जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र उमर खालिद को दिल्ली पुलिस ने रविवार (13 सितंबर 2020) को गिरफ्तार किया था। फरवरी में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) विरोध के दौरान दिल्ली के कई इलाकों में दंगे हुए थे और उमर खालिद पर उन दंगों का षड्यंत्र रचने का आरोप है। दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने उमर खालिद पर गैर क़ानूनी गतिविधि (नियंत्रण) अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया था।
पुलिस ने उमर खालिद से लगभग 11 घंटे तक पूछताछ की। इसके बाद जैसे ही यह ख़बर सामने आई कि उमर खालिद को दिल्ली दंगों के मामले में शामिल होने की वजह से गिरफ्तार किया जा चुका है, ठीक वैसे ही लिबरल गैंग ने सोशल मीडिया पर प्रलाप शुरू कर दिया। लिबरल गैंग के तमाम लोगों ने उमर खालिद की गिरफ्तारी पर प्रलाप करते हुए प्रतिक्रियाएँ दी।
पत्रकार सबा नकवी ने गिरफ्तार को गलत बताया। इसके बाद जाँच एजेंसी की भूमिका पर सवाल खड़ा करते हुए कहा उमर खालिद निर्दोष है और उसे अपराधी बताया जा रहा है।
When an actor can be treated as and enemy of the people, what chance did #UmarKhalid have, a left activist and Indian Muslim, outstanding student, against whom a narrative has been constructed by TV channels since 2016.
— Saba Naqvi (@_sabanaqvi) September 13, 2020
इसके बाद खुद को घोर वामपंथी बताने वाली स्वरा भास्कर ने यूएपीए को ही खारिज कर दिया। स्वरा के मुताबिक़ इस क़ानून को ख़त्म कर देना चाहिए, क्योंकि इसके तहत उमर खालिद की गिरफ्तारी हुई है।
i stand with @djkhaled
— DJ Khaled 🇮🇳 (@BavishiDhruvin) September 13, 2020
अभिनेता मोहम्मद ज़ीशान अयूब ने अपने ट्वीट में लिखा कि इस देश में अल्पसंख्यक होना किसी अपराध से कम न है। अगर कोई अहिंसा या संविधान की बात करता है तो उसे सूली पर चढ़ा दिया जाता है।
जी हाँ, इस देश में अब #Minority होना गुनाह है!! सही होना उससे भी बड़ा अपराध!! और संविधान या अहिंसा की बात करने पे तो सूली पे भी चढ़ाए जा सकते हैं!
— Mohd. Zeeshan Ayyub (@Mdzeeshanayyub) September 13, 2020
कल आपके घर से भी, कोई भी उठा लिया जाएगा, और आप ऐसे ही मुँह ताकते रह जाएँगे!!
ताक़त का नंगा नाच है ये! #IStandWithUmarKhalid
पत्रकार तवलीन सिंह ने ट्वीट कर संकेत दिए कि उमर की गिरफ्तार इसलिए हुई है, क्योंकि वह मुस्लिम है। उन्होंने कहा कि कोई ऐसे हिन्दू के बारे में जानता है जिसे दिल्ली दंगे भड़काने के लिए गिरफ्तार किया गया हो।
Can anyone name Hindus arrested for inciting violence during the Delhi riots? For instance those who shouted ‘desh ke ghaddaron ko, goli maaro saalon ko’?
— Tavleen Singh (@tavleen_singh) September 14, 2020
जबकि सच्चाई यह है कि दिल्ली पुलिस ने बिना धर्म या समुदाय देखे कार्रवाई की है। हिंदुस्तान टाइम्स द्वारा प्रकाशित खबर के अनुसार पुलिस ने दिल्ली दंगों के मामले में ऐसे 9 लोगों को भी गिरफ्तार किया है जो हिंदू हैं। वैसे भी इस तर्क का कोई अर्थ नहीं है। उमर खालिद ने पहले ही यह बात स्वीकारी थी कि वह नास्तिक है।
प्रशांत भूषण जिन्हें हाल ही में अदालत ने अवमानना के मामले में दोषी करार दिया था उन्होंने भी उमर खालिद की गिरफ्तारी पर गुस्सा जताया है। उन्होंने कहा सीताराम येचुरी, योगेन्द्र यादव, जयंती घोष और अपूर्वानंद पर हुई कार्रवाई से एक बात साफ़ है कि दिल्ली दंगों के मामले में दिल्ली पुलिस की जाँच दुर्भावनापूर्ण तरीके से की जा रही है।
Umar Khalid’s arrest by Delhi police after naming Yechury, Yogendra Yadav, Jayati Ghosh& Apoorvanand, leaves no doubt at all about the malafide nature of it’s investigation into Delhi riots. It’s a conspiracy by the police to frame peaceful activists in the guise of Investigation
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) September 14, 2020
जबकि दिल्ली पुलिस ने इनका नाम एक चश्मदीद के खुलासे के आधार पर शामिल किया है। इन पर अभी तक इस मामले में कोई धारा लगाई नहीं गई है, जैसा कि प्रशांत भूषण लोगों के सामने बताना चाह रहे हैं।
स्वघोषित सामाजिक कार्यकर्ता और तथाकथित चुनावी विश्लेषक योगेन्द्र यादव ने भी उमर खालिद की छवि चमकाने का मौक़ा नहीं छोड़ा। अपने ट्वीट में योगेन्द्र यादव ने बताया कि उन्हें उमर खालिद की गिरफ्तारी की वजह से हैरानी है। इसके बाद योगेन्द्र यादव ने उमर खालिद को युवा, आदर्शवादी और हिंसा विरोधी भी बताया।
Shocked that an anti-terror law UAPA has been used to arrest a young, thinking, idealist like @UmarKhalidJNU who has always opposed violence and communalism in any form.
