Thursday, April 25, 2024
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इधर उमर खालिद की गिरफ्तारी हुई, उधर लिबरल्स की लिबिर-लिबिर चालू हो गई

भले लिबरल्स तमाम कारण बता कर उमर खालिद की गिरफ्तारी को गलत बता रहे हों पर यह तथ्य है कि दिल्ली दंगों के मुख्य आरोपित ताहिर हुसैन ने अपने बयान में कहा था कि उसे उमर खालिद ने ही खालिद सैफी से मिलवाया था। इसके बाद सभी ने मिल कर दंगों की योजना तैयार की थी।

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र उमर खालिद को दिल्ली पुलिस ने रविवार (13 सितंबर 2020) को गिरफ्तार किया था। फरवरी में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) विरोध के दौरान दिल्ली के कई इलाकों में दंगे हुए थे और उमर खालिद पर उन दंगों का षड्यंत्र रचने का आरोप है। दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने उमर खालिद पर गैर क़ानूनी गतिविधि (नियंत्रण) अधिनियम (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया था। 

पुलिस ने उमर खालिद से लगभग 11 घंटे तक पूछताछ की। इसके बाद जैसे ही यह ख़बर सामने आई कि उमर खालिद को दिल्ली दंगों के मामले में शामिल होने की वजह से गिरफ्तार किया जा चुका है, ठीक वैसे ही लिबरल गैंग ने सोशल मीडिया पर प्रलाप शुरू कर दिया। लिबरल गैंग के तमाम लोगों ने उमर खालिद की गिरफ्तारी पर प्रलाप करते हुए प्रतिक्रियाएँ दी। 

पत्रकार सबा नकवी ने गिरफ्तार को गलत बताया। इसके बाद जाँच एजेंसी की भूमिका पर सवाल खड़ा करते हुए कहा उमर खालिद निर्दोष है और उसे अपराधी बताया जा रहा है। 

इसके बाद खुद को घोर वामपंथी बताने वाली स्वरा भास्कर ने यूएपीए को ही खारिज कर दिया। स्वरा के मुताबिक़ इस क़ानून को ख़त्म कर देना चाहिए, क्योंकि इसके तहत उमर खालिद की गिरफ्तारी हुई है।

अभिनेता मोहम्मद ज़ीशान अयूब ने अपने ट्वीट में लिखा कि इस देश में अल्पसंख्यक होना किसी अपराध से कम न है। अगर कोई अहिंसा या संविधान की बात करता है तो उसे सूली पर चढ़ा दिया जाता है। 

पत्रकार तवलीन सिंह ने ट्वीट कर संकेत दिए कि उमर की गिरफ्तार इसलिए हुई है, क्योंकि वह मुस्लिम है। उन्होंने कहा कि कोई ऐसे हिन्दू के बारे में जानता है जिसे दिल्ली दंगे भड़काने के लिए गिरफ्तार किया गया हो। 

जबकि सच्चाई यह है कि दिल्ली पुलिस ने बिना धर्म या समुदाय देखे कार्रवाई की है। हिंदुस्तान टाइम्स द्वारा प्रकाशित खबर के अनुसार पुलिस ने दिल्ली दंगों के मामले में ऐसे 9 लोगों को भी गिरफ्तार किया है जो हिंदू हैं। वैसे भी इस तर्क का कोई अर्थ नहीं है। उमर खालिद ने पहले ही यह बात स्वीकारी थी कि वह नास्तिक है

प्रशांत भूषण जिन्हें हाल ही में अदालत ने अवमानना के मामले में दोषी करार दिया था उन्होंने भी उमर खालिद की गिरफ्तारी पर गुस्सा जताया है। उन्होंने कहा सीताराम येचुरी, योगेन्द्र यादव, जयंती घोष और अपूर्वानंद पर हुई कार्रवाई से एक बात साफ़ है कि दिल्ली दंगों के मामले में दिल्ली पुलिस की जाँच दुर्भावनापूर्ण तरीके से की जा रही है। 

जबकि दिल्ली पुलिस ने इनका नाम एक चश्मदीद के खुलासे के आधार पर शामिल किया है। इन पर अभी तक इस मामले में कोई धारा लगाई नहीं गई है, जैसा कि प्रशांत भूषण लोगों के सामने बताना चाह रहे हैं। 

स्वघोषित सामाजिक कार्यकर्ता और तथाकथित चुनावी विश्लेषक योगेन्द्र यादव ने भी उमर खालिद की छवि चमकाने का मौक़ा नहीं छोड़ा। अपने ट्वीट में योगेन्द्र यादव ने बताया कि उन्हें उमर खालिद की गिरफ्तारी की वजह से हैरानी है। इसके बाद योगेन्द्र यादव ने उमर खालिद को युवा, आदर्शवादी और हिंसा विरोधी भी बताया। 

अक्सर झूठ का प्रचार प्रसार करने वाले और खुद को फैक्ट चेकर बताने वाले प्रतीक सिन्हा ने भी इस मुद्दे पर ट्वीट करने का मौक़ा नहीं छोड़ा। प्रतीक सिन्हा उमर खालिद की गिरफ्तारी से इतने निराश हुए कि यहाँ तक कह दिया कि भारत में लोकतंत्र जैसा महसूस ही नहीं होता है। उनके मुताबिक़ दिल्ली दंगों के मामले में जिस तरह की कार्रवाई हुई है उसे देख कर ऐसा लगता है जैसे देश में लोकतंत्र ही ख़त्म हो गया है। 

वामपंथी मीडिया समूह द वायर के सह संस्थापक सिद्धार्थ वरदराजन ने भी उमर खालिद की गिरफ्तारी पर सवाल खड़े किए हैं। उनके मुताबिक़ अमित शाह ने लोकसभा में उमर खालिद को दिल्ली दंगे भड़काने का आरोपित बताया था। इसी वजह से उसकी गिरफ्तारी हुई। 

विवादित पत्रकार राणा अयूब जो हाल ही में कोरोना से ठीक हुई हैं उन्होंने भी उमर खालिद के समर्थन में एक ट्वीट किया। 

जहाँ एक तरफ लिबरल्स ने तमाम कारण बता कर उमर खालिद की गिरफ्तारी को गलत बताया वहाँ एक बात उल्लेखनीय है कि दिल्ली दंगों के मुख्य आरोपित ताहिर हुसैन ने अपने बयान में कहा था कि उसे उमर खालिद ने ही खालिद सैफी से मिलवाया था। इसके बाद सभी ने मिल कर दंगों की योजना तैयार की थी।

पहले उमर खालिद के विरुद्ध जो एफआईआर दर्ज की गई थी, उसमें ऐसा कहा गया था कि दिल्ली दंगों का षड्यंत्र पहले से ही रचा गया था। इसकी साज़िश रचने में कोई और नहीं बल्कि उमर खालिद और उसके सहयोगी शामिल हैं। उमर खालिद ने दिल्ली दंगों के दौरान विवादित भाषण दिए थे और लोगों से निवेदन किया था कि वह डोनाल्ड ट्रंप की भारत यात्रा के दौरान सड़कों पर आएँ ताकि दुनिया में ऐसा संदेश जाए कि भारत में अल्पसंख्यकों के साथ बहुत अत्याचार हो रहा है।  

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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