बंगाल की विश्व भारती यूनिवर्सिटी ने नोबेल पुरस्कार विजेता और वामपंथी बुद्धिजीवी अमर्त्य सेन को 13 डेसिमल जमीन खाली करने का निर्देश दिया है। यूनिवर्सिटी ने प्रस्ताव पारित करने के बाद अपने आदेश में कहा कि अगर अमर्त्य सेन ने दिए गए समय में जमीन को खाली नहीं किया तो फिर बल का प्रयोग किया जाए।
बताया जा रहा है कि अमर्त्य सेन ने यह जमीन अवैध रूप से कब्जाई हुई है। उन्हें इसे खाली करने के लिए 15 दिन का समय दिया गया है। यानी 19 अप्रैल के ऑर्डर के मुताबिक 6 मई तक सेन को जमीन खाली करनी है। ये जमीन अनुसूचित परिसर के उत्तर-पश्चिमी कोने में 50 फुट लंबी और 111 फुट चौड़ी है।
इसे खाली कराने के लिए विश्वविद्यालय ने अमर्त्य सेन को 17 मार्च और 13 अप्रैल को नोटिस जारी किया था। लेकिन उसका कोई जवाब नहीं आया इसलिए अब सीधे उनकी ओर से जमीन खाली कराने का आदेश दिया गया है।
भारत सरकार की सलाह और भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक की रिपोर्ट के अनुसार, एक सदी पुराने केंद्रीय संस्थान के अतिक्रमणों पर नियंत्रण पाने और मंत्रालय को रिपोर्ट जमा कराने की जरूरत है। नोटिस में कहा गया, “अमर्त्य सेन और सभी संबंधित लोगों को उक्त परिसर से यदि आवश्यक हो तो बल का प्रयोग करके बेदखल किया जाए।”
इस संबंध में अमर्त्य सेन की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। वह अमेरिका में रहते हैं। 1.38 एकड़ की इस जमीन के एक हिस्से पर सेन का पैतृक आवास बना है। सेन इस जमीन को लेकर कहते आए हैं कि ये जमीन उनके पिता ने खरीदी थी और उनके पास इसके दस्तावेज भी हैं।
बता दें कि यूनिवर्सिटी ने इस मामले पर कहा हुआ है कि भारत और बंगाल की सरकार की ओर से कई बार इस संबंध में आदेश जारी किए हैं कि विश्व भारती की जमीन पर अवैध कब्जे को खाली किया जाए जिस पर सेन ने केंद्र पर निशाना भी साधा था। उन्होंने जमीन खाली करने की जगह कहा था कि प्रदेश में केंद्र सरकार का नियंत्रण लगातार बढ़ रहा है। इसके बाद उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि कुलपति को उन पर कार्रवाई करने के लिए केंद्र सरकार की तरफ से निर्देश मिला है।