उत्तराखंड के उत्तरकाशी स्थित एक निर्माणाधीन सुरंग में रविवार (12 नवंबर, 2023) 40 मजदूर फँस गए। 5 दिनों से ये मजदूर वहीं फँसे हुए हैं, उन्हें पाइप के माध्यम से ऑक्सीजन और भोजन पहुँचाया जा रहा है, उन्हें निकाले जाने के लिए कोशिश चल रही है। राहत कार्य की प्रक्रिया में देरी हो रही है, क्योंकि भूस्खलन और इस्तेमाल किए जा रहे मशीन के कारण समस्या आ रही है। ये सुरंग सिल्क्यारा और डंडलगाँव के बीच बनाई जा रही थी। ब्रह्मखाल-यमुनोत्री राजमार्ग पर इसका निर्माण किया जा रहा है।
उत्तरकाशी में घटनास्थल पर ‘हमारे आदमी निकालो’ के नारे लगाते हुए इस घटना में फँसे मजदूरों के साथी मजदूरों ने विरोध-प्रदर्शन भी किया। मजदूरों और उनके परिजन इस बात से नाराज़ हैं कि रेस्क्यू और रिलीफ के लिए वैकल्पिक व्यवस्था नहीं बनाई गई। भूस्खलन के कारण सुरंग का एक हिस्सा ढह गया और ये 40 मजदूर फँस गए थे, उसके बाद से ही ये ऑपरेशन चल रहा है। पाइप के माध्यम से उन्हें ऑक्सीजन-भोजन ही नहीं, बल्कि दवाएँ भी भेजी जा रही हैं।
भूस्खलन के कारण वहाँ के पत्थर कमजोर हो रहे हैं और रेस्क्यू ऑपरेशन में इसी कारण दिक्कत आ रही है। मंगलवार को एक और भूस्खलन हुआ था। रेस्क्यू में लगे 2 अन्य मजदूर भी घायल हो गए, जिनका अस्पताल में इलाज किया गया। हिमालय के क्षेत्र में सामान्यतया सॉफ्ट रॉक ही मिलते हैं। जिस इलाके में ये घटना हुई वहाँ के पत्थर कमजोर हैं और टूटे-फूटे हैं। इस कारण खुदाई में समस्या आती है। मजदूरों को निकालने के लिए स्टील के बड़े-बड़े पाइप लगाए जाने की प्रक्रिया चल रही है।
इस प्रक्रिया को ‘ट्रेंचलैस तकनीक’ कहते हैं। इस पाइप के माध्यम से मजदूरों को रेंगते हुए बाहर निकाले जाने की योजना है। अधिकारियों ने बताया कि जो मशीन मँगाई गई है वो पुरानी है। इसके बाद नई मशीन मँगाई जा रही है। 800-900 मिलीमीटर के पाइप लगाए जा रहे हैं। नए मशीनों से नई प्रक्रिया भी अपनाई जाएगी। इसके तहत 125 mm के पाइल के माध्यम से हवा-पानी-भोजन भेजा जा रहा है। साथ ही कम्युनिकेशन के लिए कैमरा वगैरह लगाया जा रहा है।
ये पाइप 12 मेटे डाली जा चुकी है। अमेरिका में बना ड्राई ड्रिलिंग उपकरण इसके लिए मँगाया भी जा रहा है। अगर ये प्रक्रिया सफल नहीं रही तो फिर पारंपरिक खुदाई के माध्यम से ‘पाइप रूफ अम्ब्रेला मेथड’ का इस्तेमाल किया जाएगा। रोज 10 मीटर के हिसाब से 5-6 दिन में एक पूरा का पूरा टनल बनाया जाएगा। एक परिजन ने अंदर फँसे अपने परिवार वाले से बात कर के बताया कि उन्हें नियमित रूप से भोजन वगैरह मिल रहे हैं। वहीं कुछ इस बात से चिंतित हैं कि कोई समयसीमा नहीं दी जा रही है।
आखिर इस सुरंग में ऐसी स्थिति कैसे पैदा हुई? विशेषज्ञ कह रहे हैं कि निर्माण से पहले ठीक तरीके से जाँच-परख नहीं की गई, ये एक कारण हो सकता है। सर्वे और इन्वेस्टीगेशन में समय लगता है, पैसा भी लगता है – ऐसे में क्या प्रोटोकॉल्स का ठीक से पालन नहीं किया गया जल्दी-जल्दी परियोजना पूरा करने के चक्कर में? इसी में पर्यावरण एक्टिविस्ट भी सक्रिय हो गए हैं और कह रहे हैं कि पहाड़ों में कंस्ट्रक्शन का काम इतनी अधिक मात्रा में नहीं होनी चाहिए।
#WATCH | Union Minister General VK Singh (Retd) arrives at Silkyara tunnel in Uttarkashi to review progress of the ongoing rescue operation to save the lives of 40 workers stuck inside the tunnel following land slide pic.twitter.com/9W1CdqBCLr
— ANI (@ANI) November 16, 2023
‘राष्ट्रीय राजमार्ग और अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड’ (NHIDCL) ने भारतीय वायुसेना से भी मदद माँगी है। उधर 25 टन भारी अमेरिकी ड्रिलिंग मशीन भी दिल्ली से चिन्यालीसौर एयरस्ट्रिप तक लाया जा चुका है। इस मशीन को वहाँ इनस्टॉल करने में भी 4 घंटे के आसपास लगेंगे। थाईलैंड की गुफा में फँसे 12 युवकों को निकालने वाले कर्मियों से भी संपर्क किया जा रहा है। केंद्रीय मंत्री जनरल (रिटायर्ड) VK ने भी घटनास्थल पर पहुँच कर स्थिति का जायजा लिया। थाईलैंड और नॉर्वे के विशेषज्ञों से भी ऑनलाइन मदद ली जा रही है।
वीके सिंह ने बताया कि 2 किलोमीटर के क्षेत्र में ये मजदूर फँसे हुए हैं। उन्होंने जानकारी दी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी भी इस प्रक्रिया में लगे हुए हैं। उन्होंने बताया कि नई मशीन की शक्ति और गति ज़्यादा है। उन्होंने 2-3 दिन में रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा होने की उम्मीद जताई और सभी विकल्पों के इस्तेमाल की बात कही। उन्होंने कहा कि अन्य देशों के विशेषज्ञों और भारत की रेलवे, माइनिंग जैसी एजेंसियों की मदद ली जा रही है।