Sunday, November 17, 2024
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बांग्लादेश से लोगों को लाते और फर्जी कागजात बनाकर भारत में बसाते थे आदिल, नजीबुल और अबू: ₹20 करोड़ की मिली थी विदेशी फंडिंग, यूपी ATS ने दबोचा

जाँच में यह बात भी सामने आई कि विदेशों से कुछ एनजीओ के FCRA अकाउंट में 20 करोड़ रुपए भेजे गए थे। यह राशि मदरसों और स्कूलों के लिए आई थी। इसका इस्तेमाल मानव तस्करी में हो रहा था। यह सिंडीकेट अवैध घुसपैठ कराने, फर्जी दस्तावेज बनवाने, शरण देने और भारत विरोधी गतिविधियों में इस धन का उपयोग कर रहा था।

यूपी पुलिस की आतंकवाद निरोधी दस्ते (UP ATS) ने गुुरुवार (12 अक्टूबर 2023) को तीन अवैध बांग्लादेशियों को गिरफ्तार किया। ये सभी मानव तस्करी में शामिल थे। बांग्लादेशियों को भारत में लाकर बसाने के लिए उन्हें विदेशों से 20 करोड़ रुपए की फंडिंग हुई है। ATS ने इन तीनों के खाते से 1.50 करोड़ रुपए बरामद किए हैं। गिरफ्तार आरोपितों के नाम आदिल मोहम्मद अशर्फी उर्फ आदिल उर रहमान, शेख नजीबुल हक और अबू हुरायरा गाजी है।

ATS ने खुलासा किया है कि मानव तस्करी वाले इस सिंडीकेट के सदस्य बांग्लादेशी नागरिकों को सीमा पार कराकर भारत लाते और उन्हें यहाँ बसाते थे। इसके लिए ये भारतीय नागरिकता संबंधित फर्जी दस्तावेज बनाते थे। विदेशों से जो फंडिंग होती थी, उनका इस्तेमाल ये लोग इस काम में करते थे।

ATS के ADG मोहित अग्रवाल ने बताया कि इस संबंध में ATS के वाराणसी यूनिट को सूचना मिली थी। ATS पता चला कि सिंडीकेट का सदस्य आदिल मोहम्मद अशरफी उर्फ आदिल उर रहमान पश्चिम बंगाल से दिल्ली या सहारनपुर जाने की फिराक में है। इसके बाद टीम ने कार्रवाई करते हुए उसे वाराणसी में दबोच लिया। उसके पास से फर्जी आधार कार्ड और पासपोर्ट बरामद हुआ।

पूछताछ में आदिल ने बताया कि ये दस्तावेज उसे पश्चिम बंगाल का रहने वाला शेख नजीबुल हक और अबु हुरायरा गाजी की मदद से मिले थे। उसने बताया कि ये दोनों फिलहाल दिल्ली से सटे यूपी के सहारनपुर में रह रहे हैं। इसके बाद ATS ने सहारनपुर से उन दोनों को दबोच लिया। तीनों ने पूछताछ में अपना गुनाह कबूल कर लिया। इन्होंने बताया कि ये बांग्लादेश के रहने वाले हैं और यूपी में लंबे समय से रह रहे हैं।

सहारनपुर से पकड़े गए दोनों बांग्लादेशी नागरिकों ने बताया कि उन्होंने बांग्लादेशी नागरिक मोहम्मद हबीबुल्लाह मस्बाह उर्फ नजीब के फर्जी दस्तावेज भी बनवाए थे। हबीबुल्लाह को कुछ दिन पहले सहारनपुर से गिरफ्तार किया गया था। इनके पास से अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर पार कराने के सबूत भी मिले।

जाँच में यह बात भी सामने आई कि विदेशों से कुछ एनजीओ के FCRA अकाउंट में 20 करोड़ रुपए भेजे गए थे। यह राशि मदरसों और स्कूलों के लिए आई थी। इसका इस्तेमाल मानव तस्करी में हो रहा था। यह सिंडीकेट अवैध घुसपैठ कराने, फर्जी दस्तावेज बनवाने, शरण देने और भारत विरोधी गतिविधियों में इस धन का उपयोग कर रहा था।

बताते चलें कि उत्तर प्रदेश में अवैध रूप से छिपकर रह रहे कई बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं की गिरफ्तारी हो चुकी है। ATS ने इस जुलाई में राज्य के सहारनपुर, मेरठ, हापुड़, गाजियाबाद, अलीगढ़ और मथुरा में कार्रवाई कर तकरीबन 74 रोहिंग्या मुस्लिमों को गिरफ्तार किया था।

जानकारी के मुताबिक, बांग्लादेशी नागरिक और रोहिंग्या मुस्लिमों की संख्या लगभग 4000 थी। पुलिस के मुताबिक, पकड़े गए घुसपैठी 10 से 15 साल से उत्तर प्रदेश में रह रहे थे। कईयों के पास तो राशन कार्ड और डॉक्यूमेंट भी बने हुए थे।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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