— Yogendra Yadav (@_YogendraYadav) September 14, 2020
He is undoubtedly among the leaders that India deserves.@DelhiPolice can’t detain India’s future for long.
अक्सर झूठ का प्रचार प्रसार करने वाले और खुद को फैक्ट चेकर बताने वाले प्रतीक सिन्हा ने भी इस मुद्दे पर ट्वीट करने का मौक़ा नहीं छोड़ा। प्रतीक सिन्हा उमर खालिद की गिरफ्तारी से इतने निराश हुए कि यहाँ तक कह दिया कि भारत में लोकतंत्र जैसा महसूस ही नहीं होता है। उनके मुताबिक़ दिल्ली दंगों के मामले में जिस तरह की कार्रवाई हुई है उसे देख कर ऐसा लगता है जैसे देश में लोकतंत्र ही ख़त्म हो गया है।
On most days, this country doesn’t feel like a democracy anymore. #StandWithUmarKhalid
— Pratik Sinha (@free_thinker) September 13, 2020
वामपंथी मीडिया समूह द वायर के सह संस्थापक सिद्धार्थ वरदराजन ने भी उमर खालिद की गिरफ्तारी पर सवाल खड़े किए हैं। उनके मुताबिक़ अमित शाह ने लोकसभा में उमर खालिद को दिल्ली दंगे भड़काने का आरोपित बताया था। इसी वजह से उसकी गिरफ्तारी हुई।
There was an inevitability to this police action. Though they know there’s no evidence to back up their ludicrous case, @AmitShah in the LS had blamed @UmarKhalidJNU for the riots (his own party folks had triggered) and parliament reconvenes Monday.https://t.co/u5WqMMSnWM
— Siddharth (@svaradarajan) September 13, 2020
विवादित पत्रकार राणा अयूब जो हाल ही में कोरोना से ठीक हुई हैं उन्होंने भी उमर खालिद के समर्थन में एक ट्वीट किया।
The Modi regime has systematically arrested every dissenting voice that commands a following and has leadership potential. The anti CAA protest gave us leaders who are willing to be our ‘opposition’ in the face of intimidation by the state. The arrests are meant to silence them
— Rana Ayyub (@RanaAyyub) September 14, 2020
जहाँ एक तरफ लिबरल्स ने तमाम कारण बता कर उमर खालिद की गिरफ्तारी को गलत बताया वहाँ एक बात उल्लेखनीय है कि दिल्ली दंगों के मुख्य आरोपित ताहिर हुसैन ने अपने बयान में कहा था कि उसे उमर खालिद ने ही खालिद सैफी से मिलवाया था। इसके बाद सभी ने मिल कर दंगों की योजना तैयार की थी।
पहले उमर खालिद के विरुद्ध जो एफआईआर दर्ज की गई थी, उसमें ऐसा कहा गया था कि दिल्ली दंगों का षड्यंत्र पहले से ही रचा गया था। इसकी साज़िश रचने में कोई और नहीं बल्कि उमर खालिद और उसके सहयोगी शामिल हैं। उमर खालिद ने दिल्ली दंगों के दौरान विवादित भाषण दिए थे और लोगों से निवेदन किया था कि वह डोनाल्ड ट्रंप की भारत यात्रा के दौरान सड़कों पर आएँ ताकि दुनिया में ऐसा संदेश जाए कि भारत में अल्पसंख्यकों के साथ बहुत अत्याचार हो रहा है।