कल न्यूजीलैंड में जो हमला हुआ वह किसी को भी भीतर तक झकझोर देने वाला है। काले कपड़े में मस्जिद में घुसा एक अनजान आदमी करीब 50 लोगों को मौत के घाट उतार कर चला गया। विश्व के कोने-कोने में इस कृत्य की निंदा हुई। ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने जहाँ मरे हुए लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए राष्ट्रीय झंडा तक झुकवा दिया, वहीं पाकिस्तान तक के प्रधानमंत्री इमरान खान भी अपने बयान पर अटल रहे कि ‘आतंकवाद का कोई मजहब नहीं होता’। लेकिन ऐसे गंभीर और संवेदनशील मुद्दे पर भी भारत के कुछ तथाकथित लिबरलों से चुप्पी नहीं साधी गई।
हर मुद्दे में अपनी विचारधारा के मुताबिक एंगल ढूँढ लेने वाला यह लिबरल गिरोह एक तरफ़ जहाँ पुलवामा/उरी जैसे हमले पर सरकार से जवाब माँगता है और IAF के हमले पर सवाल उठाता है। वहीं न्यूज़ीलैड की घटना पर एकदम से निर्णायक बनकर उभरा। कल इस हमले के बाद रात में करीब साढ़े आठ बजे न्यूज़ जगत की महान हस्तियों में से एक सागरिका घोष का ट्विटर पर एक ट्वीट आया। जिसकी उम्मीद शायद लोगों को पहले से ही थी। उन्होंने अपने इस ट्वीट में हमले का कारण न केवल दक्षिणपंथियों को बताया बल्कि उन्होंने दक्षिण पंथियों को आतंकवादी ही घोषित कर दिया।
Right wing terrorism and the right wing terrorist: the reality the world needs to wake up to #NewZealandTerroristAttack
— Sagarika Ghose (@sagarikaghose) March 15, 2019
‘WHY I AM A LIBERAL’ की लेखिका और भारतीय समाचार जगत के सबसे ऊँचे नामों में से एक सागरिका का यह ट्वीट निसंदेह ही हास्यास्पद है, लेकिन इस पर गंभीर विचार करने की भी बहुत आवश्यकता है। लिबरलों का वह गिरोह जो भारत में एक आतंकी की मौत पर शोक मनाने की सलाह और संवेदनाओं पर लंबा-चौड़ा लेख लिख देता है। उसी गिरोह के लोग न्यूज़ीलैंड जैसे मौक़ों पर एकतरफा निर्णय देने से नहीं चूकते। चूँकि, कल न्यूज़ीलैंड के किसी मस्जिद में यह हमला हुआ और हमलावार के निशाने पर इस्लाम को मानने वाले लोग थे। तो सागरिका ने सीधा इसके तार ‘दक्षिणपंथी’ आतंक से जोड़ दिए। जबकि हमलावार ने खुद फेसबुक के जरिए बताया था कि इस हमला को किन कारणों से प्लान किया गया था।
Excellent report here on the motives of the right wing terrorist who attacked mosques in #NewZealandMosqueAttack https://t.co/WB35pFfwVK
— Sagarika Ghose (@sagarikaghose) March 15, 2019
आतंकवाद को मजहब से न जोड़ने की सलाह देने वाली विचारधारा के लोग सीधे दक्षिणपंथियों को आतंकवादी घोषित कर गए। बिना यह जानें कि जिस ब्रेंटन टैरंट का नाम इस हमले में आ रहा है वह खुद को स्कॉटिश, इंग्लिश और आयरिश पेरेंट्स की संतान बताता है। 2017 में एक आतंकी हमले का शिकार हुई एब्बा नाम की लड़की की मौत से आहत व्यक्ति ने अपने भीतर बदले की आग को अगर आतंकवादी हमले का रूप दे दिया तो इसमें दक्षिणपंथियों की भूमिका कैसे आ गई?
U must be happy2tweet this. Anyway the NZ attacker,he was no Rt winger,he was a communist than got to be liberal and Vowed to destroy “CONSERVATISM “&saw it more in Islam&chose to attack https://t.co/jy8gacwHIc one can justify killings,but you don’t b happy,he wasn’t the RW wala.
— Suhasini Winget?? (@SuhasiniW) March 16, 2019
ट्विटर पर 280 शब्दों की शब्द सीमा इतनी भी कम नहीं है सागरिका जी कि आप यह न समझा पाएँ कि आपने दक्षिणपंथियों को आतंकवाद का रूप क्यों बताया? आपके लिबरल हो जाने से हर दूसरी विचारधारा आतंकी नहीं हो जाती। इस हमले पर कल से हर कोई शोक मना रहा है जो दर्शाता है कि मानवता अब भी लोगों में बरकरार है। लेकिन शायद तथाकथित लिबरलों को इससे कोई लेना-देना नहीं हैं। तभी उन्होंने इस ऐसे मामले पर भी अपना एंगल मेंटेन कर लिया।
? ऐसे लोग अपने आप को इंटेलेक्चुअल समझते हैं, जिन्हें आतंक में भी सब कुछ दाहिना नजर आता है! वाह!
— #SurgicalStrike™ (@SurgicalWay) March 16, 2019
बांया करे तो किसी गरीब पोस्टमास्टर का बेटा और दाहिना करे तो आतंकी?#MyFirstVoteForModi #Christchurch #Islamophobia #IndiaFirst #Modi #ModiVsWho @DrGPradhan #ModiVsWho #ModiDobara pic.twitter.com/djxYvbiZQr
सागरिका जैसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर बात करने वाले लोग जब भूल जाते हैं कि उनके लिखे एक-एक शब्द का असर उनके पाठकों पर क्या पड़ रहा है तो उसे अतिवाद ही मान लेना चाहिए। क्योंकि ‘ऐसे’ समय में वो उस जनमत का निर्माण कर रहे होते हैं जो कि आने वाले समय में दो विचारधाराओं के बीच दंगे-फसाद का कारण बन सकता है। राजनैतिक और सामाजिक दृष्टि से किसी की भी हर मुद्दे पर दो राय हो सकती है लेकिन मानवता के लिहाज़ से कभी दो नज़रिए नहीं होते हैं। क्योंकि, उस लक्ष्य में भावनाओं को संरक्षित किया जाता है। इसको समझिए! परिस्थितियाँ चाहे कुछ भी हों, लेकिन आतंकवादी हमला करने वाले आतंकवादी ही कहलाते हैं। जो आप आज समाज को दे रहे हैं कल को समाज आपको वही लौटाएगा, और यह बात हर संदर्भ में प्रासांगिक है।
सोशल मीडिया पर पहले ही दो विचारधारा के लोगों को IT सेल की कार्यशैलियों द्वारा वॉर रूम के डिबेटर्स में तब्दील किया जा चुका है। अब व्यक्ति के भीतर तक ऐसे भावनाओं को मत उपजाएँ कि जाति-पाति से परेशान लोग सेकुलकर देश में एक दूसरे की धर्म और विचारों से तंग आकर खतरनाक रूप ले लें। सागरिका के ट्विटर से ही मालूम पड़ा कि उन्हें ऑक्सफॉर्ड यूनियन में वक्ता के रूप में बुलाया गया है। उम्मीद है कि वह वहाँ जाकर अपने ट्वीट की तरह लोगों को बाँटने का प्रयास नहीं करेंगी। और याद रखेंगी कि आपके लिबरल होने का मतलब दक्षिणपंथियों का या उनकी विचारधारा का आतंकी होना नहीं है।