वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के वर्ष 2021-22 के बजट में कई नई बातें हैं। जैसे कि यह पहला डिजिटल बजट है। कृषि और ग्रामीण विकास की आधारभूत संरचना में निवेश के लिए एक अलग कोष बनाना भी बिलकुल नया प्रयास है। इस बजट के द्वारा उन्होंने कोरोना महामारी के बाद एक नए भारत की नींव की कई ईंटें लगाई हैं। इस नाते यह बजट बिल्कुल नई सोच वाला बजट लगा।
मुझे सबसे ज्यादा प्रभावित किया बजट में प्रस्तावित ओपीसी यानी वन पर्सन कंपनी के प्रावधान ने। अभी तक आपको कोई भी नया धंधा शुरू करना होता था तो आप पार्टनरशिप फर्म, प्राइवेट लिमिटेड कंपनी, पब्लिक लिमिटेड आदि बनाते थे। इनके कई झमेले भी थे। जैसे कि आपको अपने अलावा डायरेक्टर खोजने पड़ते थे।
ये आसान नहीं होता था। लेकिन अब स्टार्टअप संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए एक अकेला व्यक्ति भी एक कंपनी आरंभ कर सकता है। इसकी घोषणा बजट में की गई। इसमें कितनी पूंजी लगेगी कितनी नहीं लगेगी, इसकी कोई भी सीमा नहीं रखी गई है।
इस कंपनी को जब चाहे आप किसी दूसरी तरह कंपनी में बदल सकते हैं। यानी किसी ने अकेले व्यक्ति की कंपनी बनाई और कुछ समय बाद उसे लगा कि उसे साझेदार चाहिए या कम्पनी का काम बढ़ गया है तो जब चाहे उसे प्राइवेट लिमिटेड कंपनी या पब्लिक लिमिटेड में बदल सकता है। इससे नया धंधा चालू करना और उसे बढ़ाना पहले से काफी आसान हो जाएगा।
मुझे लगता है इससे बहुत बढ़ावा मिलेगा विदेशों में बसे भारतीयों को अपनी उद्यमशीलता दिखाने में। अक्सर प्रवासी भारतीय अपनी बुद्धि और धन का उपयोग करके भारत में कुछ करने को लालायित रहते हैं। लेकिन वे यहाँ के झमेलों से बचना चाहते थे। इसके बाद वे सुगमता से एकल स्वामित्व वाली ऐसी कम्पनी बना पाएँगे।
अभी तक उनके लिए एक और शर्त थी कि अगर वे भारत में धंधा करना चाहें तो उनको 180 दिन कम से कम भारत में रहना पड़ता था। इस समयावधि को भी कम करके 120 दिन कर दिया गया है। इसका अर्थ हुआ कि प्रवासी भारतीय अगर चाहें तो भारत में आकर ओपीसी शुरू कर सकते हैं। उम्मीद की जानी चाहिए कि इससे बिना तामझाम के लोग कंपनियाँ खोल पाएँगे और ज्यादा रोजगार दे पाएँगे।
बजट का एक अन्य प्रावधान जो स्वागत योग्य है, वह है वित्त मंत्री द्वारा शोध के लिए 50000 करोड़ रुपए की व्यवस्था। ये राशि अगले पाँच साल में भारत के उच्च शिक्षा संस्थानों में शोध और नई चीजों के लिए खर्च होगी।
भारत को दुनिया में आगे बढ़ना है तो शोध और नए प्रयोगों की बहुत आवश्यकता है। इस नाते ये 50000 करोड़ की राशि बहुत महत्वपूर्ण है। आशा है कि इससे भारत में शोध और नई-नई चीजें विकसित करने के नवाचार को बढ़ावा मिलेगा।