Sunday, November 17, 2024
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यूपी क्रिकेट में परिवारवाद पर हाई कोर्ट में याचिका: कॉन्ग्रेस नेता राजीव शुक्ला और उनके PA अकरम सैफी के भाई सहित कई संघ के लाइफ मेंबर

इसमें ये आरोप लगाया गया है कि प्रदेश क्रिकेट एसोशिएशन के अधिकारी अपने रिश्तेदारों को फेवर कर रहे हैं और ये सब यूपी क्रिकेट में अंपना कंट्रोल बनाए रखने के लिए किया गया है।

उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोशिएशन (UPCA) किसी न किसी कारण से चर्चा में लगातार बना हुआ है। हाल ही में UPCA के निदेशक पद से राजीव शुक्ला (Rajeev Shukla) के इस्तीफा देने की खबरों के बाद अब इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) में एक याचिका दायर की गई है। इसमें ये आरोप लगाया गया है कि प्रदेश क्रिकेट एसोशिएशन के अधिकारी अपने रिश्तेदारों को फेवर कर रहे हैं और ये सब यूपी क्रिकेट में अंपना कंट्रोल बनाए रखने के लिए किया गया है।

रिपोर्ट के मुताबिक, BCCI के वरिष्ठ अधिकारी राजीव शुक्ला के भाई, उनके PA रहे अकरम सैफी के परिवार के सदस्य, UPCA के निदेशक का बेटा, यूपीसीए एपेक्स काउंसिल के सदस्य का दामाद के अलावा कार्पोरेट का जगत यूपी में क्रिकेट से जुड़े हुए हैं। ये UPCA के कुछ लाइफ मेंबर हैं, जिनकी राज्य एसोशिएशन में शीर्ष पदों पर 13-15 फरवरी को होने वाले उपचुनावों की वोटिंग लिस्ट के परिणामस्वरूप UPCA के 19 उच्च काउंसिल सदस्यों में से सात ने एक रिट याचिका में औचित्य पर सवाल उठाया है। इसमें आरोप लगाया है कि क्रिकेट एसोशिएशन के अधिकारी देश की सर्वाधिक जनसंख्या वाले राज्य में टेंपरिंग करके क्रिकेट पर कंट्रोल बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं।

इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिकाकर्ताओं के वकील गौतम दत्ता ने याचिका में आरोप लगाया कि राज्य के 75 जिलों में से 41 में राज्य संबद्धता है और उन्हें वोटिंग का अधिकार है। इसके अलावा 24 नए लाइफ मेंबर और पाँच कॉर्पोरेट सदस्यों को मतदान का अधिकार प्रदान करना क्रिकेट संघ की रणनीतिक योजना है कि वोटिंग लिस्ट के साथ क्रिकेट के फॉर्मेट को बदला जा सके।

वकील गौतम दत्ता ने कहा, “इलाहाबाद हाईकोर्ट की खंडपीठ ने 10 जनवरी 2022 को बीसीसीआई, यूपीसीए और नए शामिल किए गए लाइफ सदस्यों और कॉर्पोरेट मेंबर को नोटिस जारी किया था। याचिका में उठाए गए मुद्दों पर जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया गया है।”

UPCA एपेक्स काउंसिल के मेंबर और याचिकाकर्ताओं में से एक राकेश मिश्रा का कहना है कि कॉर्पोरेट के लोगों समेत नए सदस्यों को शामिल करने के लिए एपेक्स काउंसिल के सामने कोई एजेंडा नहीं रखा गया था। न ही कोई चर्चा हुई और न ही कोई स्वीकृति दी गई। UPCA के वर्तमान और पूर्व अधिकारियों के परिवार के लोगों को किस तरह से लाइफ मेंबर बनाया गया, इसकी निष्पक्ष जाँच होनी चाहिए। जबकि UPCA के अधिकारियों ने इसका बचाव करते हुए कहा है कि 2019 में अपने पिछले चुनावों से पहले स्टेट एसोशिएशन द्वारा आजीवन सदस्यों और उनके मतदान अधिकारों को मंजूरी दी गई थी।

खास बात ये है कि UPCA के नए लाइफ मेंबरों में खुद मिश्रा का दामाद भी शामिल है, हालाँकि, इस मामले में उनका कहना है कि जब उन्हें लाइफ मेंबर बनाया गया तो वो उनके परिवार का हिस्सा नहीं थे। वहीं UPCA के निदेशक युद्धवीर सिंह UPCA के निदेशक युद्धवीर सिंह ने अपने बेटे, शुक्ला और सैफी के भाइयों और UPCA के अन्य पदाधिकारियों को वोटिंग अधिकार वाले आजीवन सदस्य के रूप में शामिल करने की पुष्टि कर चुके हैं।

हाई कोर्ट में दायर याचिका में बताया गया है कि जेके सीमेंट प्राइवेट लिमिटेड, यूफ्लेक्स ग्रुप, इकाना स्पोर्ट्ज़ सिटी, लोहिया कॉर्प लिमिटेड और मोंटेज एंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड नए कॉर्पोरेट मेंबर बनाए गए हैं। वहीं जेके सीमेंट ग्रुप तो लंबे वक्त से यूपी में खेल के संरक्षक की भूमिका में रहा है। हितों के टकराव का आरोप बीसीसीआई के उपाध्यक्ष और यूपीसीए के वरिष्ठ रहे राजीव शुक्ला पर है। शुक्ला कॉन्ग्रेस के नेता है। वो 2005 में UPCA के सचिव और डायरेक्टर बने थे।

पहले भी विवादों में रहे हैं राजीव शुक्ला (Rajeev Shukla)

राजीव शुक्ला पिछले साल नवंबर 2021 में अपने पीए अकरम सैफी के कारण विवादों में थे। सैफी पर उत्तर प्रदेश अंडर 23 क्रिकेट टीम में सलेक्शन के बदले ‘कॉल गर्ल और पैसे’ की डिमांड करने का आरोप लगा था। हालाँकि इस मामले में सैफी को बाद में क्लीनचिट मिल गई थी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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