जामिया हिंसा मामले में दिल्ली पुलिस ने शुक्रवार (अगस्त 14, 2020) को दिल्ली हाई कोर्ट को बताया कि नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन के दौरान आगजनी व संपत्ति के नुकसान से बिगड़ी स्थिति को संभालने के लिए पुलिस ने जामिया में प्रवेश किया था।
पुलिस के खिलाफ छात्रों पर बल प्रयोग के मामले में दायर याचिका पर मुख्य न्यायमूर्ति डीएन पटेल व न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ के समक्ष एडिशनल सॉलिसिटर जनरल अमन लेखी ने यह जानकारी दी।
अमन लेखी ने दलील दी कि जामिया हिंसा से जुड़ी सारी याचिकाएँ एक राय और एजेंडे से जुड़ी हुई हैं। उन्होंने पुलिस पर बर्बरता के आरोपों को सरासर झूठ बताया।
Jamia Violence: Entry Into Campus Justified; Only Proportionate Force Used, Delhi Police Tells Delhi HC https://t.co/RzaqGFvayS
— Live Law (@LiveLawIndia) August 14, 2020
उन्होंने दलील दी कि घटना वाली रात पुलिस का वहाँ जाना जरूरी था। इसके पीछे एक मकसद था, जो पूरी तरह से कानूनी था। उन्होंने कहा, “यूनिवर्सिटी कैंपस कोई एंक्लेव नहीं है, जहाँ पुलिस नहीं पहुँच सकती।” उन्होंने कोर्ट से कहा कि मामले में दायर सारी याचिकाएँ न्यूज पेपर रिपोर्ट और विडियो फुटेज पर आधारित हैं, जिन पर एविडेंस एक्ट के तहत भरोसा करके अदालत नहीं चल सकती।
कोर्ट को बताया गया कि हिंसा भड़काने के मामले में पुलिस ने एफआईआर दर्ज की थी और उसमें चार्जशीट भी दायर की जा चुकी है। लेखी ने साफ किया कि कानूनन अदालत आने के लिए हर व्यक्ति स्वतंत्र है, पर मौजूदा मामले में जिन लोगों ने याचिकाएँ दायर की है, वे न तो सीधे तौर पर घटना से जुड़े हैं और न ही पीड़ित हैं।
इसके अलावा उन्होंने दलील दी कि दायर की गई याचिकाओं दो तरह के पक्षकार हैं एक वे हैं जो अखबार में प्रकाशित खबरों के आधार पर अदालत आए हैं। वहीं, दूसरे वे हैं जो हिसा प्रभावित हैं, लेकिन उन्होंने उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया है।
अमन लेखी ने कहा कि समाचार रिपोर्टो पर साक्ष्य के तौर पर भरोसा नहीं किया जा सकता है क्योंकि वे वास्तविक हो सकती हैं, लेकिन सटीक नहीं हो सकती हैं। उन्होंने कहा कि याचिकाएँ आरोप पत्रों का उल्लेख नहीं करती हैं और उनके बारे में पूरी तरह से चुप हैं।
याचिकाकर्ताओं ने जामिया मिलिया इस्लामिया में हुई हिसा की जाँच के लिए विशेष जाँच दल गठित करने या फिर जाँच आयोग बनाने की माँग की थी। इस पर अमन लेखी ने कहा कि याचिकाकर्ताओं की कोई भी माँग मंजूर नहीं की जा सकती। मामले में अगली सुनवाई 21 अगस्त को होगी।
इसके अलावा हिंसा के आरोपित जामिया के स्टूडेंट और आरजेडी (RJD) के युवा प्रदेश अध्यक्ष मीरान हैदर ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। मीरान हैदर का कहना है कि हिंसा के लिए उसने करीब 5 लाख रुपए जमा किए थे।
पुलिस के मुताबिक, अपने कबूलनामे में मीरान हैदर ने कहा कि हिंसा की साज़िश पहले से ही रची जा चुकी थी। उसने बताया कि दिल्ली में चलने वाले प्रदर्शन में लोगों की भीड़ इकठ्ठा करने की जिम्मेदारी उसी थी। साथ ही वहाँ के इंतजाम की देखरेख भी वो ही करता था। मीरान हैदर के मुताबिक जामिया में हुई हिंसा के बाद दिल्ली में दंगों की प्लानिंग की गई थी। दिल्ली में हिंसा के लिए PFI ने फंड दिया था।
हैदर ने पुलिस को बताया कि, दिल्ली के जाफराबाद और सीलमपुर इलाकों को सबसे पहले हिंसा के लिए चुना गया था। आरोपित मीरान हैदर के मुताबिक उसने खुद लोगों को चाकू, पेट्रोल, पत्थर आदि इकठ्ठा करने के लिए कहा था। मालूम हो कि हिंसा के आरोपित मीरान हैदर को दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल UAPA यानी गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम कानून के तहत गिरफ्तार कर चुकी है। आरोपित फिलहाल न्यायिक हिरासत में है।