बेंगलुरु के उमेश गोपीनाथ जाधव (Umesh Gopinath Jadhav) फार्मेसी के प्रोफेसर रहे हैं। म्यूजिशियन हैं। परिवार में पत्नी और दो बेटे हैं। लेकिन पुलवामा में आतंकी हमले ने उनके जीवन की दिशा ही बदल दी। इसके बाद वो सब कुछ छोड़कर एक ऐसी यात्रा पर निकल गए जो देशभक्ति और जज्बे की अनूठी मिसाल है।
करीब 1.15 लाख किलोमीटर की यात्रा पूरी कर जाधव फिर से बेंगलुरू पहुँच गए हैं। उन्होंने 14 फरवरी 2019 में पुलवामा हमले के बारे में जानकारी मिलने के बाद नौकरी छोड़ दी। बलिदानियों के परिवार से मिलने और उनके घरों की मिट्टी इकट्ठा करने का फैसला किया था। 9 अप्रैल 2019 को वह अपनी इस यात्रा पर निकले थे। जाधव के अनुसार इस यात्रा के दौरान बलिदानियों के परिवारों और नागरिकों के साथ बातचीत से उन्हें इस बात का एहसास हुआ कि बिना वर्दी पहने भी कोई देश के लिए बहुत कुछ कर सकता है।
1.15 लाख किलोमीटर की यात्रा
उमेश गोपीनाथ जाधव सड़क मार्ग से 1.15 लाख किलोमीटर की यात्रा पूरी कर सोमवार (14 फरवरी 2022) को बेंगलुरू पहुँचे। अपनी इस यात्रा में उन्होंने न केवल पुलवामा बलिदानियों के परिवार से मुलाकात की, बल्कि पहले और दूसरे विश्व युद्ध, कारगिल युद्ध, उरी हमला, पठानकोट हमाला, ऑपरेशन रक्षक, गलवान संघर्ष और हाल ही में कुन्नूर हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मारे गए लोगों के परिवार के सदस्यों से भी मुलाकात की। इस तरह उमेश गोपीनाथ ने कुल 144 जवानों के परिवार के सदस्यों से मुलाकात की।
उन्होंने सोमवार को द हिंदू से बात करते हुए मांड्या में सीआरपीएफ जवान एच गुरु के परिवार को याद किया। उन्होंने कहा, “परिवार का दु:ख असहनीय था। उनकी माँ ने कहा कि तुम एक बेटे की तरह आए हो और मुझे मिट्टी सौंप दी। वे शब्द आज भी मेरे दिल में हैं। हर परिवार ने अपने बेटे की तस्वीरें और यादें साझा की। मैं उनके साथ बैठा और उनके साथ रोया।”
जाधव ने जिस कार से यह यात्रा की, उस पर देशभक्ति के नारे लिखे हुए थे। वह उस कार का इस्तेमाल रात में सोने के लिए भी करते थे, क्योंकि वह होटल का बिल भरने में असमर्थ थे। उन्होंने कहा, “मेरी यात्रा स्पॉन्सर्ड नहीं है और मैं देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले देशवासियों के प्रति अपनी देशभक्ति और सम्मान दिखा रहा हूँ।”
बदल गया जीने का मकसद
जाधव की इस यात्रा के पीछे एक दिलचस्प कहानी है। अजमेर में एक म्यूजिक कंसर्ट के बाद पिछले साल 14 फरवरी को वे बेंगलुरु के अपने घर लौट रहे थे। जयपुर एयरपोर्ट पर टीवी स्क्रीन में यह न्यूज लगातार चल रही थी कि आत्मघाती हमलावरों ने सीआरपीएफ काफिले पर हमला कर दिया। जैसे ही वह विचलित कर देनेवाला दृश्य टीवी पर चलने लगा, तब उन्होंने अपने मन में कहा कि उन्हें बलिदानी के परिवारों के लिए कुछ करना है। फिर उन्होंने वीरों के घरों से मिट्टी इकट्टा करने का फैसला किया। फरवरी 2020 में उन्होंने पुलवामा के वीरों के घर से एकत्र की गई मिट्टी को सेना को सौंपा था। अब वे अन्य बलिदानियों के घरों की मिट्टी दिल्ली में एक और स्मारक बनाने के लिए रक्षा बलों को सौंपेंगे।
भावुक कर देने वाले पल
उमेश गोपीनाथ जाधव का कहना है कि उन्होंने सबसे पहले मांड्या में सीआरपीएफ जवान एच गुरु के परिवार के सदस्यों से मुलाकात की थी। उन्होंने कहा कि सभी बलिदानियों के परिवार से मिलना संभव नहीं था, इसलिए उन्होंने देश के हर राज्य से कम से कम दो लोगों से मिलने की कोशिश की। लेकिन नासिक में चार अलग-अलग परिवार उनसे मिलने आए और सभी ने अपने-अपने घरों की मिट्टी को चार की जगह एक कलश में मिला दिया था। वह कहते हैं, “यह बेहद ही भावुक पल था। किसी भी बलिदानी के परिवार ने मुझसे मिलने से इनकार नहीं किया। कई लोगों ने मुझे अपने घर पर ठहराया। हालाँकि लॉकडाउन की वजह से इस काम में कुछ देरी हुई।”
डॉक्यूमेंट्री की बना रहे योजना
गोपीनाथ जाधव ने अपनी यात्रा के दौरान दो फील्ड मार्शल जनरल केएम करियप्पा और जनरल सैम मानेकशॉ एवं 26/11 हमले में वीरगति को प्राप्त हुए मेजर संदीप उन्नीकृष्णन के घरों से से भी मिट्टी इकट्ठा की। अब जाधव और उनके दोस्त बलिदानियों के परिवारवालों से बातचीत और अपनी यात्रा के संबंध में एक डाक्यूमेंट्री बनाने की योजना बना रहे हैं।