देश में बलात्कार के मामलों की बढ़ती संख्या और इनमें न्याय की धीमी प्रक्रिया को देखते हुए मोदी सरकार ने देश भर में 1023 फ़ास्ट ट्रैक अदालतों के गठन का निर्णय लिया है। इनमें केवल पॉक्सो और बलात्कार के मामलों की सुनवाई होगी। इसके ज़रिए सरकार एक साल में लंबित 1,66,882 रेप और पॉक्सो मामलों का निपटारा कर देना चाहती है।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार सरकार ने हर एक राज्य और हाई कोर्ट से इनके गठन और संचालन के लिए हाँ या न इसी साल 31 दिसंबर तक कर देने के लिए कहा है। इनके लिए सुझाव अगले वित्त आयोग (2020-25) की रिपोर्ट में भी होने की उम्मीद है।
#Breaking | Big step by @narendramodi Govt.
— TIMES NOW (@TimesNow) December 6, 2019
Centre to set up over 1000 fast-track courts across India.
Listen in. | #CopsKillRapists pic.twitter.com/2Ohnzj8TQs
कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने राज्य सभा में बताया कि 16 राज्यों ने केंद्र सरकार को इसके लिए हाँ कर दिया है। इसके अलावा 704 फ़ास्ट -ट्रैक अदालतों का गठन हो चुका है और उनमें न्यायिक काम चल रहा है।
704 fast-track functional courts have been established so far for heinous crimes against women.
— BJP (@BJP4India) December 5, 2019
We’ve proposed 1,023 fast-track courts, agreed upon by 16 states, for rape, violence against women & POCSO Act.
161 courts are working & 420 are underway: Shri @rsprasad in RS pic.twitter.com/tePwQqahtz
भाजपा सांसद राजकुमारी दीया कुमारी ने इस निर्णय का स्वागत किया है।
For providing Justice to all rape victims, our govt. under the able leadership of Hon. PM @NarendraModi ji will be setting up of a total of 1023 #FastTrackSpecialCourts (FTSCs) for expeditious trial & disposal of rape cases & cases under the POCSO Act.https://t.co/VKDlpMSeG7
— Diya Kumari (@KumariDiya) December 7, 2019
उन्नाव मामले में भी उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने मामले को फ़ास्ट ट्रैक अदालत के हवाले करने की घोषणा कर दी है।
Unnao rape victim’s death ‘extremely sad’, case will be fast-tracked: UP CM Yogi Adityanath
— Amrita Bhinder (@amritabhinder) December 7, 2019
“All the accused people have been arrested. The case will be taken to a fast-track court, and punishment will be given,” he said in a statement issued here. https://t.co/qTonCXIuEk