानकारी सामने आ रही है। त्रिपुरा में हजारों लोग एचआईवी पॉजिटिव पाए गए हैं। इसमें छात्रों की संख्या भी काफी ज्यादा है। हैरानी की बात है कि त्रिपुरा में अब तक HIV-AIDS संक्रमित छात्रों की संख्या 828 तक पहुँच चुकी है, जिसमें 47 छात्रों की जान भी जा चुकी है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, त्रिपुरा में साल 1999 से अब तक एड्स के आँकड़ों से पता चला है कि अप्रैल 2007 से मई 2024 तक राज्य में एआरटी- एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी केंद्रों में 8,729 लोगों को रजिस्टर्ड किया गया है। इनमें एचआईवी से पीड़ित लोगों की कुल संख्या 5,674 है और इनमें भी 4,570 पुरुष, 1103 महिलाएँ और केवल एक मरीज ट्रांसजेंडर है। लेकिन जो संख्या सबसे ज्यादा चौंकाने वाली है, वो है छात्रों की।
त्रिपुरा पत्रकार यूनियन, वेब मीडिया फोरम और टीएसएसीएस द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित एक वर्कशॉप में टीएसएसीएस के संयुक्त निदेशक ने बताया कि राज्य के 828 छात्रों में एचआईवी संक्रमण की पुष्टि हुई है। एड्स कंट्रोल सोसायटी ने 828 छात्रों को एचआईवी संक्रमण के लिए रजिस्टर्ड किया है। इनमें से 47 छात्रों की मौत हो चुकी है। टीएसएसीएस ने राज्य के 220 स्कूल, 24 कॉलेज और यूनिवर्सिटी के ऐसे छात्रों की पहचान की है जो नशे के लिए इंजेक्शनों का इस्तेमाल करते हैं।
त्रिपुरा राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी के संयुक्त निदेशक ने कहा, “हमने अप्रैल 1999 से राज्य में काम करना शुरू किया है। लेकिन छात्रों का आँकड़ा अप्रैल 2007 से मई 2024 तक, बीते 17 वर्षों में हमें 828 मामले एचआईवी-एड्स के मिले हैं। इनमें से 47 छात्रों की मौत हो चुकी है। हालाँकि 572 छात्र अब तक जीवित हैं, जिसमें से बड़ी संख्या में छात्र दूसरे राज्यों में पढ़ाई कर रहे हैं।”
There is a report circulating that Tripura has 828 students registered as HIV positive and 47 of them died. The total figure of 828 and 47, however, is from April 2007 to May 2024. It is implied that 828 students registered over the last many years in ART centres are all getting… pic.twitter.com/h1PU1ArWM0
— ANI (@ANI) July 10, 2024
त्रिपुरा में एड्स फैलने के पीछे संक्रमित सुई से नशा
रिपोर्ट्स के मुताबिक, एचआईवी-एड्स से जुड़े ज्यादातर मामलों में बच्चे संपन्न परिवारों से ताल्लुक रखते हैं। ऐसे परिवार जहाँ माता-पिता दोनों सरकारी सेवा में हैं और बच्चों की माँगों को पूरा करने में कोई संकोच नहीं करते। जब तक उन्हें एहसास हुआ कि उनके बच्चे ड्रग्स के शिकार हो गए हैं, तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
दरअसल, एचआईवी/एड्स एक महत्वपूर्ण वैश्विक स्वास्थ्य समस्या है, जिसका नसों में इंजेक्शन लगाकर नशा करने से सीधा संबंध है। ड्रग यूजर्स के बीच इंजेक्शन शेयर करना एचआईवी ट्रांसमिशन का एक प्राइमरी तरीका है, जो ब्लड-टू-ब्लड संपर्क के जरिए से वायरस को फैलाने में मददगार होती है। त्रिपुरा में अधिकतर मामलों में ये चीज कॉमन पाई गई है।