राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) ने एक सनसनीखेज खुलासा करते हुए बताया कि 2013-2014 में इस्लामी आतंकवादी संगठन – इस्लामिक स्टेट में शामिल होने के लिए समुदाय विशेष के छ: से सात युवाओं के समूह को बेंगलुरु से सीरिया भेजने में एक डेंटिस्ट और एक कंप्यूटर एप्लीकेशन स्पेशलिस्ट मुख्य रूप से शामिल थे।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, एनआईए ने 29 वर्षीय मुहम्मद तौकीर महमूद और 28 वर्षीय जुहैब हमीद उर्फ शकील मन्ना को कड़े गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत बुक किया है। एनआईए द्वारा इन दोनों युवाओं के खिलाफ 29 सितंबर को भी एक मामला दर्ज किया गया था, जो पहले बेंगलुरु में रहते थे लेकिन बाद में सऊदी अरब भाग गए।
दो युवकों ने कथित तौर पर सऊदी अरब के एक सहपाठी के माध्यम से इस्लामिक आतंकी संगठन आईएसआईएस के साथ संपर्क बनाए थे। तौकीर और एक अन्य एनआईए संदिग्ध शिहाब ने अपने स्कूल के वर्षों के दौरान सऊदी अरब में पढ़ाई की थी।
आतंकवादी भर्तीकर्ताओं का नाम बेंगलुरू के 28 वर्षीय नेत्र चिकित्सक अब्दुर रहमान की गिरफ्तारी के बाद सामने आया था, जिन्होंने कश्मीरी दंपति – जहाँजानीब सामी और हिना बशीर के साथ मिलकर साजिश रची थी, उन्हें मार्च में भारत में खुरासान प्रांत (ISKP) इकाई के इस्लामिक स्टेट से संबंध के लिए दिल्ली से गिरफ्तार किया गया था। आईएसआईएस से जुड़े आतंकवादी दंपति पर मुसलमानों को सीएए के खिलाफ एकजुट होने और देश के अंदर आतंकवादी हमले करने के लिए प्रेरित करने का आरोप है।
जाँच में पता चला था कि रहमान ने हमीद और महमूद की सहायता से 2013-14 में सीरिया की यात्रा की थी। दो अन्य युवक- फ़ैज़ मसूद और अब्दुल सुभा सीरिया में रहने के दौरान मारे गए थे। वो सीरिया जाकर आईएस में शामिल हो गए थे।
गौरतलब है कि राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) ने 7 अक्टूबर को चेन्नई के अहमद अब्दुल कादिर (40) और बेंगलुरु के इरफ़ान नासिर (33) को गिरफ्तार किया था। दोनों ही इस्लामिक स्टेट (आईएस) मॉड्यूल के संदिग्ध हैं और इन पर युवाओं को कट्टरपंथी बनाने और उन्हें आतंकवादी गतिविधियों में शामिल कराने के लिए फंडिंग उपलब्ध कराने का आरोप है।
एनआईए अधिकारियों ने बताया था कि रहमान 2014 में सीरिया में आईएसआईएस के आतंकवादियों के साथ लगभग 10 दिनों तक रहा था और आतंकवादियों की मदद के लिए एक एप्लीकेशन डेवलप कर रहा था। उसने कादिर और नासिर के नामों का खुलासा एनआईए से किया था।