Monday, November 18, 2024
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डियर शेहला डोंट वरी! कहना, कंडोम वाले लौंडों को चिढ़ा रही थी

कहना- चिढ़ी थी बेगूसराय से। कंडोम की अफवाह से। सो, उन दुष्चरित्र लौंडों को चिढ़ाने के लिए सेना पर आरोप लगाया। जैसे को तैसा। उन्होंने भी सोशल मीडिया से बदनाम किया था। मैंने भी ट्विटर से सेना को बदनाम किया।

डियर शेहला रशीद शोरा,

सुना है दिल्ली पुलिस ने तुम्हारी कुंडली तैयार की है। 124-A, 153, 153-A, 504 और 505 की धारा लगा दी है। वकील तो हूॅं नहीं। पर पता चला कि ये धाराएँ राजद्रोह, शांति भंग करने, अफवाह फैलाने, दंगा फैलाने और शत्रुता पैदा करने की लिए लगाई जाती है।

पर तुम घबराना मत। दिल भारी मत करना। वैसे ये तुम्हारी फितरत है भी नहीं। मैं ही तुम्हारी चिंता में दुबला हुए जाता हूॅं। ये भी मत पूछना कि सा​हस की ये कैसी मंदी, एक ही चिट्ठी में आप से तुम।

सच कहूॅं तो कुंडली देख डियर भी भारी मन से ही लिखा है। अब क्या करूॅं आरोप लगते ही हमने आसाराम और कुलदीप सेंगर जैसों के लिए भी संबोधन लगाना छोड़ दिया था। कंडोम वाले लौंडों को लेकर तो तुम्हें पिछले खत में बता ही चुका हूॅं। हम उनमें भी नहीं जो चारा चोरी की सजा काट रहे लालू की स्तुति में नहीं अघाते। सुना है अब वे तुम्हारे लिए अपनी कलम को धार दे रहे हैं।

कुछ तो यह भी कह रहे कि चर्चे में आकर तुम बहुत खुश हो। सुना है हैशटैग ट्रेंड कराने का भी प्लान है। फिर उसे पार्टी विशेष की करतूत बता महफिल लूटनी तो तुम्हें आती ही है।

वैसे, मेरी मातृभाषा मैथिली में कहते हैं कुकर्मे नाम कि सुकर्मे नाम। अब अर्थ समझने के लिए पन्ने मत पलटना। तुम्हारा सखा कन्हैया, उससे पूछ लेना। उसे मैथिली भी आती है और इसी फॉर्मूले से नाम भी बहुत कमाया है।

लोग तो यह भी कह रहे कि तुम्हारे यूॅं चर्चे में आने से कन्हैया, राना अय्यूब, आरफा खानम शेनवारी सब रश्क कर रहे हैं। राना अय्यूब तो वाशिंगटन पोस्ट तक लिख आई। आरफा भी वायर लेकर तैयार हैं। मोटा-मोटी भाषा भी दोनों की वैसी ही है जैसे तुम्हारे उन ट्वीटों की थी जिस पर दिल्ली पुलिस ने कुंडली तैयार की है। पर ‘आ बैल मुझे मार’ वाला तुम्हारा ट्रिक इनके काम अब तक नहीं आया।

खैर, इन दोनों को छोड़ो, तुम कन्हैया पर फोकस करो। अखबार के पन्ने पलटो। संकट निवारण उपाय छपा है। टुकड़े-टुकड़े वाले मामले में दिल्ली वाले सरजी के गृह विभाग का कहना है कि देश की बर्बादी के नारे चिढ़ाने के लिए लगे थे। सो, मामला नहीं बनता। बस यही दलील सबके मुॅंह पर मारना। कहना- चिढ़ी थी बेगूसराय से। कंडोम की अफवाह से। सो, उन दुष्चरित्र लौंडों को चिढ़ाने के लिए सेना पर आरोप लगाया।

जैसे को तैसा। उन्होंने भी सोशल मीडिया से बदनाम किया था। मैंने भी ट्विटर से सेना को बदनाम किया।

लगे हाथ जोड़ देना, साहस की मंदी है, वरना पार्ट टाइम पढ़ाई और फुल टाइम पॉलिटिक्स से पैदा भड़ास आप क्या जानो स्पेशल सेल वाले बाबू। रवीश का भी प्रचार होगा। क्या पता समर्थन में प्राइम टाइम की स्क्रीन भी काली हो जाए।

तुम्हारा

(खुद की मर्जी से भक्त वगैरह तो पिछली बार ही डाल लिया होगा)

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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