Thursday, November 14, 2024
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व्यभिचार के एक्का-दुक्का मामले को पत्नी की बदचलनी नहीं माना जा सकता: दिल्ली हाईकोर्ट ने CrPC के तहत गुजारा भत्ता रोकने से किया इनकार

Cr.PC की धारा 125(4) में कहा गया है कि यदि कोई पत्नी व्यभिचार में संलिप्त रहती है, बिना किसी पर्याप्त कारण के अपने पति के साथ रहने से इनकार करती है या आपसी सहमति से दोनों अलग रहते रहते तो पत्नी गुजारा भत्ता पाने की हकदार नहीं होगी।

दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में पत्नी के गुजारा भत्ता के हक को विस्तार देते हुए कहा कि क्रूरता और व्यभिचार के कुछ कृत्यों से पत्नी को गुजारा भत्ता के अधिकार को समाप्त नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि यदि पत्नी बार-बार बदलचनी जैसे कृत्य करती है, फिर भी उसे गुजारा भत्ता पाने से कानूनी छूट मिल सकती है।

सुनवाई के दौरान जस्टिस चंद्रधारी सिंह ने कहा कि पति से अलग रहते हुए अलग पत्नी ने एक-दो बार व्यभिचार किया है तो उसे नजरअंदाज किया जा सकता है और उसे गुजारा भत्ता का हकदार माना जा सकता है। उन्होंने कहा कि भरण-पोषण के कानून का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि एक सक्षम व्यक्ति की पत्नी, बच्चे और माता-पिता निराश्रित ना हों।

कोर्ट ने यह भी कहा कि जहाँ तक पत्नी के व्यभिचार की बात है, पति ने इसे अभी तक साबित नहीं किया है। पत्नी व्यभिचार में लिप्त है, इसे साबित करने के बाद ही CrPC की धारा 125(4) के तहत उसका भरण-पोषण रोका जा सकता है। लेकिन, एक-दो बार की घटना को व्यभिचार नहीं माना जा सकता है।

Cr.PC की धारा 125(4) में कहा गया है कि यदि कोई पत्नी व्यभिचार में संलिप्त रहती है, बिना किसी पर्याप्त कारण के अपने पति के साथ रहने से इनकार करती है या आपसी सहमति से दोनों अलग रहते रहते तो पत्नी गुजारा भत्ता पाने की हकदार नहीं होगी।

जस्टिस चंद्रधारी सिंह उस एक मामले में सुनवाई कर रहे थे, जिसमें निचली अदालत ने अपनी पत्नी को हर महीना 15,000 रुपए गुजारा भत्ता देने का आदेश पति को दिया था। इसके बाद पति ने इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। पति ने हाईकोर्ट में दलील दी कि क्रूरता, व्यभिचार और पत्नी से अलग रहने के आधार पर गुजारा भत्ता देने का निर्देश नहीं दिया जा सकता।

क्रूरता के मामले में अदालत ने कहा कि क्रूरता और उत्पीड़न गुजारा भत्ता रोकने का आधार नहीं हो सकता। अदालत ने कहा कि जिन मामलों में क्रूरता के आधार पर तलाक दिया गया है, उनमें भी अदालतों ने पत्नी को गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया है।

इस मामले में दोनों की शादी साल 2000 में हुई थी और दोनों के बीच कई विवादों के कारण सिविल और आपराधिक मुकदमें दर्ज कराए गए थे।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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