भोजपुरी में एक पुरानी कहावत है, “सास ननद भउजाई, दु रोटी में कइसे खाई ?” ना ही ये कहावत ज्यादा मुश्किल है ना ही ऐसा है कि हिन्दीवासियों को भोजपुरी समझने में मुश्किलें आती हैं। फिर भी, अगर थोड़ी सी भी शंका हो दिमाग में तो बिहार महागठबंधन की वर्तमान हालत देख लीजिए। आपको ये कहावत आसानी से समझ आ जाएगा।
बिहार में कुल 40 लोकसभा सीटें हैं। वर्तमान राजनैतिक परिपेक्ष्य में देखे तो दो गठबंधन चुनाव लड़ रहे हैं। पहली तो सत्ता पक्ष है NDA जिसमे भाजपा, जदयू और लोजपा शामिल हैं। वहीं दूसरी ओर हाल ही में बना महागठबंधन है, जिसमें राजद, कॉन्ग्रेस, हम, विकासशील इंसान पार्टी (VIP) और 4.5 साल तक सत्ता सुख भोग के अचानक से सरकार में दोष ढूँढ कर छिटकने वाले कुशवाहा जी की रालोसपा भी है। लेफ्ट के लिए महागठबंधन में लगभग हाँ या ना वाली वैसी ही हालत है, जैसी केजरीवाल की कॉन्ग्रेस ने दिल्ली में कर रखी है।
बिहार में तो महामिलावट चुनाव से पहले ही बंदरबांट वाली स्थिति में नजर आ रहा है।
— Chowkidar Nityanand Rai (@nityanandraibjp) March 20, 2019
महामिलावट वाले दलों की न कोई नीति है, न इनके पास निर्णय लेने की क्षमता है, न नेतृत्व नजर आता है और न ही साफ नीयत से कोई काम कर सकते हैं।
सिर्फ इन्हें लूट, भ्रष्टाचार और बंदरबांट करना आता है।
जब इतनी बड़ी संख्या में सीटें है, खटपट होना तो तय ही था। बात जब सीट शेयरिंग की आई तो राजग में ज्यादा माथापच्ची नही हुई और गठबंधन में अपने साथियों को साथ लेकर ना चलने के लिए ‘बदनाम‘ भाजपा ने बड़े भाई की भूमिका में आते हुए ख़ुशी-ख़ुशी अपनी कुछ सीटें साथी दलों के लिए छोड़ दीं और बड़ी ही आसानी से सीटों का बँटवारा हो गया। असली पेंच फँसा महागठबंधन में जिसका मुख्य मुद्दा ही मोदी को सत्ता से बाहर करना है। शुरुआत में राजद ने अपने लिए 22 सीटें माँगी और कॉन्ग्रेस ने 11 सीटों की डिमांड रखी। उस समय तक कुशवाहा जी राजग में थे तो 4-5 सीटें जीतन राम माँझी की हम को और 1-2 मुकेश साहनी की VIP को आराम से मिल जानी थी लेकिन फिर चार साल सत्ता की मलाई चाटने के बाद कुशवाहा जी अपना चावल लेकर यदुवंश के दूध में खीर पकाने और ‘हम’ तथा ‘VIP’ का पकवान ख़राब करने आ गए।
कुशवाहा जी आए और नया समीकरण कुछ यूँ बना- राजद 21, कॉन्ग्रेस 9, रालोसपा 4-5, हम 2-3, VIP और लेफ्ट 1 सीट पर लड़ेंगे। अब ये समीकरण कॉन्ग्रेस और ‘हम’ को पसंद नही आया। कॉन्ग्रेस 11 से कम पर मानने को तैयार नहीं थी और माँझी को रालोसपा से कमतर कुछ भी मंज़ूर नहीं था। हालाँकि, इस समीकरण पर बिहार की राजनीति की दूसरी धुरी और चारा घोटाले में सजा काट रहे लालू यादव ने मुहर नही लगाया था। आपको बता दें कि बिहार की राजनीति का यह खिलाड़ी जेल में बैठे-बैठे ही राजद के सारे निर्णय ले रहा है।
संविधान और देश पर अभूतपूर्व संकट है। अगर अबकी बार विपक्ष से कोई रणनीतिक चुक हुई तो फिर देश में आम चुनाव होंगे या नहीं, कोई नहीं जानता? अगर अपनी चंद सीटें बढ़ाने और सहयोगियों की घटाने के लिए अहंकार नहीं छोड़ा तो संविधान में आस्था रखने वाले न्यायप्रिय देशवासी माफ़ नहीं करेंगे।
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) March 16, 2019
महागठबंधन तो टूटने की कगार पर है लेकिन अफवाहों के बीच ‘गुप्त सूत्रों’ से फिलहाल ख़बर यह है कि लालू यादव की मर्जी से अब नया समीकरण तय हो चुका है और इसमे राजद को 20, कॉन्ग्रेस को 9, रालोसपा को 5, हम को 4 और लेफ्ट तथा VIP को 1-1 सीटें मिली हैं। अब देखना है कि इसकी आधिकारिक घोषणा कब होती है। जब चुनाव से पहले ही ये हालात हैं तो पता नहीं चुनाव के बाद इनका क्या होगा। घोषणा होने तक इंतजार कीजिए और ये सोच के मज़े लीजिए कि जब सीटों की ये मारामारी है तो प्रधानमंत्री पद के लिए किस हद तक जाया जा सकता है?