चार जून 2024 को नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) ने नीट (NEET-UG 2024) परीक्षा का परिणाम घोषित कर दिया। हालाँकि, यह परीक्षा परिणाम शिक्षा जगत में हड़कंप मचा देने वाला साबित हुआ।NEET भारत के सबसे बड़ी प्रतियोगी परीक्षाओं में से एक है, जिसमें क़रीब 25 लाख अभ्यर्थी इस साल भाग लिए थे।
इस बार की परीक्षा में 67 छात्रों ने 720 में से 720 अंक प्राप्त किए, जो इस प्रतिष्ठित परीक्षा के इतिहास में पहली बार हुआ है। इस असामान्य परिणाम ने शिक्षा विशेषज्ञों, छात्रों और आम जनता के बीच गहरी चिंता और संदेह पैदा कर दिया है। इस लेख में हम परीक्षा आयोजित करने वाली NTA की कार्यप्रणाली, विवादों और वर्तमान स्थिति पर समीक्षा करेंगे।
नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) की स्थापना
नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) की स्थापना नवंबर 2017 में भारत सरकार द्वारा उच्च शिक्षा में प्रवेश परीक्षाओं की पारदर्शिता और गुणवत्ता को बढ़ाने के उद्देश्य से की गई थी। मानव संसाधन विकास मंत्रालय (अब शिक्षा मंत्रालय) के अंतर्गत गठित इस स्वायत्त संस्था का मुख्यालय नई दिल्ली में है। NTA राष्ट्रीय स्तर की विभिन्न परीक्षाओं का आयोजन करता है।
इन परीक्षाओं में JEE (मेन), NEET, UGC-NET, सीमैट और जीपैट आदि बेहद महत्वपूर्ण हैं। यह अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग करके परीक्षाओं के संचालन में पारदर्शिता, निष्पक्षता और विश्वसनीयता सुनिश्चित करता है। कंप्यूटर आधारित परीक्षण (CBT) और ऑनलाइन पंजीकरण जैसी प्रक्रियाओं को अपनाकर NTA ने भारतीय शिक्षा प्रणाली में महत्वपूर्ण सुधार किए हैं।
अभूतपूर्व परिणाम और उठते सवाल
नीट 2024 के परिणाम ने उस समय सबको चौंका दिया, जब 67 छात्रों ने परीक्षा में पूर्ण अंक प्राप्त कर लिए। इनमें से 8 छात्र हरियाणा के एक ही परीक्षा केंद्र से हैं। इसके अलावा तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और गुजरात के विभिन्न केंद्रों से दो-दो छात्रों ने भी पूर्ण अंक प्राप्त किए। यह असामान्य परिणाम कई सवाल खड़े करता है:
- क्या परीक्षा का पेपर अत्यंत सरल था? : विशेषज्ञों का मानना है कि नीट जैसी कठिन परीक्षा में इतने सारे छात्रों का पूर्ण अंक प्राप्त करना सामान्य नहीं है। बोर्ड परीक्षाओं में भी ऐसे परिणाम दुर्लभ होते हैं।
- क्या परीक्षा के संचालन में कोई खामी थी? : परीक्षा केंद्रों की निगरानी और सुरक्षा में संभावित खामियों की जाँच की आवश्यकता है, क्योंकि कई छात्र एक ही केंद्र से टॉप कर गए हैं।
मार्किंग स्कीम और ग्रेस मार्क्स का विवाद
नीट की मार्किंग स्कीम के अनुसार, प्रत्येक सही उत्तर के लिए 4 अंक और गलत उत्तर के लिए 1 अंक काटे जाते हैं। इस प्रकार 718 या 719 अंक आना संभव नहीं है, फिर भी इस बार ऐसे अंक देखे गए हैं। एनटीए ने इस पर सफाई दी कि कुछ अभ्यर्थियों को समय की कमी के कारण ग्रेस मार्क्स दिए गए हैं।
एनटीए के इस ग्रेस मार्क्स तर्क ने छात्रों और शिक्षाविदों के बीच और अधिक संदेह पैदा किया है। प्रतियोगी परीक्षाओं में ग्रेस मार्क्स का प्रावधान सामान्य नहीं है और इसके पीछे की प्रक्रिया और पारदर्शिता पर सवाल उठ रहे हैं।
पेपर लीक का मामला
नीट परीक्षा के दौरान बिहार की राजधानी पटना से पेपर लीक होने की खबरें सामने आई थी। इस मामले में 13 लोगों की गिरफ्तारी हुई थी। खबर ये थी कि प्रश्न पत्र और उसके उत्तर परीक्षा से पहले ही कई छात्रों को उपलब्ध कराए गए थे। इसके बावजूद, NTA ने पूरे देश में सभी परीक्षा केंद्रों का परिणाम जारी कर दिया, जिससे छात्रों में असंतोष बढ़ गया है।
