Sunday, November 17, 2024
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₹46 लाख खर्च किए, बकरीद पर हलाल करने के लिए लाए गए 250 बकरों को खरीदकर बचाई जान: अब ‘बकराशाला’ में सुरक्षित रहेंगे

बकराशाला चलाने वाली संस्था, 'जीव दया संस्थान' के अधिकारियों का कहना है कि वे आने वाले दिनों में जानवरों के साथ ही पक्षियों को सुरक्षित करने का भी काम करेंगे। इसके लिए संस्थान द्वारा 45 मंजिल ऊँचा टॉवर बनाया जाएगा। इस टॉवर में पक्षी अपना घोंसला बनाकर सुरक्षित तरीके से रह सकेंगे।

बकरीद पर हर साल करोड़ों पशुओं की कुर्बानी होती है। लेकिन उत्तर प्रदेश के बागपत में बकरों को बचाने के लिए जैन समाज की अनोखी पहल सामने आई है। जैन संतों से प्रभावित होकर लोगों ने बकराशाला का निर्माण किया है। इस साल बकरीद में हलाल करने के लिए लाए गए करीब 250 बकरों को खरीदकर यहाँ रखा गया है। फिलहाल इस बकराशाला में 450 बकरे हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह बकराशाला बागपत जिले के अमीनगर सराय कस्बे में है। जैन समाज के लोगों ने संतों से प्रभावित होकर साल 2016 में ‘जीव दया संस्थान’ की स्थापना की थी। इस संस्थान के तहत ही बकराशाला का निर्माण भी किया गया है। इस संस्थान से जुड़े लोगों का उद्देश्य बेजुबान जीवों की रक्षा करना है। इसी उद्देश्य के तहत हर साल बकरीद पर बकरे खरीदकर बकराशाला में सुरक्षित रखे जाते हैं। 

साल 2016 में यहाँ 45 बकरे रखे गए थे। धीरे-धीरे यह संख्या बढ़ती चली गई। इस साल बकरीद पर 250 बकरों की जान बचाकर इस बकराशाला में लाया गया है। इन बकरों को खरीदने के लिए ‘जीव दया संस्थान’ से जुड़े लोगों ने करीब 46 लाख रुपए खर्च किए हैं। 5000 वर्ग फ़ीट में बने इस बकराशाला में फिलहाल 450 बकरे रखे गए हैं। इन बकरों के खाने-पीने से लेकर उनके इलाज के लिए डॉक्टर की भी व्यवस्था की गई है। 

बकराशाला चलाने वाली संस्था, ‘जीव दया संस्थान’ के अधिकारियों का कहना है कि वे आने वाले दिनों में जानवरों के साथ ही पक्षियों को सुरक्षित करने का भी काम करेंगे। इसके लिए संस्थान द्वारा 45 मंजिल ऊँचा टॉवर बनाया जाएगा। इस टॉवर में पक्षी अपना घोंसला बनाकर सुरक्षित तरीके से रह सकेंगे। इस बकराशाला के लिए पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई जैन परिवार आर्थिक सहायता प्रदान करते हैं।

राजस्थान में भी है ऐसी ही बकराशाला

बता दें कि राजस्थान के पाली जिले खौड़ गाँव में भी ऐसी ही एक बकराशाला संचालित हो रही है। यहाँ भी हर साल कटने जा रहे बकरों को खरीदकर उन्हें सुरक्षित रखा जाता है। इस बकराशाला का निर्माण स्थानीय व्यापारी ज्ञानचंद लूंकड़ ने जैन संतों की प्रेरणा से कराया है। ज्ञानचंद ने करीब 5 साल पहले अपनी 225 बीघा जमीन में इस बकराशाला को बनवाया था। यहाँ रहने वालों बकरों के खाने-पीने व इलाज की व्यवस्था है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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