Wednesday, May 1, 2024
Homeविविध विषयभारत की बात18 अप्रैल 1669... जब औरंगजेब ने काशी विश्वनाथ मंदिर को ध्वस्त करने का दिया...

18 अप्रैल 1669… जब औरंगजेब ने काशी विश्वनाथ मंदिर को ध्वस्त करने का दिया था आदेश, साढ़े 4 महीने में कर ली गई थी तामील

आलमगीरी मस्जिद प्रमाण है, औरंगजेब की कट्टरता का। 18 अप्रैल 1669 को औरंगजेब ने एक फरमान जारी कर काशी विश्वनाथ मंदिर ध्वस्त करने का आदेश दिया। यह फरमान एशियाटिक लाइब्रेरी, कोलकाता में आज भी सुरक्षित है। उस समय के लेखक साकी मुस्तइद खाँ द्वारा लिखित 'मासीदे आलमगिरी' में इस ध्वंस का वर्णन है।

वाराणसी के फास्ट ट्रैक कोर्ट ने जब काशी विश्वनाथ मंदिर को जबरन ढाह कर बनाई गई आलमगीरी मस्जिद के पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) द्वारा सर्वे का फैसला दिया, तो कल (8 अप्रैल 2020) नासमझ हिंदू इस पर बल्लियों उछल रहे थे। यह सचमुच दुःख और हैरानी की बात है कि एक हिंदू राष्ट्र (भले ही संवैधानिक तौर पर इसमें धर्मनिरपेक्षता का पुछल्ला एक तानाशाह ने जोड़ दिया हो) में हिंदुओं को अपने सबसे बड़े आराध्यों के लिए बने मंदिर के लिए इतनी छोटी जीत पर भी उचक-उचक कर खुश होना पड़ता है।

यह कोई बधाई या प्रसन्नता की बात नहीं है और इसके दो कारण हैं। आज भी जब आप काशी विश्वनाथ के दर्शन को जाएँगे, तो उसकी ठीक बगल में जो आलमगीरी मस्जिद है (जिसे ज्ञानवापी भी कहा जाता है) – उसको देखकर एक धर्मप्राण हिंदू होने के नाते आपके आँसू निकल आएँगे। मस्जिद की दीवारों को देखकर ही समझ में आ जाता है कि उसे किसी ध्वस्त मंदिर के मलबे से बनाया गया है, यहाँ तक कि कुछेक जगहों पर तो दीवारों को भी नहीं मिलाया गया है।

जिस तरह दिल्ली में कुतुबमीनार साफ-साफ मंदिरों के मलबे से बना दिखता है (और शर्मनाक तरीके से वहाँ ASI ने बोर्ड भी लगा रखा है), उसी तरह काशी-विश्वनाथ मंदिर की छाती पर पैबस्त आलमगीरी मस्जिद भी मंदिर पर निर्मित है, यह बात केवल आँख के अंधों को ही नज़र नहीं आएगी। अयोध्या में भगवान राम के मंदिर का निर्माण प्रशस्त करने का फैसला जब 9 नवंबर को आ रहा था, तो भी मैंने लिखा था कि यह बधाई या प्रसन्नता की कोई बात नहीं है।

लगभग 500 वर्षों के संघर्ष के बाद हिंदुओं को अपने आराध्य के पूजन का, उनके मंदिर का अधिकार मिला है। इसके साथ ही अदालत ने 5 एकड़ का मुआवजा भी थमा दिया है, जो हिंदुओं के ऊपर जुर्माने से कम नहीं है। भाई, मुकदमा तो इसका था न कि अयोध्या में मंदिर को तोड़कर (भारत की अधिकांश मस्जिदें, मंदिर तोड़कर बनीं) मस्जिद बनाई गई, वह स्थल हिंदुओं के आराध्य की जगह है, उसे वापस हिंदुओं को देना है।

इसमें 5 एकड़ मुआवजा क्यों देना था? हिंदुओं को तो राम के अस्तित्व का प्रमाण देना पड़ा, अदालती लड़ाई में कूदना पड़ा, जो राम इस देश के कण-कण में हैं, उस राम को झुठलाने के जिहादी-वामपंथी षड्यंत्र का कालकूट पीना पड़ा। इसमें बधाई की कौन सी बात थी। अब केवल सर्वेक्षण मात्र के फैसले पर कई सेक्युलर-कुबुद्धिजीवी खुलकर न्यायालय के फैसले की आलोचना कर रहे हैं। ओवैसी जैसा जिहादी सीना ठोक कर मुखालफत करता है।

वह कहता है कि राम जन्मभूमि की तरह ही इस मामले में भी बेईमानी की जाएगी। ध्यान दीजिएगा, उसके शब्दों पर। कौमी-कॉन्ग्रेसी-कुबुद्धिजीवियों ने अयोध्या के फैसले पर हमें याद दिलाया था कि ‘तथ्यों के मुकाबले आस्था को प्राथमिकता’ डील पर यह निर्णय हुआ। कुतुबमीनार हो या ज्ञानवापी, भोजशाला हो या मथुरा, ढाई दिन का झोपड़ा हो या कोई भी बुलंद मस्जिद, वह हिंदुओं के स्वाभिमान को ध्वस्त करने के लिए उनके परम पूज्य आराध्यों के मंदिरों को भूमिसात कर बनाई गई हैं।

