अहमदाबाद की एक अदालत ने दो गैंगस्टर्स फैज़लुर रहमान उर्फ़ फैजु और भोगीलाल दर्जी उर्फ़ मामा को एक 22 साल पुराने एक मामले में दो साल पहले अर्थात 2018 में अपराधमुक्त कर दिया था। ये मामला जुड़ा है 27.5 बिलियन डॉलर (2.025 लाख करोड़ रुपए) की संपत्ति वाले उद्योगपति के फिरौती के लिए अपहरण करने से, वो उद्योगपति आज दुनिया का 155वाँ और भारत का 5वाँ सबसे अमीर व्यक्ति है, जिसका नाम है – गौतम अडानी, गुजरात के बड़े कारोबारी। चूँकि, उनका नाम चर्चा में है तो आपको उस अपहरण कांड के बारे में बताते हैं कि क्या हुआ था उस समय।
अडानी, आज इस नाम से भारत में शायद ही कोई ऐसा हो, जो परिचित न हो। फैज़लुर रहमान के खिलाफ पहले से ही कई आपराधिक मामले दर्ज हैं और उन पर सुनवाई चल रही है। उसे फ़िलहाल अहमदाबाद के साबरमती सेंट्रेल जेल में रखा गया है, जबकि दर्जी जमानत पर बाहर चल रहा है। दोनों के वकील कुणाल एन शाह ने बताया कि एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज डीपी पटेल ने उनके दोनों क्लाइंट्स को इस मामले में दोषमुक्त करार दिया।
उन्होंने कहा कि अभियोजन पक्ष ये साबित करने में नाकाम रहा कि फिरौती के लिए अपहरण हुआ था और उसमें इन दोनों का कोई रोल था। उन्होंने बताया कि कई बार समन दिए जाने के बावजूद गौतम अडानी या कोई भी पीड़ित अभिसाक्ष्य या बयान दर्ज कराने के लिए नहीं पहुँचा, जिसके बाद कोर्ट को ये निर्णय लेना पड़ा। गौतम अडानी को 2 बार समन भेजा गया। शाह ने दावा किया कि गवाह और पुलिस अधिकारी घटना का ठीक से विवरण नहीं दे पाए कि आखिर हुआ क्या था।
Billionaire Gautam Adani is a survivor of ransom and terror attacks. And now, with a fortune valued at $32 billion, he is India’s wealthiest person after Mukesh Ambani https://t.co/ZlVNxvhKKa
— Bloomberg Markets (@markets) December 14, 2020
ये घटना जनवरी 1, 1998 की है, जब मोहम्मदपुरा से कार से जाते समय गौतम अडानी और शांतिलाल पटेल को कथित तौर पर फिरौती के लिए अपहृत कर लिया गया था। आरोप है कि सामने एक स्कूटर को खड़ा कर के कार को रोका गया और फिर कुछ लोग आए, जिन्होंने दोनों का अपहरण किया। तब सरखेज थाना के सब-इंस्पेक्टर रहे आरके पटेल ने FIR दर्ज की थी, जिसमें 9 अभियुक्तों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया।
इसमें रहमान दर्जी, मोहम्मद उर्फ़ राजा जावेद, जयेश रतिलाल दर्जी, रियाज और अकील नामक अपराधी शामिल थे। आरोप है कि गौतम अडानी और शांतिलाल पटेल को छोड़ने के लिए 15 करोड़ रुपए की रकम माँगी गई थी और जब अपराधियों को रुपए मिल गए, तब उन्होंने गौतम अडानी को छोड़ दिया। 2009 में चार्जशीट फाइल की गई और इस मामले में 2014 में आरोप तय किए गए। आईपीसी की धारा-365 (अपहरण), 144 (गैर-कानूनी तरीके से भीड़ जुटाना) और आर्म्स एक्ट के तहत मामले दर्ज हुए थे।
लगभग 50-60 के बीच के उम्र वाला फैज़लुर रहमान मूल रूप से बिहार का रहने वाला है। उसे एक जमाने में दाऊद इब्राहिम के टक्कर का रंगदार और गैंगस्टर माना जाता था। फिरौती, अपहरण, लूट और हत्या के मामलों में आरोपित फैज़लुर से तब कारोबारी काँपा करते थे। वो 90 के दशक में और 2000 की शुरुआत में सक्रिय था। हालाँकि, अब वो जेल में बैठ कर विभिन्न थानों में कई मामलों का सामना कर रहा है।
हाल ही में रवीश कुमार ने दावा किया था कि भारत सरकार ने अडानी को फायदा पहुँचाने के लिए कृषि कानून बनने से ठीक पहले ही अन्न भण्डारण करने के साइलोस गोदाम बना लिए थे। तीसरे फार्म बिल को सितंबर 22, 2020 को मंजूरी दे दी गई जबकि रवीश कुमार के दावे के विपरीत अडानी समूह वर्ष 2007 से ही साइलोस तैयार करता आ रहा है। कृषि सुधार बिलों के खिलाफ किसान विरोध प्रदर्शनों में नाम उछाले जाने के बाद खुद अडानी समूह ने कहा है कि वो न तो किसानों से खाद्यान्न खरीदता है और न ही खाद्यान्न का मूल्य तय करता है।