पूर्व कैबिनेट मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति (Gayatri Prasad Prajapati), उनके बेटे अनिल के अमेठी स्थित घर और ऑफिस समेत कई अन्य ठिकानों पर बुधवार (दिसंबर 30, 2020) को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने छापा मारा था। इस छापेमारी में कई अहम दस्तावेज गायत्री प्रसाद प्रजापति के घर से बरामद हुए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, गायत्री प्रसाद प्रजापति के घर से 11 लाख रुपए के पुराने नोट, 5 लाख रुपए के सादे स्टाम्प पेपर, डेढ़ लाख रुपए कैश और सौ से अधिक बेनामी संपत्तियों के दस्तावेज बरामद हुए हैं। देर रात तक कार्रवाई जारी थी।
इसके अलावा ड्राइवर के नाम 200 करोड़ की संपत्ति के सबूत हाथ लगने की बात सामने आ रही है। जानकारी के मुताबिक, बुधवार को सुबह करीब 10 बजे सातों ठिकानों पर ईडी की लखनऊ और प्रयागराज यूनिट के 50 से ज्यादा अफसरों ने एक-साथ छापेमारी शुरू की। एजेंसी ने अमेठी और लखनऊ में हैवलॉक रोड स्थित गायत्री के आवास और करोड़पति ड्राइवर समेत तमाम उन सभी करीबियों के ठिकानों को खँगाला, जिनके नाम से संपत्तियाँ खरीदी गई हैं।
बेनामी संपत्ति में काली कमाई लगाई
अफसरों ने कानपुर में गायत्री और अनिल के सीए के दफ्तर के अलावा अनिल के विभूतिखंड में ओमेक्स स्थित दफ्तर में भी पड़ताल की। छापेमारी में लखनऊ, कानपुर, मुंबई और सीतापुर समेत छह से ज्यादा शहरों में संपत्तियों का पता चला है। ईडी को पड़ताल में इस बात के साक्ष्य मिले हैं कि खनन घोटाले से जुटाई गई काली कमाई को कई बेनामी संपत्तियों में निवेश किया गया है। ये संपत्तियाँ करीबी रिश्तेदारों, निजी सहायकों और ड्राइवरों के नाम पर ली गई हैं।
दर्जनों फाइलें साथ ले गई टीम
अमेठी की आवास विकास कॉलोनी में गायत्री के आवास और टिकरी में ड्राइवर रामराज के आवास से ईडी ने दर्जनों फाइलों को कब्जे में लिया। टीम ने गायत्री के रिश्तेदार हरिलाल प्रजापति और नौकर रामटहल वर्मा के घर को भी खँगाला। बताया जा रहा है कि टीम ने गायत्री की अवैध संपत्तियों के बारे में नौकर से पूछताछ भी की। उससे पूछा गया कि संपत्तियाँ खरीदने के लिए धन किन स्रोतों से आया? इसके अलावा आईटी रिटर्न और बैंक खातों के बारे में भी पूछा गया।
सपा सरकार के दौरान हुआ था घोटाला
बता दें कि यूपी के पूर्व कैबिनेट मंत्री गायत्री प्रजापति अभी रेप के मामले में जेल में बंद हैं। गायत्री पर जान से मारने की धमकी देने और जबरन संपत्तियाँ हड़पने का आरोप है। साथ ही खनन के पट्टों के आवंटन मे धाँधली के आरोप में उनके खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय और सीबीआई की जाँच भी चल रही है। इस जाँच के सिलसिले में गायत्री प्रजापति और उनके करीबियों पर कई बार छापेमारी हो चुकी है।
इस मामले में एजेंसियों की नजर यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव पर भी है। अखिलेश यादव 2012 से 2017 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और 2012 से 2013 तक राज्य के खनन मंत्री रहे हैं। 2012 से 2016 के बीच अवैध खनन घोटाला हुआ था। इस मामले में पहले भी एजेंसियों ने कई अधिकारियों के यहाँ छापेमारी की थी।
एजेंसियों का मानना है कि अखिलेश यादव और गायत्री प्रसाद प्रजापति दोनों ने खनन मंत्री होने के दौरान स्वीकृति दी थी। सभी पट्टों को मुख्यमंत्री की मंजूरी थी। 5 लाख रुपए और उससे अधिक के सभी पट्टों को नियमानुसार सीएम कार्यालय से उचित अनुमोदन प्राप्त करना था। गायत्री प्रजापति का बेटा भी फिलहाल जेल में बंद है।