ज्ञानवापी विवादित ढाँचे के पूरे सर्वे की माँग के विरोध में अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी ने वाराणसी कोर्ट में एप्लीकेशन दायर की है। इस एप्लीकेशन में न केवल हिंदुओं की याचिका का विरोध किया गया बल्कि औरंगजेब के आतंक को धो-पोंछने का प्रयास भी हुआ है। इसमें कहा गया है औरंगजेब निर्दयी नहीं था और उसने आदि विशेश्वर मंदिर को नहीं तोड़ा था।
बता दें कि हिंदुओं ने पूरे विवादित ढाँचे के एएसआई सर्वे के लिए याचिका डाली थी। इसमें उन्होंने कहा था भगवान आदि विशेश्वर मंदिर को मुस्लिम आक्रमणकारियों ने तोड़ दिया था। बाद में राजा टोंडल ने सन् 1580 में इसका दोबारा निर्माण कराया।
#JustIN | "Neither Mughal emperor Aurangzeb was cruel, nor did he demolish any Adi Vishweshwar Temple in Varanasi": says Gyanvapi Mosque Committee in #VaranasiCourt opposing Hindu Worshippers' Plea For ASI Survey Of Mosque Premises.#GyanvapiCase #GyanvapiSurvey pic.twitter.com/JrfU6qeQ7B
— Live Law (@LiveLawIndia) May 24, 2023
कमेटी ने अब इसी याचिका का विरोध करते हुए कहा है दो काशी विश्वनाथ मंदिरों की कोई अवधारणा है ही नहीं। इसके अलावा उन्होंने ‘आक्रमणकारी’ शब्द के प्रयोग पर भी आपत्ति जताई। कमेटी ने इसे हिंदू और मुस्लिमों के बीच नफरत फैलाने का एक प्रयास बताया।
एप्लीकेशन में कहा गया, “जमीन पर जो मस्जिद आलमगिरी/ज्ञानवापी मस्जिद है वो हजारों सालों से है। वह कल भी मस्जिद था और अब भी मस्जिद ही है। वाराणसी के मुसलमान या पड़ोसी जिलों के मुसलमान, अधिकार के नाते और बिन किसी पाबंदी के नमाज पंजगाना और नमाज जुमा और नमाज इदान यहाँ अदा कर रहे हैं।”
कमेटी यह भी मानने से इनकार करती है कि विवादित ढाँचे के परिसर में कोई शिवलिंग बरामद हुआ है। उनका अब भी यही कहना है कि वो एक फव्वारा है। वो कोर्ट से माँग करते हैं कि हिंदू श्रद्धालुओं की याचिका को खारिज कर दिया जाए।
मालूम हो कि अप्रैल 2021 में वाराणसी के सिविल जज ने विवादित ढाँच की एएसआई जाँच के लिए ऑर्डर पास किया था। इसपर मुस्लिमों ने इलाहाबाद कोर्ट में याचिका लगाई। मामला की सुनवाई हुई और दलीलों के बाद फैसला रिजर्व रख लिया गया। मस्जिद कमेटी का कहना है कि ऐसी स्थिति में एएसआई सर्वे का निर्देश नहीं दिया जा सकता है।
बता दें कि हिंदुओं ने वकील विष्णु शंकर जैन के माध्यम से याचिका देते हुए माँग उठाई है कि विवादित ढाँचे का पूरा सर्वे ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार का इस्तेमाल होते हुए होना चाहिए। इस पर कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष से और यूपी सरकार को आपत्ति जाहिर करने के लिए 19 मई का समय दिया। अब मामले में एप्लीकेशन दायर हो गई है। मामले की अगली सुनवाई 7 जुलाई है।
औरंगजेब नहीं था क्रूर…कितना सच?
उल्लेखनीय है कि इस एप्लीकेशन में मस्जिद कमेटी ने दावा किया है कि औरंगजेब ने भगवान विशेश्वर के मंदिर को नहीं तोड़ा। जबकि इतिहास की किताबों में यह विदित है कि सन् 1669 CE में काशी विश्वनाथध मंदिर पर औरंगजेब ने हमला किया था। उसने मंदिर को तुड़वाकर ज्ञानवापी मस्जिद बनाया। इसके प्रमाण अब भी विवादित ढाँचों के खंबों में देखने को मिल जाते हैं।
हिंदू श्रद्धालु जिस काशी विश्वनाथ परिसर में आज पूजा करते हैं वो ज्ञानवापी मस्जिद के सामने हैं। इसे महान अहिल्या बाई होल्कर ने इंदौर में 1780 में बनवाया था। मासिर-ई-आलमगिरी में इस बात का उल्लेख मिलता है कि अप्रैल 1669 को औरंगजेब ने एक फरमान जारी किया था जिसमें काफिरों के स्कूल और मंदिर तोड़ने का आदेश दिया गया था। इसके अलावा इस फरमान के बारे में वाराणसी गजेटियर में भी पढ़ने को मिलता है जो 1965 में प्रकाशित हुआ था।