उत्तर प्रदेश की स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने शुक्रवार (1 दिसंबर 2023) को फर्जी सर्टिफिकेट बनाने वाले एक गैंग का भंडाफोड़ किया है। इस मामले में गाजियाबाद से मोहम्मद साहिल, मोहम्मद जुबैर और रियाजुद्दीन नाम के तीनों आरोपितों को गिरफ्तार किया गया है। इस गैंग के सदस्य सॉफ्टवेयर और वेबसाइटों के जरिए फर्जी सर्टिफिकेट बनाते थे।
इस गैंग के सदस्य कोविड वैक्सीन से लेकर जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र तक फर्जी बनाते थे। इतना ही नहीं, इन्होंने देश में 436 फ्रेंचाइजी भी बाँट रखी थी, जहाँ इसी तरह का फर्जीवाड़ा होता था। एजेंसी के अनुसार, यह गैंग अब तक 7000 से अधिक फर्जी सर्टिफिकेट बना चुका है। ये भारत में अवैध रूप से आने लोगों का भारतीय जन्म प्रमाण पत्र सहित कई दस्तावेज बनाते थे।
यूपी STF ने गाजियाबाद से रियाजुद्दीन, मोहम्मद जुबैर और साहिल को अरेस्ट किया है। ये गैंग अब तक देशभर में 7 हजार से ज्यादा लोगों के कोविड वैक्सीन, जन्म-मृत्यु सर्टिफिकेट फर्जी बना चुका है। #Ghaziabad #up pic.twitter.com/iMMzU012z5
— Sachin Gupta (@SachinGuptaUP) December 1, 2023
STF ने बताया कि पकड़े गए तीनों आरोपित गाजियाबाद के रहने वाले हैं। इनमें मोहम्मद साहिल इस पूरे मामले का मास्टरमाइंड है। इनके पास से प्रिंटर, लेमिनेशन मशीन, लैपटॉप, थंब स्कैनर, वेबकैम, केवाईसी फॉर्म, 15 जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र, अलग-अलग हॉस्पिटलों के फर्जी डिजिटल हस्ताक्षर, नगर पंचायतों के फर्जी डिजिटल हस्ताक्षर आदि बरामद किए गए हैं।
STF के ASP विशाल विक्रम सिंह ने बताया कि गैंग ने जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने के लिए सरकारी वेबसाइट www.crsorgi.gov.in से मिलती-जुलती कई फर्जी वेबसाइट बनाई थी। इस वेबसाइट को वे सॉफ्टवेयर डेवलपर के माध्यम से कई राज्यों में चलवाते थे। इसके लिए गैंग फ्रेंचाइजी भी बेचता था।
आरोपितों ने STF को बताया कि वे बांग्लादेश और म्यांमार आदि देशों से अवैध रूप से आने वाले घुसपैठियों को भी भारतीय जन्म प्रमाण पत्र बनाते थे। इस जन्म प्रमाण पत्र के आधार पर वे भारत का निवास प्रमाण पत्र, वोटर कार्ड, आधार कार्ड आदि बनावेत थे। इन दस्तावेजों का इस्तेमाल विभिन्न सरकारी योजनाओं का फायदा लेने और बीमा कंपनियों से क्लेम लेने तक में भी किया जाता था।
मोहम्मद साहिल इस गैंग का मास्टरमाइंड है, जबकि दूसरा आरोपित मोहम्मद जुबैर वॉट्सऐप, टेलीग्राम और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से लोगों से संपर्क करता था। फर्जी आधार कार्ड बनाए जाने की आशंका को लेकर UIADI से भी इसकी जानकारी माँगी गई है। गैंग से बरामद इलेक्ट्रॉनिक उपकरण को फोरेंसिक जाँच के लिए लैब भेजा जाएगा।