इस बात को अगर आपको अच्छे से समझना है तो लिबरलों द्वारा त्योहारों पर साझा होने वाले पोस्ट पर ध्यान देना चाहिए। ये लोग हर त्योहार पर हर समुदाय के लोगों को बधाई देते हैं लेकिन हिंदू धर्म के त्योहारों पर शुभकामना संदेश देते समय उनका अंदाज थोड़ा अलग होता है।
उदाहरण कॉन्ग्रेस सांसद राहुल गाँधी का ले लीजिए। आज जन्माष्टमी है राहुल गाँधी ने एक पोस्ट साझा किया है। इस पोस्ट में उन्होंने एक बाँसुरी और मोरपंख के साथ जन्माष्टमी की बधाई दी और लिखा, “सभी को श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाए एवं बधाई। आशा करता हूँ कि हर्ष और उल्लास का यह पर्व आप सभी के जीवन को नई उमंग एवं उत्साह से भर दे।”
सभी को श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाई।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) August 26, 2024
आशा करता हूं कि हर्ष और उल्लास का यह पर्व आप सभी के जीवन को नई उमंग एवं उत्साह से भर दे। pic.twitter.com/PdPCorUSvL
राहुल गाँधी के पोस्ट में जन्माष्टमी की बधाई तो दे दी गई, ये तो कह दिया गया कि ये पर्व हर्ष और उल्लास का है लेकिन इसे हिंदू मनाते क्यो हैं और किनके जन्म के कारण इसकी महत्वता है इस पर एक शब्द नहीं लिखा।
इसी तरह उन्होंने जो पोस्ट साझा की उसमें नीले बैकग्राउंड में बाँसुरी और मोरपंख दिखाया गया, लेकिन ग्राफिक्स में कहीं भी ये नहीं दिखाया गया कि ये बाँसुरी और मोरपंख आखिर किसके प्रतीक हैं। तस्वीर में देख सकते हैं कि कहीं भी श्रीकृष्ण का चित्र नहीं दिखाया गया है।
अब शायद आप सोचें कि इसमें क्या समस्या है हर किसी का तरीका होता है बधाई संदेश देने का, कुछ लोग प्रतीकों को आधार बनाकर भी देते हैं और कुछ बिन तस्वीर के भी और कुछ सिर्फ टेक्स्ट के जरिए… बिलकुल सही बात है क्रिएटिव होने के नाम पर कोई भी विधा अपनाई जा सकती है लेकिन भावनाएँ आपकी साफ होनी चाहिए। आज बहुत से लोग भगवान के प्रतीकों को आधार बनाकर फोटो शेयर करते हैं, लेकिन उनके पोस्ट से हमेशा ही भगवान की मूर्ति गायब नहीं होती, लेकिन राहुल गाँधी के केस में ऐसा नहीं है।
ये पहली बार नहीं है जब राहुल गाँधी के सोशल मीडिया पोस्टों से भगवानों की मूर्तियाँ ही गायब मिली हों। ये सिलसिला पुराना है। राहुल गाँधी ने महाशिवरात्रि के मौके पर कैलाश पर्वत की तस्वीर लगा सकते हैं लेकिन प्रतीक के तौर पर उनसे शिवलिंग की तस्वीर नहीं लग पाती। जगन्नाथ यात्रा के वक्त वो मंदिर के शिखर की तस्वीर लगाकर शुभकामनाएँ दे सकते हैं मगर न रथ की फोटो और न भगवान जगन्नाथ की फोटो लगा सकते हैं।
सभी देशवासियों को महाप्रभु श्री जगन्नाथ रथयात्रा के पावन अवसर पर हार्दिक शुभकामनाएं।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) July 1, 2022
मैं कामना करता हूं कि श्रद्धा और आस्था से भरी ये यात्रा आप सबके जीवन में सुख, समृद्धि, शांति और बेहतर स्वास्थ्य लाए। #RathYatra pic.twitter.com/BqYt5K3xBu