एनटीए की प्रेस कॉन्फ्रेंस
NTA ने हाल ही में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर परीक्षा संचालन और परिणामों पर उठे सवालों का जवाब दिया था। NTA ने स्पष्ट किया था कि परीक्षा के दौरान सुरक्षा मानकों का पालन किया गया था और पेपर लीक की घटनाओं का परिणाम पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। उन्होंने यह भी कहा कि ग्रेस मार्क्स केवल उन छात्रों को दिए गए, जिन्होंने परीक्षा के दौरान तकनीकी कठिनाइयों का सामना किया।
जनहित याचिकाएँ और छात्र विरोध
नीट 2024 के परिणामों के खिलाफ विभिन्न अदालतों में जनहित याचिकाएँ (PIL) दाखिल की गई हैं और देश भर में छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किए हैं। दिल्ली उच्च न्यायालय, मद्रास उच्च न्यायालय और कलकाता उच्च न्यायालय में नीट 2024 की शुचिता और परिणामों की सत्यता पर सवाल उठाते हुए याचिकाएँ दाखिल की गई हैं।
याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि एनटीए ने परीक्षा संचालन में गंभीर चूक की है और परिणामों में पारदर्शिता की कमी है। दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और लखनऊ जैसे प्रमुख शहरों में छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किए हैं। छात्रों का आरोप है कि एनटीए ने परीक्षा प्रक्रिया में गड़बड़ी की है, जिससे उनका भविष्य खतरे में पड़ गया है।
मीडिया की भूमिका
मीडिया का ध्यान अधिकतर राजनीतिक खबरों पर केंद्रित रहता है, जबकि शिक्षा और युवाओं से जुड़े मुद्दों को नजरअंदाज किया जाता है। नीट 2024 के इस विवाद पर भी मुख्यधारा के मीडिया ने उतनी गंभीरता से रिपोर्टिंग नहीं की, जितनी अपेक्षित थी।
मीडिया का ध्यान शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों से हटकर राजनीतिक विवादों पर अधिक रहता है। शिक्षा प्रणाली की खामियों को उजागर करने और सुधार की दिशा में काम करने की बजाय, मीडिया अक्सर विवादास्पद राजनीतिक घटनाओं को प्राथमिकता देता है।
निष्कर्ष और आगे की राह
नीट 2024 के परिणाम और एनटीए की कार्यप्रणाली पर उठे सवालों ने शिक्षा व्यवस्था की विश्वसनीयता और पारदर्शिता पर गंभीर प्रश्न चिह्न लगाए हैं। यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि एनटीए अपनी प्रक्रियाओं की गहन समीक्षा करे और परीक्षा की शुचिता और निष्पक्षता को सुनिश्चित करे। सरकार और शैक्षिक संस्थाओं को मिलकर परीक्षा प्रणाली में सुधार के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।
शिक्षा का स्तर और परीक्षा प्रणाली की शुचिता बनाए रखना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए, ताकि प्रत्येक छात्र को न्यायपूर्ण और समान अवसर मिल सके। शिक्षा और युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारे देश की शिक्षा प्रणाली विश्वसनीय और पारदर्शी हो, जिससे हर छात्र को समान अवसर और न्याय मिले।
नीट 2024 की विवादास्पद स्थिति ने हमें यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि हमारी शिक्षा प्रणाली में सुधार की कितनी आवश्यकता है। यह समय की माँग है कि हम इन खामियों को सुधारें और एक मजबूत, पारदर्शी और विश्वसनीय शिक्षा प्रणाली का निर्माण करें। यह हमारे युवाओं और देश के उज्ज्वल भविष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।