Sunday, December 22, 2024
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‘जब कोरोना से लड़ रहा था देश, धर्मांतरण में लगे थे मुल्ला-मौलवी और ईसाई मिशनरी’: VHP का शंखनाद, शुरू किया देशव्यापी अभियान

"संविधान के मुताबिक, अगर कोई अनुसूचित जाति का व्यक्ति धर्मान्तरण करता है तो उसे मिलने वाला विशेषाधिकार समाप्त हो जाता है। जबकि इसके उलट अनुसूचित जनजाति वालों के अधिकार धर्मान्तरण के बाद भी बने रहते हैं।"

देशभर में हो रहे धर्मान्तरण (Conversion) के खिलाफ जन जागरुकता फैलाने और अवैध धर्मान्तरण के खिलाफ कड़े कानून की माँग को लेकर विश्व हिंदू परिषद (Vishwa hindu parishad) ने सोमवार (20 दिसंबर 2021) से 11 दिवसीय अभियान की शुरुआत की है। इसको लेकर वीएचपी के अंतरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष आलोक कुमार (Alok kumar) ने कहा है कि अब समय आ गया है कि लालच, भय या धोखे से धर्मान्तरण करवाने वालों के खिलाफ कठोर कानून की व्यवस्था की जाए।

उन्होंने ये बात एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कही। कुमार के मुताबिक, देश में मुल्ला-मौलवी और ईसाई मिशनरी धर्मान्तरण का षड्यंत्र चला रहे हैं। इसकी भीषणता को देखते हुए हमने फैसला किया है कि अभियान चलाकर मुल्ला-मौलवियों और ईसाइयों के षणयंत्रों को उजागर करेंगे। इसके तहत जनसभाएँ, सोशल मीडिया साहित्य बाँटकर जनजागरण किया जाएगा। ताकि इन लोगों के हिंदू विरोधी और राष्ट्र विरोधी कृत्यों को समझकर इस पर रोक लगाई जा सके। वीएचपी नेता ने कहा, “कोरोना के समय जब पूरा देश कोरोना से जूझ रहा था और अधिकतर सामाजिक-धार्मिक संगठन सेवा के कार्यों में लगे थे, उस दौरान मौलवी और पादरी आक्रामक तरीके से धर्मान्तरण का काम कर रहे थे।”

आलोक कुमार ने आरोप लगाया कि ‘चंगाई सभा’ के नाम पर चर्च खुले आम धर्मान्तरण करवा रहे हैं। ये लोग भोले-भाले वनवासियों को ग्रामीणों और पिछड़े लोगों को टार्गेट कर रहे हैं। कुमार का कहना है कि मिशनरी खुद इस बात को स्वीकार करते हैं कि कोरोना काल में जितने चर्च खोले गए, उतने तो बीते 25 सालों में भी नहीं खोले जा सके। लव जिहाद से पीड़ित हिंदू महिलाओं की प्रताड़ना, हत्या जैसी खबरें हर दिन सामने आती हैं। अवैध धर्मान्तरण के कारण भारत का विभाजन और उसके बाद करोड़ों हिंदुओं का नरसंहार, दंगे और आतंकवाद की पीड़ा से दो चार हो चुका हिंदू अब इन सारी चीजों को स्वीकार नहीं करेगा।

साभार: विश्व हिंदू परिषद

संवैधानिक चूक का फायदा उठा रहे मिशनरी

आलोक कुमार ने ईसाई मिशनरियों द्वारा आदिवासियों के धर्मान्तरण कराए जाने के षड्यंत्र का खुलासा किया और कहा कि संविधान के मुताबिक, अगर कोई अनुसूचित जाति का व्यक्ति धर्मान्तरण करता है तो उसे मिलने वाला विशेषाधिकार समाप्त हो जाता है। जबकि इसके उलट अनुसूचित जनजाति वालों के अधिकार धर्मान्तरण के बाद भी बने रहते हैं। इसी संवैधानिक गलतियों का फायदा ईसाई मिशनरी उठाते हैं। हालाँकि, जनजातियों का अपने धर्म के प्रति अटूट विश्वास ही है जो ढाई सौ सालों में हजारों करोड़ डॉलर खर्च करने के बाद भी अभी तक केवल 18% वनवासियों का धर्मान्तरण कराया जा सका है।

भारत में बल-छल और लालच से हुआ मतांतरण

विहिप के कार्याध्यक्ष के मुताबिक, भारत में ज्यादातर धर्मान्तरण, बलपूर्वक, धोखे से या फिर लालच देकर करवाया गया है। यही वजह रही है देवल ऋषि, स्वामी विद्यारण्य, रामानुजाचार्य, रामानंद, चैतन्य महाप्रभु, स्वामी दयानंद और स्वामी श्रद्धानंद जैसे महापुरुषों धर्मान्तरण रोकने के सतत प्रयास किए हैं।

साभार: विश्व हिंदू परिषद

गौरतलब है कि विश्व हिंदू परिषद ने 6 दिसंबर 2021 को देश में धर्मान्तरण के खिलाफ धर्मयुद्ध छेड़ने के अभियान को शुरू करने का ऐलान किया था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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