इसी तरह गणेश चतुर्थी पर राहुल गाँधी मोद, भोग, अगरबत्ती सबकी तस्वीरें लगा सकते हैं लेकिन उन्हें अपने पोस्ट में गणेश जी की फोटो लगाने में ससमस्या हो जाती है।
As usual, Ram Navmi wish without picture or Shree Ram like Ganesh Chaturthi wish without Ganesh ji? pic.twitter.com/Z0PNAHd2VS
— Abhishek Sharma (@Wo_Sharma_Ji) April 10, 2022
श्री राम नवमी पर टेक्स्ट के तौर पर राम नवमी लिखकर बधाई देना उन्हें आसान पड़ता है मगर श्रीराम का चित्र लगाना उनके लिए मुश्किल काम है। इसके अलावा दीवाली पर तो राहुल गाँधी बिन किसी तस्वीर के ही शुभकामना दे देते हैं।
How Rahul Gandhi wishes us
— Rishi Bagree (@rishibagree) December 25, 2023
On Christmas On Diwali pic.twitter.com/x8eb9c9tyg
ऊपर दिए उदाहरण चुनिंदा है और संभव है राहुल गाँधी की टाइमलाइन पर ऐसे और वाकये मिल जाएँ जहाँ भगवान के साकार रूप का चित्र लगाने से बचा गया हो। ऐसा करने के पीछे दूसरे समुदायों को अपनी ओर आकर्षित करने की मंशा, खुद को सेकुलर लिबरल दिखाने की उनकी कोशिश किसी से छिपी नहीं है। आम दिनों में राहुल गाँधी श्रीराम की तस्वीर लगाने से बचते हैं, अयोध्या राम मंदिर जाने से बचते हैं लेकिन एक हिंदू देवता को समर्पित त्योहार पर भी उनका तस्वीर न लगाने वाला रवैया स्वीकार्य कैसे हो सकता है। क्रिएटिविटी के नाम पर एक ही गलती बार-बार नहीं हो सकती और बार-बार सिर्फ भगवान की मूर्तियाँ गायब होना या उनके चिह्न से ही समझौता करना मात्र संयोग नहीं हो सकता। ये विशुद्ध रूप से केवल मूर्ति पूजा का विरोध मालूम पड़ता है।
As usual, Ram Navmi wish without picture or Shree Ram like Ganesh Chaturthi wish without Ganesh ji? pic.twitter.com/Z0PNAHd2VS
— Abhishek Sharma (@Wo_Sharma_Ji) April 10, 2022
यही राहुल गाँधी को जब हिंदू धर्म पर सवाल खड़ा करना होता है, हिंदुओं को हिंसक दिखाकर देवताओं का अपमान करना होता है तो वो फौरन संसद में भगवान की तस्वीरें दिखाने से परहेज नहीं करते क्योंकि वहाँ पर मंशा हिंदुओं को बदनाम करने की होती है लेकिन बात जैसे ही हिंदुओं की आस्था को सम्मान देने की आती है वो चालाकी से उन्हीं तस्वीरों को छिपा लेते हैं। राहुल गाँधी के ऐसे दोहरे रवैया के बारे में अब नेटिजन्स भी अच्छे से जान गए हैं। उन्होंने पुराने पोस्ट की तस्वीरें साझा कर सवाल उठाए हैं कि आखिर जब संसद में चिल्लाते हुए भगवान की तस्वीर दिखा दी जाती है तो सदन के बाहर हिंदू त्योहारों के वक्त क्यों भगवानों की तस्वीरें गायब हो जाती हैं।
अपडेट: कॉन्ग्रेस के कुछ समर्थकों ने राहुल गाँधी के कुछ पुराने ट्वीट और कुछ हालिया ट्वीट दिखाए हैं, जिनमें हिंदू देवताओं की तस्वीरें दिखाई दे रही हैं। बावजूद इस तथ्य को नकारा नहीं जा सकता है कि हिंदू त्योहारों पर राहुल गाँधी के सोशल मीडिया पोस्ट से बार-बार हिंदू देवी-देवताओं की तस्वीरें गायब रही हैं। यही वजह कि लोगों ने उनके सोशल मीडिया पोस्टिंग पैटर्न पर सवाल उठाया है।