उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले के बैरागीपट्टी गाँव की मस्जिद में हुए बम ब्लास्ट केस में यूपी पुलिस ने अब तक 6 लोगों को गिरफ्तार किया है। यूपी एटीएस ने इस मामले में छठे आरोपित डॉ अशफाक आलम को हैदराबाद के ओल्ड सिटी से गिरफ्तार किया। बता दें कि डॉ अशफाक पूर्व आर्मी मेजर है। गिरफ्तारी के बाद पूछताछ के लिए आलम को लखनऊ ले जाया गया है। विस्फोटक को मस्जिद तक पहुँचाने में प्रमुख भूमिका निभाने वाले अशफाक को पूरी साजिश का प्रमुख सूत्रधार बताया जा रहा है।
मस्जिद में धमाके के समय डॉ आलम कुशीनगर में ही मौजूद था। अशफाक पर सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने और आपराधिक साजिश रचने का आरोप है। डॉ आलम इस मामले के एक मुख्य आरोपित हाजी कुतुबुद्दीन का पोता है, जो मस्जिद में अक्सर नमाज अदा करता था। कुतुबुद्दीन पर एक बैग में मस्जिद में विस्फोटक विस्फोट करने का आरोप है। हाजी कुतुबुद्दीन को गोरखपुर से गिरफ्तार किया गया है। अधिकारियों ने बताया कि डॉ आलम 8 नवंबर को एक रिश्तेदार की शादी में शामिल होने के लिए कुशीनगर आया था। इससे पहले मस्जिद में ब्लास्ट मामले में 4 अन्य मौलानाओं को गिरफ्तार किया जा चुका है।
डॉ अशफाक आलम 2017 तक हैदराबाद के सेना अस्पताल में कैप्टन था और दो साल पहले ही उसने सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के लिए समयपूर्व स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली थी। डॉ आलम को यूपी एटीएस और तेलंगाना पुलिस के संयुक्त अभियान के दौरान हैदराबाद से गुरुवार (नवंबर 14, 2019) को गिरफ्तार किया गया। अशफाक की पत्नी भी सेना अस्पताल में डॉक्टर है। फिलहाल वो हैदराबाद में तैनात है।
यूपी के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एटीएस) ध्रुव कांत ठाकुर ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, “डॉ आलम ने इनवर्टर की बैटरी में शॉर्ट-सर्किट का हवाला देते हुए एक मस्जिद में विस्फोट के बारे में पुलिस को फोन कर बताया। मगर पुलिस के वहाँ पहुँचने से पहले ही अशफाक, कुतुबुद्दीन के साथ भाग गया था।” दरअसल अभियुक्तों से पूछताछ के दौरान विस्फोट में डॉ आलम के शामिल होने की पुष्टि की गई थी। जिसके बाद उसे तुरंत गिरफ्तार करने के लिए एक टीम को हैदराबाद भेजा गया।
ध्रुव कांत ठाकुर ने बताया कि डॉ आलम इस बात का ठोस जवाब देने में असमर्थ रहा कि वो पुलिस को फोन करने के बाद विस्फोट स्थल से क्यों भाग गया। पूछताछ के दौरान वह अन्य आरोपितों से भिड़ गया था। उन्होंने बताया कि मौलाना अजीमुद्दीन लगातार अपना बयान बदलता रहा। बता दें कि अजीमुद्दीन पश्चिम बंगाल का रहने वाला है। उसे बच्चों को नमाज पढ़ाने के लिए 6000 रुपए की तनख्वाह पर नियुक्त किया गया था। पहले तो अजीमुद्दीन ने अपने बयान में कहा कि विस्फोटक वाला बैग उसके इमाम बनने से पहले से ही मस्जिद में रखा गया था। और फिर उसने बयान बदलते हुए इस बैग को रखने के लिए कुतुबुद्दीन को जिम्मेदार ठहराया।
अजीमुद्दीन, डॉ आलम और कुतुबुद्दीन के अलावा पुलिस ने मामले में तीन अन्य आरोपितों- जावेद अंसारी, इज़हार और आशिक अंसारी को गिरफ्तार किया है। इन पर दंगा करने, धर्म का अपमान करने, आपराधिक साजिश रचने समेत कई मामले दर्ज किए गए। मस्जिद विस्फोट मामले में एक अन्य आरोपित सलाउद्दीन अंसारी उर्फ मुन्ना फिलहाल फरार चल रहा है।