दिल्ली में कॉन्ग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष शीला दीक्षित के ख़ुद के संसदीय क्षेत्र में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है। उत्तर-पूर्वी दिल्ली से इस बार तीनों प्रमुख पार्टियों ने पूर्वांचल के ब्राह्मणों पर भरोसा जताया है। जहाँ भाजपा से मौजूदा सांसद मनोज तिवारी मैदान में हैं, कॉन्ग्रेस ने अपने सबसे बड़े ट्रम्प कार्ड पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को उतारकर माहौल गरमा दिया है। आम आदमी पार्टी दिलीप पांडेय पर दाँव खेल रही है। दीक्षित और तिवारी, ये दोनों ही अपनी-अपनी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हैं। ऐसे में, इस सीट पर प्रदेश अध्यक्षों की लड़ाई देखने को मिल रही है। शीला दीक्षित से पहले ज़िले के कद्दावर कॉन्ग्रेसी भीष्म शर्मा को इस सीट से टिकट का दावेदार माना जा रहा था। भीष्म शर्मा 4 बार विधायक रह चुके हैं और यहाँ उनका अच्छा-ख़ासा प्रभाव है।
कॉन्ग्रेस ने भीष्म को नज़रअंदाज़ करते हुए शीला दीक्षित को उतार दिया। शीला और भीष्म में पुरानी प्रतिद्वंद्विता है और इसीलिए शीला ने प्रदेश अध्यक्ष का कार्यभार संभालते ही सबसे पहले भीष्म शर्मा पर गाज गिराई। लम्बे समय से बग़ावती तेवर में चल रहे शर्मा को शीला ने 6 वर्षों के लिए पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया। निलंबन के बाद भीष्म शर्मा ने पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल रहने के आरोपों को सिरे से नकार दिया। भीष्म शर्मा को दिल्ली कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अजय माकन कैम्प का माना जाता है। अब उनके पार्टी से जाते ही सियासी बवाल शुरू हो गया है। कॉन्ग्रेस के 12 नेताओं ने पार्टी में अलग-अलग पदों से इस्तीफा दे दिया है। इन नेताओं ने भीष्म के समर्थन और शीला के विरोध में इस्तीफा दिया।
इस बाबत प्रतिक्रिया देते हुए भीष्म शर्मा ने कहा:
मैंने अपने जीवन के 41 साल कॉन्ग्रेस को दिए हैं। किसी भाजपा नेता से मिलना पार्टी विरोधी गतिविधि कैसे हो सकता है? मैं मनोज तिवारी से कई बार मिला। वह यहाँ के सांसद हैं। उनसे शिष्टाचार के नाते भी मुलाक़ात की जा सकती है और अपने क्षेत्र की समस्याओं को लेकर भी। मैंने अपनी बातें भी पार्टी के मंच पर रखी हैं। पार्टी विरोधी किसी गतिविधि में शामिल नहीं रहा।”
प्रदेश प्रभारी पीसी चाको ने शीला दीक्षित द्वारा भीष्म शर्मा को निलंबित किए जाने को असंवैधानिक करार दिया था। भीष्म शर्मा के समर्थक शीला के ख़िलाफ़ प्रदर्शन की तैयारी भी कर रहे हैं। हालाँकि, कॉन्ग्रेस में विभिन्न पदों से इस्तीफा देने वाले नेतागण पार्टी में तो बने रहेंगे लेकिन उन्होंने राहुल गाँधी को अपना इस्तीफा भेजते हुए भीष्म शर्मा का समर्थन किया। उनका पूछना था कि शर्मा को कारण बताओ नोटिस जारी क्यों नहीं किया गया और उनका पक्ष क्यों नहीं सुना गया? मनोज तिवारी ने शीला के साथ मुक़ाबले को रोचक बताया और कहा कि वह पूर्व मुख्यमंत्री का यहाँ स्वागत करते हैं।
मनोज तिवारी के समर्थन में दिल्ली भाजपा ने अमित शाह के रोड शो का प्रोग्राम भी बनाया है। दिलीप पांडेय ने तिवारी पर पूर्वांचलवासियों की भावनाओं को आहत करने का आरोप लगाया। पांडेय ने ख़ुद के बारे में कहा कि वो अकेले ऐसे उम्मीदवार हैं जिन्होंने इस क्षेत्र में घर-घर का दौरा किया है। पांडेय भी दिल्ली में आप का संयोजक रह चुके हैं। ऐसे में, उत्तर-पूर्वी दिल्ली में मुक़ाबला दिलचस्प बना हुआ है।