आज भी उनके साक्षात प्रमाण हिंदुओं को मुँह चिढ़ाते हैं, उसके ज़ख्मों पर नमक छिड़कते हैं। और ये मक्कार, झूठे, लबार तथ्यों की बात करेंगे, जिन्होंने रोमिला-हबीब जैसे उपन्यासकारों के जरिए भयानक झूठ बोले, षड्यंत्र किए और जन्मभूमि के मामले को उलझाने की कोशिश की? कौन नहीं जानता है कि इस्लाम इस देश में एक हाथ में कुरान और दूसरे हाथ में तलवार लेकर आया था। कौन नहीं जानता है कि मुगलों के दो सौ वर्षों के शासनकाल में, उनके सबसे सेकुलर राजाओं यथा अकबर और शाहजहाँ ने भी हिंदुओं के मंदिर तोड़े, जजिया लगाया और धर्म-परिवर्तन कराया।

कौन नहीं जानता है कि गायों को हरावल दस्ते में आगे रखकर हिंदुओं को जीतने वाले कायर रेगिस्तानी बर्बरों ने हिंदुओं की चेतना को खत्म करने के लिए मंदिरों को अपवित्र किया, मूर्तियाँ तोड़ीं और बलात्कार किए। काशी-विश्वनाथ हो या राम-मंदिर, मथुरा हो या 30 हजार मंदिरों को तोड़ना और कब्जाना, आप इस देश में जहाँ कहीं भी एक भव्य मंदिर देखेंगे, ठीक उसके साथ ही, उसकी बगल में मस्जिद तामीर कर, 5 बार लाउडस्पीकर से चीखती-पुकारती आवाज़ आप हरेक शहर में सुन सकते हैं। पटना के महावीर मंदिर से लेकर मुंबई का खारघर तक, यही कहानी है।

आलमगीरी मस्जिद प्रमाण है, औरंगजेब की कट्टरता का। 18 अप्रैल 1669 को औरंगजेब ने एक फरमान जारी कर काशी विश्वनाथ मंदिर ध्वस्त करने का आदेश दिया। यह फरमान एशियाटिक लाइब्रेरी, कोलकाता में आज भी सुरक्षित है। उस समय के लेखक साकी मुस्तइद खाँ द्वारा लिखित ‘मासीदे आलमगिरी’ में इस ध्वंस का वर्णन है। 2 सितंबर 1669 को औरंगजेब को मंदिर तोड़ने का कार्य पूरा होने की सूचना दी गई थी।

1777-80 में इंदौर की महारानी अहिल्याबाई द्वारा इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया गया था। अहिल्याबाई होलकर ने इसी परिसर में विश्वनाथ मंदिर बनवाया जिस पर पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह ने सोने का छत्र बनवाया। ग्वालियर की महारानी बैजाबाई ने ज्ञानवापी का मंडप बनवाया और महाराजा नेपाल ने वहाँ विशाल नंदी प्रतिमा स्थापित करवाई। नंदी प्रतिमा का मुख उल्टा होने का रहस्य यही है कि पहले मंदिर जहाँ थी, वहाँ मस्जिद बना ली गई।

इतिहास को विकृत करने की कॉन्ग्रेसी-कम्युनिस्ट कोशिशें परवान नहीं चढ़ सकी हैं औऱ बारहाँ इतिहास कब्र से जीवित होकर उठ खड़ा होता है। ऐतिहासिक दस्तावेज चीख-चीख कर कहते हैं कि मुहम्मद गोरी से लेकर औरंगजेब तक काशी विश्वनाथ ने जितने बर्बर आक्रमण झेले हैं, उसके बावजूद काशी की आत्मा बची है, तो केवल बाबा विश्वनाथ की महिमा से, हिंदुत्व की ज्योति से। और अंत में अचानक से कुछ धिम्मियों की आत्मा जागी है, उनके अंग-विशेष से आँसू निकल रहे हैं।

वे हमें सिखा रहे हैं कि ‘प्रतिक्रिया देना मजहब विशेष से सीखें। उन्होंने जो संयम दिखाया है, उसे देखकर हिंदुओं को शर्म आनी चाहिए।’ पहली बात, सरकार के इक़बाल और पूरी तैयारी की वजह से हमारे ‘शांतिदूत’ भाई चुप हैं। हालाँकि, यह एक वृहत तैयारी के पहले की खामोशी भी हो सकती है। हिन्दू असहिष्णु होता न तो दिल्ली, पटना, मध्य प्रदेश, गुजरात, यूपी… कोई भी जगह शांत न रहती, जहाँ सीधे नंगी आँखों को मंदिरों के ऊपर तामीर की गई मस्जिद दिखाई देती है।

तीसरी और अंतिम बात, यह दूसरा मजहब यदि सचमुच सहिष्णु है तो तत्काल कम से कम काशी और मथुरा के मंदिरों को खुद खाली करे और हिंदुओं के साथ वहाँ भव्य मंदिर बनवाए। बाकी, 30 हज़ार मंदिरों की तो बात भी नहीं हुई है।

(यह लेख वरिष्ठ पत्रकार व्यालोक ने लिखा है)

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

Vyalok
Vyalokhttps://www.vitastaventure.com/
स्वतंत्र पत्रकार || दरभंगा, बिहार

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

बंगाल, आंध्र प्रदेश, केरल, तमिलनाडु…. हर जगह OBC का हक मार रहे मुस्लिम, यूँ ही PM मोदी को नहीं कहना पड़ा- मेरे जीते जी...

पीएम मोदी ने कहा कि वे जब तक जिंदा हैं, तब तक देश में धर्म के आधार पर आरक्षण लागू नहीं होने देंगे। हालाँकि, कुछ राज्यों में मुस्लिम आरक्षण है।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अयोध्या में रामलला के किए दर्शन: हनुमानगढ़ी में आशीर्वाद लेने के बाद सरयू घाट पर सांध्य आरती में भी हुईं...

देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू अयोध्या पहुँची। राष्ट्रपति ने सबसे पहले हनुमानगढ़ी में दर्शन किए। वहाँ पूजा-अर्चना के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू रामलला के दर्शन करने पहुंचीं।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -