भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक अलग मुक़ाम बनाने के बाद अब प्रकाश राज ने अपनी कमाई इज्जत पर बट्टा लगाने की कसम खा ली है। यह और बात है कि बेइज्जती के कीचड़ में भी वो लोट-पोट होकर गर्व महसूस कर रहे हैं। पहले के प्रकाश राज को राजनीति में कोई ख़ास रूचि नहीं थी। लेकिन 2014 में मोदी सरकार के सत्ता संभालने के साथ ही उन्हें देश में सब कुछ बिगड़ता सा नज़र आने लगा। वैसे तो इस जमात में और भी कई लोग हैं लेकिन प्रकाश राज इसके नेतृत्वकर्ताओं में से एक हैं। इस पर आगे चर्चा होती रहेगी लेकिन शुरुआत करते हैं उनके नवंबर 2017 में दिए गए बयान से। प्रकाश राज ने उस दौरान अभिनेताओं के राजनीति में आने को देश का दुर्भाग्य बताते हुए कहा था कि वो अभिनेताओं के राजनीति में आने को सही नहीं मानते। उन्होंने यह भी कहा था कि वो किसी भी राजनीतिक पार्टी से नहीं जुड़ेंगे।
प्रकाश राज उस समय अप्रत्यक्ष रूप से तमिल अभिनेता कमल हासन पर निशाना साध रहे थे। तमिलनाडु में राजनीति और सिनेमा के संगम को आगे बढ़ाते हुए सुपरस्टार रजनीकांत और कमल हासन राजनीति में एंट्री की घोषणा कर चुके हैं। प्रकाश राज को अपने उस बयान को भूलने में बस 1 साल से कुछ ही महीने अधिक लगे। नवंबर 2017 में अभिनेताओं की राजनीति में एंट्री को देश का दुर्भाग्य बताने वाले प्रकाश राज ने जनवरी 2019 में घोषणा कर दी कि वो लोकसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में उतरेंगे। अभिनय के लिए नेशनल अवॉर्ड जीत चुके प्रकाश राज ने वास्तविकता में भी ऐसा ही किरदार निभाया, जैसा वो फ़िल्मों में निभाते आ रहे हैं।
बेंगलुरु सेंट्रल से चुनावी मैदान में ताल ठोक रहे प्रकाश राज ने अब कहा है कि चुनाव एक धंधा बन चुका है और वो अभिनेता और स्थानीय होने के कारण इतिहास बदलने की क्षमता रखते हैं। प्रकाश राज ने ख़ुद को सेक्युलर इंडिया की आवाज़ बताते हुए आगे कहा कि आज की चुनाव प्रणाली एक ब्रांडिंग बन चुकी है, मार्केटिंग टूल बन चुकी है। बकौल राज, वो नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ नहीं हैं, सिर्फ़ सत्ता से सवाल पूछ रहे हैं। वॉन्टेड, सिंघम और दबंग-2 में मुख्य विलेन की भूमिका निभा चुके प्रकाश राज वास्तविक दुनिया में लीड हीरो बनने की फ़िराक़ में हैं, भले ही उनकी कथनी और करनी में कोई मेल नहीं हो।
Prakash Raj who is contesting from Bengaluru Central LS seat as an independent candidate,says,”I’m not fighting against anyone.I’m fighting for the people. It’s we who are the majority. In democracy,if you choose the right leader,people win,if you choose wrong leader,people lose” pic.twitter.com/LYA1keGpT2
— ANI (@ANI) April 16, 2019
वामपंथी पार्टियों के दुलारे प्रकाश राज को आम आदमी पार्टी का भी समर्थन मिल रहा है। भाजपा और संघ को भर-भर कर गालियाँ देने वाले प्रकाश राज यू-टर्न लेने के मामले में अपने साथी अरविन्द केजरीवाल को भी पीछे छोड़ चुके हैं। वामपंथी पार्टियों के सम्मेलनों में उनके चेहरे को ख़ूब भुनाया गया। कहने को तो वो निर्दलीय मैदान में हैं लेकिन उन्हें किन पार्टियों का समर्थन प्राप्त है, यह किसी से छिपा नहीं है। गाय और गोमूत्र को लेकर भी उनके बयान ख़ासे चर्चा में रहे। उन्होंने अपने आलोचकों को गोमूत्र में गोबर मिलाकर कपड़े साफ़ करने को कहा था। खैर, उनकी यू-टर्न की एक और बानगी देखिए।
