उत्तर प्रदेश एटीएस ने हाल ही में धर्मान्तरण के मामले में गिरफ्तार किए गए उमर गौतम से जुड़े रैकेट से जुड़े तीन और लोगों को गिरफ्तार किया है। तीनों आरोपितों को महाराष्ट्र के नागपुर से गिरफ्तार किया गया है और अब उन्हें लखनऊ लाया जाएगा। शुक्रवार (16 जुलाई 2021) को गिरफ्तार किए गए आरोपितों के नाम प्रकाश कावरे उर्फ एडम, कौशर आलम और अर्सलान उर्फ भूप्रिया बंदो हैं।
आरोपितों को लखनऊ लाने के बाद पुलिस इन्हें अदालत के समक्ष पेश करेगी और इनके षडयंत्रों एवं नेटवर्क का पता लगाने के लिए गहनता से पूछताछ हेतु न्यायालय से पुलिस रिमांड में लेने की माँग करेगी।
यूपी पुलिस के मुताबिक, एडम महाराष्ट्र नेटवर्क का संपर्क बिंदु था। वह लगातार उमर गौतम के संपर्क में था और राज्य में धर्मान्तरण की गतिविधियों को आगे बढ़ा रहा था। पुलिस का कहना है कि एडम की पत्नी मिस्र की नागरिक है और वह अन्य इस्लामिक देशों के संपर्क में भी था। पुलिस का कहना है कि एडम पइस्लामिक प्रोपेगेंडा में भी शामिल रहा है।
वहीं, झारखंड के धनबाद का रहने वाला कौशर आलम महाराष्ट्र और कर्नाटक में धर्मान्तरण करवाता था। इसके अलावा, वह नेटवर्क की फंडिंग भी देखता था। एडम की उम्र लगभग 30 साल, अर्सलान की उम्र 29 साल है, जबकि कौशर आलम 50 साल का है।
उमर गौतम और जहाँगीर कासमी को आतंकी हाफिज सईद हो सकती है फंडिंग
धर्मान्तरण के रैकेट को लेकर उत्तर प्रदेश एटीएस कई चौंकाने वाले खुलासे कर चुकी है। Zee News की रिपोर्ट मुताबिक, उत्तर प्रदेश पुलिस के सूत्रों ने पुष्टि की है कि उन्हें संदेह है कि जहाँगीर कासमी और मोहम्मद उमर गौतम द्वारा चलाए जा रहे धर्मान्तरण के रैकेट को भारत के मोस्ट वांटेड आतंकवादी और जमात-उद-दावा प्रमुख हाफिज सईद फंडिग कर रहा था। जी न्यूज की रिपोर्ट में कहा गया है कि आरोपितों से पूछताछ के दौरान धर्म परिवर्तन के मामले में हाफिज सईद के जुड़े होने की बात सामने आई थी।
धर्म परिवर्तन का रैकेट जाकिर नाइक से जुड़ा
धर्मांतरण रैकेट का मुख्य आरोपी उमर गौतम के दिल्ली स्थित संगठन इस्लामिक दावा केंद्र के तार कुख्यात इस्लामी उपदेशक और भगोड़ा जाकिर नाइक के सहयोगी के साथ जुड़े हैं। इसके अलावा, इस बात का भी खुलासा हुआ था कि किस तरह से ‘प्रेरणा शिविर’ के रूप में धर्म परिवर्तन के रैकेट को संचालित किया जा रहा था। धर्मांतरण रैकेट के लोग इन शिविरों में लोगों को धर्मांतरित कराते थे और पैसे का लालच देकर इन्हें अपना एजेंट बना लेते थे। फिर इन एजेंटों को कथित ‘प्रेरणा’ शिविर में लोगों को लाने के लिए कहा जाता था, जिसके लिए उन्हें 5,000 रुपये दिए जाते थे। उस लाए गए व्यक्ति द्वारा धर्मांतरण कर लेने के बाद एजेंटों को 20-25 रुपये का भुगतान किया जाता था। इसके अलावा,
दिव्याँग बच्चों को मानव बम के रूप में इस्तेमाल करने वाला था उमर गौतम
धर्मान्तरण से जुड़े उमर गौतम और कासमी की योजना का खुलासा करते हुए ऑपइंडिया ने बताया था कि आरोपित मूक-बधिर बच्चों को इस्लाम स्वीकार करवाते थे और बाद में उन्हें मानव बम के रूप में इस्तेमाल करने की योजना बनाई थी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अपराधियों ने दिव्याँग बच्चों को गैर-मुसलमानों से नफरत करने, इस्लाम स्वीकार करने और उन्हें आत्मघाती हमलावरों के रूप में इस्तेमाल करने की योजना बनाई थी, क्योंकि ऐसे बच्चे विरोध कम कर पाते।