देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कॉन्ग्रेस और उसके नेताओं का व्यवहार आजकल घर के उस ऐंठू जमाई जैसा हो गया है, जिन्हें हर बात में वीवीआईपी ट्रीटमेन्ट चाहिए। घर में चाहे शादी किसी को भी लगी हो, नए दूल्हे की तरह नाराजगी और पसंद-नापसंद का ध्यान उसी का रखा जाए, नई बहू की तरह लाड़-दुलार उन्हीं का हो- भले पूरे गाँव ही नहीं खानदान के सबसे लीचड़ और नाकारा व्यक्ति वही हों।
महाराष्ट्र का उदाहरण लीजिए। चारों मुख्य पार्टियों भाजपा, कॉन्ग्रेस, एनसीपी और शिवसेना में सबसे कम यानी केवल 44 विधायक उनके जीते हैं, और राज्यपाल के राष्ट्रपति शासन से पहले की मीटिंग में न बुलाने पर बिफ़र ऐसे रहे हैं मानो बैठक में होते तो दावा सीएम की दावेदारी का पेश कर देते!
The #Congress on Tuesday slammed #Maharashtra Governor’s #BSKoshiyari‘s move of recommending President’s rule in the state without giving the stipulated time to the stakeholders and not inviting the Congress when he called all the other parties. pic.twitter.com/8BpHmyhtcq
— IANS Tweets (@ians_india) November 12, 2019
अरे, अगर भाजपा की सरकार नहीं बन रही, क्योंकि 105 विधायकों के बाद भी भाजपा के पास संख्याबल नहीं है तो अगला निमंत्रण दूसरी सबसे बड़ी पार्टी शिव सेना (56 विधायक) या तीसरी एनसीपी (54) को दिया जाएगा, कि सीधे कॉन्ग्रेस से ही पूछ लिया जाएगा? और कॉन्ग्रेस को तो वैसे भी अभी मोलभाव में लगी शिव सेना और एनसीपी बाहरी समर्थन के लिए रखे हैं! यह तो वही बात हुई कि दूल्हा-दुल्हन अभी राजी हुए नहीं, और बारात में नागिन डांस करने वाले न्यौता न मिलने पर हुक्का-पानी बंद करा देने की धमकी दे रहे हैं!
ऐसे लॉजिक से तो कॉन्ग्रेस से भी पहले दो एमएलए वाली असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम और एक विधायक वाली राज ठाकरे की मनसे से पूछा जाना चाहिए था। लेकिन क्या है कि ऐसे उलटे लॉजिक से लोकतंत्र चलता नहीं है।
अब यही हाल कॉन्ग्रेस नेता और पूर्व कर्नाटक सीएम सिद्दरमैया का भी है। एचडी देवगौड़ा का आरोप कि उन्होंने मल्लिकार्जुन खड़गे के सीएम बनने के मौके पर टाँग मार दी, के जवाब में वे बताने लगे कि वे तो मीटिंग में मौजूद ही नहीं थे, कॉन्ग्रेस आलाकमान ने उनकी राय ही नहीं ली!
Siddaramaiah,Congress: Deve Gowda said Siddaramaiah did not agree to make Mallikarjun Kharge chief minister,which is false and baseless allegation.Nobody had asked me. High command decided to form the Govt with JDS, later they asked me I did not object it as it was their decision pic.twitter.com/t1KbN686TY
— ANI (@ANI) November 12, 2019
कोई बताए उन्हें कि ये बात तो ठीक है कि आपने खड़गे जी के मौके पर मट्ठा नहीं डाला, लेकिन इस बात की क्या नाराजगी कि आपसे पूछा क्यों नहीं गया! आप ही के नेतृत्व में चली सरकार के खिलाफ तो चुनाव केंद्रित था। आप ही के नेतृत्व में गई पार्टी को जनता ने नकार दिया। ऐसे में इस बात का भोंपा क्या काढ़ना कि आपसे किसी ने पूछा क्यों नहीं!
इसके पहले कॉन्ग्रेस जम्मू-कश्मीर के बीडीसी चुनावों का भी बहिष्कार यह कारण बताते हुए कर चुकी है कि चुनावों की तारीख उसके हिसाब से तय नहीं हुई है। पार्टी ने जम्मू-कश्मीर में 24 अक्टूबर को हुए स्थानीय चुनावों में न लड़ने का ऐलान किया था और राज्य में कॉन्ग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रविंदर शर्मा ने सरकार द्वारा चुनावों की तारीख की घोषणा एकतरफ़ा तरीके से थोपे जाने की भी बात उस समय कही थी।