कैथोलिक ईसाईयों की सबसे बड़ी संस्था वैटिकन चर्च ने बलात्कार के आरोपित बिशप फ्रैंको मुल्लकल के खिलाफ आवाज़ उठाने वाली नन के निष्कासन को सही ठहराते हुए उनकी अपील नामंजूर कर दी है। इसके पीछे कारण बताया गया कि उनकी जीवनचर्या “FCC नियमों के खिलाफ” थी, और नियमों के उललंघन का एक हिस्सा बिशप मुल्लकल के विरुद्ध सार्वजनिक रूप से बोलना भी था। FCC (फ्रैंसिस्कन क्लैरिस्ट कॉन्ग्रेगेशन) रोमन कैथोलिक चर्च का ही एक अंग है।
The Congregation of Oriental Churches in the Vatican has rejected appeal of Sister Lucy Kalappura against her dismissal from Franciscan Clarist Congregation. She is one of the nuns who had participated in the protest against rape accused Franco Mulakkal. (file pic) pic.twitter.com/cTojpSn61h
— ANI (@ANI) October 17, 2019
‘मेरी समझ के परे पत्र की भाषा, नहीं छोड़ूंगी हॉस्टल’
NDTV से बात करते हुए सिस्टर लूसी ने कहा कि वैटिकन के पत्र की अधिकाँश भाषा उनकी समझ के परे है, इसलिए वे इस इंतज़ार में हैं कि कॉन्ग्रेगेशन के वरिष्ठ सदस्य उन्हें अपनी ओर से उनकी समझ में आने वाली भाषा में पत्र लिखें। पत्र का केवल पहला हिस्सा अंग्रेजी में है, बाकी का पत्र चर्च की मूल भाषा लैटिन में है। उन्होंने उस पत्र में किसी द्वितीय अपील की संभावना और उसकी अंतिम तिथि की भी संभावना तो जताई, लेकिन साथ ही साफ़ किया कि वे क़ानूनी विकल्पों के संभावना भी तलाश रहीं हैं। “किसी भी परिस्थिति में मैं हॉस्टल छोड़ कर जाने की इच्छुक नहीं हूँ।”
गाने, किताबें प्रकाशित करना भी ‘गुनाह’
जीवन के छठे दशक में मौजूद सिस्टर लूसी कलाप्पुरा को निकालने का निर्णय उनका पक्ष सुने बिना ही लिए जाने की बात मीडिया में कही जा रही है। न्यूज़ 18 ने उनके हवाले से लिखा है, “अगर वे चाहते, तो मेरा पक्ष कम-से-कम फ़ोन पर सुन सकते थे। लेकिन ऐसा नहीं किया गया। मेरे साथ इंसाफ नहीं हुआ है।”
अगस्त में किए गए उनके निष्कासन के पीछे जो आरोप हैं, उनमें बिशप फ्रैंको मुल्लकल पर बलात्कार का आरोप लगाने वाली नन के पक्ष में सार्वजनिक बयान देने और उनका समर्थन करने के अतिरिक्त किताबों और गानों का प्रकाशन और उनसे कमाई, कार खरीदने और चलाने जैसे आरोप शामिल हैं।
यह साफ़ कर देना ज़रूरी है कि कैथोलिक चर्च के नन और पादरी गरीबी की शपथ (vow of poverty) अवश्य लेते हैं, जिसके आधार पर सिस्टर लूसी ने यदि पैसे कमाए या कार खरीदी हो तब तो उन पर मामला बनता है, लेकिन किताबों और गानों के महज़ प्रकाशन की बात करें, तो चर्च और चर्च के सदस्यों की मज़हबी प्रचार गतिविधियों का यह खुद हिस्सा है। इसी तरह, कैथोलिक चर्चों के कई पादरी कार चलाते हुए देखे जा सकते हैं।
फ़िलहाल सिस्टर लूसी वायनाड के कॉन्वेंट में रह रहीं हैं, जहाँ उन्हें अन्य ननों द्वारा सामाजिक रूप से बहिष्कृत किया जा चुका है। न केवल सामाजिक बहिष्कार, बल्कि उन्हें चर्च की मूल मज़हबी गतिविधियों, जैसे बाइबिल की शिक्षा और उसका प्रचार, चर्च में ईसा मसीह से प्रार्थना करना आदि, जोकि हर ईसाई के पंथिक अधिकार हैं, से भी रोक दिया गया है।
फ्रैंसिस्कन क्लैरिस्ट कॉन्ग्रेगेशन ने अगस्त में ही उनकी माँ को पत्र लिख कर उन्हें कॉन्वेंट से ले जाने को कह दिया था।
ड्राइविंग लाइसेंस बनवाना ‘चर्च के नियमों’ का उल्लंघन?
कार चलाने के अलावा उन पर कार चलाना सीखने और लाइसेंस बनवाने का भी आरोप है। इसे चर्च ने ‘grave violations’ (गंभीर उल्लंघन’) की संज्ञा दी है। उन पर ऐसे ही कुल 14 आरोप लगाए गए हैं, जिन्हें उन्होंने जाबूझकर अपनी छवि खराब करने की साजिश के रूप में ख़ारिज कर दिया है।
मुख्य आरोप, बिशप फ्रैंको मुल्लकल के खिलाफ नन के समर्थन, के बारे में उनका कहना है, “मैंने केवल अपने कर्तव्य का निर्वहन किया। यह मेरा दायित्व था कि अपनी ईसाई यात्रा में ऐसा भयावह अनुभव झेलने वालीं असहाय सिस्टर्स को सांत्वना और सहायता देना। इसे विद्रोह के रूप में देखा और प्रस्तुत किया जाना गलत है।”