राजस्थान की राजधानी जयपुर में शुक्रवार (20 दिसंबर 2024) को एलपीजी टैंकर में ब्लास्ट हुआ था। इस हादसे में अब तक 13 मौतें हो चुकी हैं। मृतकों में एक रिटायर्ड IAS भी शामिल हैं। लगभग 30 लोग बुरी तरह से झुलस गए हैं जिनका इलाज चल रहा है। अब इस हादसे के चश्मदीदों की आँखों देखी आपबीती सामने आ रही हैं। कई लोग तो ऐसे भी थे जो जान बचाने के लिए जलते हुए 2 किलोमीटर तक भागते रहे।
शुक्रवार की सुबह जयपुर के भांककोटा इलाके में एलपीजी गैस से भरे टैंकर को ट्रक ने टक्कर मार दी थी। इस टक्कर से लगभग 18 टन ज्वलनशील गैस सड़क सहित आसपास के पूरे इलाके में जोरदार धमाके से फ़ैल गई थी। धमाका इतना तेज था कि टैंकर से लगभग 300 मीटर दूर तक आग फ़ैल गई। इन परिधि में तमाम बस, ट्रक और बाइक के साथ खेतों में मौजूद किसान और आसपास के मकानों में रहने वाले लोग भी आ गए।
कई लोगों दिखे देवदूत की भूमिका में
TOI के मुताबिक सड़क पर जब आग फ़ैल गई थी तो टैंकर के आसपास मौजूद कई वाहनों से लोग उतर कर खेतों की तरफ भागे। इसमें कई लोग ऐसे भी थे जिनके कपड़े और खाल जल चुकी थी। हालाँकि जान बचाने के लिए वो मदद की आस में बदहवास हो कर भागते रहे। काफी दूर चल कर उन्हें एक फार्म हाउस में शरण मिली। फार्म हाउस के मालिक भंवर लाल ने भी हादसे में शिकार लोगों को लहूलुहान हालत में अपने दरवाजे पर देखा। लोग मदद के लिए चिल्ला रहे थे। भंवर लाल ने उनकी यथासंभव मदद भी की।
जिस जगह टैंकर में ब्लास्ट हुआ वहाँ पास ही कंडोई अस्पताल है। इस अस्पताल की तरफ खेतों की दिशा से भाग रहे कई लोग अंत में यहाँ की चारदीवारी के पास आ कर रुक गए। ये सभी जल्द से जल्द अस्पताल में घुसना चाह रहे थे लेकिन लगभग झुलसी अवस्था में लगभग 8 फ़ीट ऊँची चारदीवारी को फाँद पाना उनके लिए सम्भव नहीं था। इसी दौरान पास ही के एक किसान राकेश सैनी ने पीड़ितों के लिए सीढ़ी का इंतजाम किया। इसी सीढ़ी से तमाम घायल अस्पताल कैम्पस में पहुँच पाए। खुद राकेश ने उन्हें सहारा दिया।
कंडोई अस्पताल डॉ रमन का है। वो मौके पर मौजूद मिले। डॉ रमन के मुताबिक लगभग 30 लोग बुरी तरह से झुलसे हुए थे जो दर्द से कराह रहे थे। इन सभी को तत्काल उपलब्ध संसाधनों से इलाज दिया गया। ज्यादा गंभीर घायलों को SMS (सवाई मान सिंह) अस्पताल में शिफ्ट करवाया गया।
मंजर याद कर के सिहर रहे हैं पीड़ित
जिस ट्रक से टैंकर में टक्कर हुई उसे मैनपुरी UP के संजेश यादव चला रहे थे। संजेश यादव के अंतिम संस्कार के लिए उनके भाई को पोटली में बँधी कुछ हड्डियाँ मिल पाईं। उनका पूरा शरीर जल गया। हड्डियाँ पाने के लिए भी संजेश के भाई इंद्रजीत को अपना DNA सैम्पल देना पड़ा था। वहीं घटनास्थल से गुजर रही एक बस में सवार नरेश कुमार मीणा ने भास्कर को बताया कि उनको पहले एलपीजी की तेज गंध आई। कोई कुछ समझ पता इसे से पहले जोरदार धमाका हुआ और हर तरफ आग ही आग फ़ैल गई।
नरेश कुमार मीणा ने बताया कि आग लगते ही भगदड़ और चीख पुकार मच गई। जिसे जिधर भी जगह दिखी वो उसी तरफ भगा। जिस स्लीपर बस में नरेश सवार थे वो आग का गोला बन गई। लगभग आधे दर्जन झुलसे साथियों के साथ नरेश कुमार अस्पताल में अपना इलाज करवा रहे हैं। घटनास्थल से अपनी पिकअप ले कर गुजर रहे गजराज सिंह तंवर ने बताया कि उनको चारों तरफ धूल का गुबार नजर आया था। तभी आग लग गई। लगभग 400 मीटर भाग कर गजराज सिंह ने अपनी जान बचाई।
गजराज की दोनों जाँघें बुरी तरह से झुलस गई हैं। उनके पीछे लगभग 1 दर्ज लोग जान बचाने के लिए चिल्लाते हुए दौड़ रहे थे। हालाँकि उनमें से कुछ दीवाल तक नहीं पहुँच पाए। एक अन्य चश्मदीद दीवान सिंह ने बताया कि धमाके के समय वो एक स्लीपर बस में सवार थे। कुछ ही देर में बस के अंदर धुँआ ही धुँआ हो गया। अंदर दम घुटने लगा तो दीवान सिंह ने बस का काँच तोड़ दिया और बाहर निकल गए। अफरातरफरी में कई कई लोग ऐसे भी रहे तो तमाम कोशिशों के बावजूद बस से बाहर नहीं आ पाए।