पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पुलिस का गुंडाराज बढ़ता ही जा रहा है। भाजपा के नवान्न अभियान के दौरान बंगाल पुलिस की गुंडागर्दी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इसमें बंगाल के एक पुलिस अधिकारी को एक ऑन-ड्यूटी सिख सुरक्षाकर्मी की पगड़ी खींचते हुए और उसकी बेरहमी से पिटाई करते हुए देखा जा सकता है। यह वीडियो ममता सरकार की मुश्किलें बढ़ा सकती है।
भाजपा नेता प्रियांगु पांडेय के सुरक्षा गार्ड बलविंदर सिंह पर उस समय हमला हुआ जब पश्चिम बंगाल पुलिस ने गुरुवार को कोलकाता की सड़कों पर भाजपा कार्यकर्ताओं को बेरहमी से पीटा और बड़े पैमाने पर लाठीचार्ज किया। यह घटना तब हुई जब भाजपा युवा मोर्चा और बीजेपी कार्यकर्ता ममता बनर्जी की अगुवाई वाले पश्चिम बंगाल में हो रहे राजनीतिक हत्याओं के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध-प्रदर्शन कर रहे थे।
बंगाल पुलिस का गुंडाराज- जो सामने दिखा उसी पर डंडे बरसा दिये
— #Istandwithfarmers Manjinder Singh Sirsa (@mssirsa) October 9, 2020
सेक्युरिटी अफसर बलविंदर सिंह की पगड़ी उतारकर उन्हे सड़क पर घसीटा गया
दस्तार का अपमान सिख धर्म का अपमान
पुलिस की ऐसी गुंडागर्दी भारतीय लोकतंत्र पर कलंक
Demanding strict action agnst these police officers @MamataOfficial pic.twitter.com/SLUWh50Rro
पश्चिम बंगाल पुलिस द्वारा सिख के दस्तार के अपमान पर आपत्ति जताते हुए अकाली दल के नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने इसकी निंदा की है। मनजिंदर सिंह सिरसा ने वीडियो शेयर करते हुए ट्वीट किया और कहा, “बंगाल पुलिस का गुंडाराज, जो सामने दिखा उसी पर डंडे बरसा दिए। सिक्योरिटी अफसर बलविंदर सिंह की पगड़ी उतारकर उन्हे सड़क पर घसीटा गया। दस्तार का अपमान सिख धर्म का अपमान। पुलिस की ऐसी गुंडागर्दी भारतीय लोकतंत्र पर कलंक।” साथ ही उन्होंने पुलिस अधिकारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की माँग भी की।
खबरों के मुताबिक, बलविंदर सिंह को हावड़ा मैदान से पश्चिम बंगाल पुलिस ने गिरफ्तार किया था, क्योंकि ऑन-ड्यूटी सिख सुरक्षा अधिकारी के पास भरी हुई बंदूक थी। मीडिया से पुलिस वाहन के अंदर से बात करते हुए बीजेपी नेता प्रियांगु पांडेय ने कहा कि बलविंदर सिंह एक पूर्व-सेना अधिकारी हैं और उनके पास बंदूक रखने के लिए उचित लाइसेंस भी था।
वहीं इस मामले में पश्चिम बंगाल पुलिस ने तर्क दिया कि सिंह का लाइसेंस केवल राजौरी, जम्मू और कश्मीर में वैध है, क्योंकि यह वहाँ जारी किया गया था। हालाँकि, भाजपा नेता ने इस बात पर जोर दिया कि बलविंदर सिंह के शस्त्र लाइसेंस पर अखिल भारतीय परमिट की मोहर है और इसका उपयोग देश भर में कहीं भी किया जा सकता है।
भाजपा नेता ने कहा कि असम और गुवाहाटी में काम करने के बाद बलविंदर सिंह ने कोलकाता में उन्हें ज्वाइन किया था। पांडेय ने कहा कि पूरे भारत का शस्त्र लाइसेंस होने के बावजूद पुलिस ने सिंह के हाथ से बंदूक छीन ली। एक पूर्व सेना अधिकारी के साथ इस तरह की मारपीट बेहद ही अपमानजनक था।
भाजपा नेता ने कड़े शब्दों में कहा कि पुलिस ने पगड़ी खींचकर पूरे सिख समुदाय का अपमान किया है। पगड़ी का अपमान सिख का सबसे बड़ा अपमान है।
गौरतलब है कि बलविंदर सिंह ने मीडिया से बात करते हुए यह पुष्टि की कि हथियार का लाइसेंस राजौरी से जारी किया गया था, लेकिन उनके पास पूरे भारत का परमिट था। उन्होंने कहा कि वह सिर्फ एक कोने में खड़े थे जब पुलिस अधिकारी ने अचानक उन पर हमला किया। उन्हें घसीटा गया और सबके सामने उनकी पगड़ी को खींचकर उतार दिया गया।
भाजपा नेता ने माँग की है कि शांतिपूर्वक प्रदर्शन करने वाले कार्यकत्ताओं को बेरहमी से पीटने वाली पश्चिम बंगाल पुलिस के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए, जिन्होंने अपनी गुंडागर्दी का प्रदर्शन किया।
गौरतलब है कि कल भारतीय जनता युवा मोर्चा (BJYM) के राष्ट्रीय अध्यक्ष व कर्नाटक से भाजपा सांसद तेजस्वी सूर्या ने पश्चिम बंगाल पुलिस द्वारा की गई बर्बरता की जानकारी दी थी। तेजस्वी सूर्या ने ट्वीट करते हुए लिखा था कि, “फासीवाद ऐसा ही दिखता है। टीएमसी के गुंडों ने छतों से हमारे ऊपर देशी बम फेंके। शांतिपूर्ण मार्च के ख़िलाफ़ आँसू गैस के गोले और वाटर कैनन छोड़े गए। आतताइयों का समय खत्म हो रहा है।” बता दें, इस प्रदर्शन में लगभग 450 भाजपा कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया है। वहीं 1000 से भी ज्यादा लोग घायल हुए है।
उल्लेखनीय है कि भाजपा नेता मनीष शुक्ला की हत्या के विरोध में भाजपा द्वारा ‘नवान्न चलो’ प्रदर्शन का ऐलान किया गया था। इस आह्वान के बाद ही राज्य सरकार ने प्रदेश सचिवालय का दरवाजा दो दिन के लिए बंद कर दिया। राज्य सरकार ने इसकी सफाई में कहा कि बिल्डिंग को सैनिटाइज करने के लिए सचिवालय को बंद रखा गया है, जबकि भाजपा का मानना है कि ममता सरकार ने मार्च रोकने के लिए सचिवालय को बंद करने का फैसला किया। इसके अलावा प्रदर्शन को रोकने के लिए ममता सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट के बयान का भी हवाला दिया गया जिसमें अदालत ने कहा था, “शांतिपूर्ण विरोध-प्रदर्शन ही उचित है, जगह घेर कर बैठ जाना गलत है, क्योंकि लोगों को इससे परेशानी होती है।”