प्रकाश राज नरेंद्र मोदी की आलोचना में इतने खो गए कि उन्होंने अपना नेशनल अवॉर्ड वापस करने तक की भी घोषणा कर दी थी। लेकिन फिर शायद उन्होंने अपने घर में रखे पाँच नेशनल अवॉर्ड्स को जी भर देखने के बाद यू-टर्न लेने की योजना बनाई। बाद में उन्होंने कहा कि वो इतने भी बड़े मूर्ख नहीं हैं कि अपने अवॉर्ड्स वापस कर दें। उन्हें पता भी नहीं चला कि उन्होंने अनजाने में ही सही, अवॉर्ड वापसी करने वाले अपने साथियों को मूर्ख ठहरा दिया। अभी से ही यू-टर्न ले रहे प्रकाश राज शायद वो सारे दाँव-पेंच आज़मा रहे हैं जो उन्होंने फ़िल्मों में एक्टिंग के दौरान सीखे हैं।
वैसे बहुत लोगों को पता नहीं है लेकिन ये बात जानने लायक है कि प्रकाश राज पहले ऐसे एक्टर हैं, जिन्हें तेलुगू फ़िल्म इंडस्ट्री (टॉलीवुड) द्वारा बैन किया गया था। कई तेलुगू फ़िल्मों में काम कर चुके प्रकाश राज को उनकी ही इंडस्ट्री ने प्रतिबंधित कर दिया था। माँ दुर्गा के नाम पर बनी एक आपत्तिजनक टाइटल वाली फ़िल्म का भी उन्होंने समर्थन किया था। आलम यह है कि दिखावा के चक्कर में वो विदेशों में छुट्टियाँ मनाने के दौरान भी अपने आलोचकों के बारे में ही सोचते रहते हैं और अपनी लक्ज़री वाली लाइफस्टाइल से जुड़ी चीजें सोशल मीडिया पर पोस्ट कर तथाकथित ‘ट्रॉल्स’ को डेडिकेट करते हैं। कई ट्वीटर यूजर्स ने तो कहा भी है कि प्रकाश राज 24 घंटे आलोचकों को नीचा दिखाने के तरीके के बारे में ही सोचते रहते हैं।
Prakash Raj who is contesting from Bengaluru Central LS seat as an independent candidate,says,”I’m not fighting against anyone.I’m fighting for the people. It’s we who are the majority. In democracy,if you choose the right leader,people win,if you choose wrong leader,people lose” pic.twitter.com/LYA1keGpT2
— ANI (@ANI) April 16, 2019
अगर अभिनेताओं का राजनीति में आना ग़लत है, देश का दुर्भाग्य है तो प्रकाश राज आज ख़ुद राजनीति में क्यों हैं? अगर अवॉर्ड वापसी सही था तो उन्होंने ये क्यों कहा कि अवॉर्ड वापस करना उनके लिए मूर्खता है? अगर उनका व्यवहार अच्छा रहा है तो जिस इंडस्ट्री में उन्होंने कई हिट फ़िल्में दीं, उसने ही उन्हें क्यों प्रतिबंधित कर दिया? उमर ख़ालिद, कन्हैया कुमार और शेहला रशीद के साथ फोटो खिंचवा कर उन्हें प्रोत्साहित करने वाले प्रकाश राज भाजपा और केंद्र सरकार के ख़िलाफ़ किसी भी तरह के कृत्य का समर्थन कर अपने-आप को लोकतंत्र का सबसे बड़ा हीरो मानते हैं। और तो और, स्टैचू ऑफ यूनिटी से भी उन्हें ख़ासी दिक्कत थी।
इन अभिनेताओं के साथ असल दिक्कत यह है कि ये पहले तो सामाजिक कार्यकर्ता होने का ढोंग रचते हैं और फिर धीमे-धीमे राजनीति को गंदगी बताते-बताते कैसे उसी में उतर जाते हैं, पता ही नहीं चलता। ये ग़रीबों के लिए कार्य करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता नहीं होते, ये ख़ुद को एक्टिविस्ट कहलाना पसंद करते हैं और उसके लिए एकमात्र क्राइटेरिया है, वर्तमान मोदी सरकार को गालियाँ देना और इस जमात के अन्य लोगों का समर्थन करना, चाहे वो कोई भी हो। प्रकाश राज ने भी देखा कि जब करुणानिधि, अन्नादुराई, जयललिता और एनटीआर जैसे फ़िल्मों से जुड़े लोग मुख्यमंत्री बन सकते हैं और अम्बरीष, चिरंजीवी, विजयकांत जैसे अभिनेता अच्छे पदों पर पहुँच सकते हैं तो वो क्यों नहीं!
शायद इसी लालच से प्रकाश राज का मन डोल गया होगा। कर्णाटक में वामपंथी दलों व मोदी विरोधी खेमे के पोस्टर बॉय तो वो हैं ही। वो अलग बात है कि कॉन्ग्रेस ने ख़ूब कोशिश की कि वो बेंगलुरु सेंट्रल से न उतरें क्योंकि पार्टी ने वहाँ से एक मुस्लिम को टिकट दिया है और उसे अंदेशा है कि प्रकाश राज उसी का वोट काट बैठेंगे। ऐसे में, कॉन्ग्रेस को डर है कि कहीं भाजपा सांसद पीसी मोहन जीत की हैट्रिक न लगा बैठें। अब देखना यह है कि राजनीति को गाली देकर राजनीति में उतरे ‘एक्टिविस्ट’ प्रकाश राज का राजनीतिक करियर कितना लम्बा चलता है।