वाराणसी की अदालत ने ज्ञानवापी परिसर का सर्वे ASI (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) से सर्वे कराने की माँग को स्वीकार कर लिया है। वाराणसी की जिला अदालत में 4 महिलाओं ने इस बाबत याचिका दायर की थी। उन्होंने माँग की थी कि कथित ‘वजूखाने’ के अलावा बाकी पूरे ज्ञानवापी परिसर का सर्वे ASI से करवाया जाए, जहाँ विवादित ढाँचा स्थित है वहाँ का भी। ASI सर्वे से ये पता लगाने की माँग की गई है कि क्या मंदिर को ध्वस्त कर के उसके ऊपर मस्जिद बनाई गई।
डिस्ट्रिक्ट जज AK विश्वेश्वा ने दोनों पक्षों को 14 जून, 2023 को सुना था। इसके बाद उन्होंने शुक्रवार (21 जुलाई, 2023) को निर्णय सुनाया कि महिला हिन्दू श्रद्धालुओं की याचिका को स्वीकार किया जाता है। इस संबंध में मई में ही कोर्ट में एप्लिकेशन दायर किया गया था। इसके लिए सेक्शन-75(e) और CPC के नियम-10A के ऑर्डर-26 का हवाला दिया गया था। ज्ञानवापी परिसर में साल भर पूजा की अनुमति के लिए पहले से ही इन महिला श्रद्धालुओं की याचिका अदालत में लंबित है।
महिला श्रद्धालुओं ने अपने इस एप्लिकेशन में बताया है कि जिस जगह को मुस्लिम ‘ज्ञानवापी मस्जिद’ कहते हैं, वहाँ स्वयंभू ज्योतिर्लिंग लाखों वर्षों से स्थित है। साथ ही इसका भी जिक्र किया गया है कि कैसे ककई बार इस्लामी आक्रांताओं द्वारा यहाँ स्थित मंदिर को ध्वस्त किया गया। इसमें इसका भी जिक्र किया गया है कि सन् 1017 में महमूद गजनी के आक्रमण के साथ ही प्रतिमाओं और मूर्तिपूजकों से अपनी घृणा का प्रदर्शन करते हुए मंदिर को क्षतिग्रस्त कर दिया गया था।
#WATCH | Gyanvapi case: Vishnu Shankar Jain, representing the Hindu side in the Gyanvapi mosque case, says, "I have been informed that my application has been approved and the court has directed to conduct an ASI survey of the Gyanvapi mosque complex, excluding the Wazu tank… pic.twitter.com/TX4hXzyZ5j
— ANI (@ANI) July 21, 2023
अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने इस संबंध में अधिक जानकारी देते हुए बताया, “कई खास अवधि में ये तथाकथित मस्जिद खाली रहती है, ऐसे में उस समय ASI सर्वे करता है तो नमाज भी बाधित नहीं होगी। राम मंदिर के समय ASI को रिपोर्ट देने में 3 साल लगे थे, लेकिन वहाँ परिसर बड़ा था। यहाँ भी 3 से 6 महीने लग सकते हैं। इसमें बहुत मॉडर्न तकनीकों का इस्तेमाल होगा, राडार वगैरह लगाए जाएँगे और जिओलॉजिस्ट्स को भी बुलाया जाएगा।”
उन्होंने बताया कि उनके एप्लिकेशन संख्या 127 को स्वीकार कर लिया गया है और इस संबंध में कैविएट भी दाखिल की जाएगी। उन्होंने कहा कि अगर इसके खिलाफ मुस्लिम पक्ष हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट जाता है तो वो जा सकता है। इससे पहले मई 2023 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ढाँचा परिसर में स्थित माता श्रृंगार गौरी पूजा को लेकर मुस्लिम पक्ष की आपत्ति को खारिज कर दी थी। अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी ने जिला जज वाराणसी के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।।