Saturday, November 16, 2024
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बोर्ड पर लिखा था ज्ञानवापी ‘मस्जिद’, रोशन पाण्डेय ने चिपका दिया ‘मंदिर’ का स्टीकर: FIR के बाद बोले कोर्ट के आदेश के बाद यह मंदिर

1 फरवरी 2024 को रोशन पाण्डेय ने वाराणसी में 'ज्ञानवापी मस्जिद' लिखे साइन बोर्ड पर हरे रंग के मंदिर लिखे स्टीकर चिपकाए थे। उनका यह वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ था। उन्होंने यह कदम वाराणसी जिला न्यायालय के निर्णय के बाद उठाया था, जिसमें हिन्दुओं को ज्ञानवापी के भीतर व्यास तहखाने में पूजा की अनुमति दी गई थी।

वाराणसी कोर्ट के आदेश के बाद ज्ञानवापी के व्यास जी तहखाने में पूजा प्रारंभ होने के दौरान एक वीडियो वायरल हुआ था। इसमें एक व्यक्ति को उस बोर्ड पर ‘मंदिर’ का स्टीकर चिपकाते देखा गया था, जिस पर ‘ज्ञानवापी मस्जिद’ लिखा हुआ था। स्टीकर चिपकाने वाले व्यक्ति राष्ट्रीय हिन्दू दल के अध्यक्ष रोशन पाण्डेय थे। अब उन पर पुलिस ने धार्मिक भावनाएँ भड़काने के मामले में FIR दर्ज की है।

पाण्डेय वाराणसी के सामने घाट इलाके के गंगोत्री विहार में रहते हैं। उन्होंने साइनबोर्ड पर ज्ञानवापी के आगे लिखे ‘मस्जिद’ शब्द के ऊपर मंदिर के स्टीकर अंग्रेजी और हिंदी दोनों में चिपकाए थे। उन्होंने यह काम वाराणसी जिला न्यायालय से हिन्दुओं को ज्ञानवापी ढाँचे के व्यास तहखाने में पूजा करने की अनुमति मिलने के बाद किया था।

टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार रोशन पाण्डेय हिन्दू समाज पार्टी के भी प्रदेश सचिव हैं। वे मूल रूप से बिहार के गया के रहने वाले हैं। उनके खिलाफ पुलिस ने धारा 153A (दो समूहों के बीच धार्मिक, भाषायी आया नस्लीय आधार पर भावनाएँ भड़काना), 505(2) (किसी धार्मिक, नस्लीय या भाषायी समूह के बारे में उलटी सीधी खबर फैलाना), 295A (जानबूझकर धार्मिक भावनाएँ भड़काना) और आईटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया है।

मामला दर्ज किए जाने से पहले रोशन पाण्डेय ने एक वीडियो जारी किया था। इसमें वह कहते दिखते हैं कि वारणसी कोर्ट ने हिन्दुओं को ज्ञानवापी के तहखाने में पूजा करने की इजाजत दे दी है, इसलिए यह मंदिर है। पाण्डेय ने बताया कि उन्होंने इसी के चलते मस्जिद के साइनबोर्ड को मंदिर से ढक दिया।

उनका कहना है कि कोर्ट के आदेश के बाद उनका ऐसा करना कानूनी तौर पर सही है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहले भी इस बात पर जोर दिया है कि ज्ञानवापी को मस्जिद कहना सही नहीं है। हालिया ASI की रिपोर्ट भी यही बताती है कि मस्जिद का निर्माण मंदिर को तोड़ कर किया गया था।

पाण्डेय ने कहा कि पुराना साइनबोर्ड श्रद्धालुओं में भ्रम पैदा कर रहा था, इसलिए उन्होंने इसे बदलने का फैसला किया। वे इससे पहले प्रशासन से भी साइन बोर्ड बदलने की अपील कर चुके थे। उन्होंने मुख्यमंत्री और पर्यटन विभाग से भी यह अपील की थी। रोशन पाण्डेय ने दावा किया कि उनके आवेदन स्वीकार नहीं किए गए, इसलिए उन्होंने राष्ट्रीय हिन्दू दल के साथ खुद ही इसे बदलने का निर्णय लिया।

उन्होंने दावा किया कि वारणसी का जिला प्रशासन इस कृत्य के लिए उनके खिलाफ एक्शन की धमकी दे रहा है। उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इस मामले का संज्ञान लेने की अपील की है। सोशल मीडिया पर यह भी दावे हो रहे हैं कि रोशन पाण्डेय पर एससी/एसटी एक्ट लगाया गया है।

इस बीच वाराणसी पुलिस ने पाण्डेय को तलाशने के लिए अभियान चलाया हुआ है। पुलिस का कहना है कि पाण्डेय अभी फरार हैं। लंका थाने के दारोगा शिवाकांत मिश्रा का कहना है कि FIR नगवा पोस्ट के इंचार्ज अजय यादव की शिकायत के आधार पर दर्ज की गई है।

गौरतलब है कि 1 फरवरी 2024 को रोशन पाण्डेय ने वाराणसी में ‘ज्ञानवापी मस्जिद’ लिखे साइन बोर्ड पर हरे रंग के मंदिर लिखे स्टीकर चिपकाए थे। उनका यह वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ था। उन्होंने यह कदम वाराणसी जिला न्यायालय के निर्णय के बाद उठाया था, जिसमें हिन्दुओं को ज्ञानवापी के भीतर व्यास तहखाने में पूजा की अनुमति दी गई थी। हाल ही में ज्ञानवापी पर आई ASI सर्वे की रिपोर्ट में बताया गया है कि यहाँ मौजूद वर्तमान मस्जिद से पहले कभी विशाल हिन्दू मंदिर था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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