जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद-370 के प्रावधानों को निरस्त किए गए 2 साल से भी अधिक बीत चुके हैं। सुरक्षा व्यवस्था कड़ी रहने और अतिरिक्त सख्ती के कारण आतंकी उस समय किसी अप्रिय घटना को अंजाम नहीं दे पाए। सभी अलगाववादियों और पाकिस्तान परस्त कश्मीरी नेताओं को पहले ही नजरबंद कर दिया गया था। लेकिन, घाटी में अब हिन्दुओं और सिखों की हत्याओं का दौर फिर से शुरू हो गया है। इस बीच हमें फारूक अब्दुल्ला के एक बयान को भी याद करना चाहिए।
84 वर्षीय फारूक अब्दुल्ला ‘जम्मू एंड कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस (JKNC)’ के अध्यक्ष हैं। उनके पिता जम्मू कश्मीर के ‘प्रधानमंत्री’ रह चुके हैं। वो खुद राज्य के मुख्यमंत्री रहे हैं। उनके बेटे उमर अब्दुल्ला ने भी बतौर मुख्यमंत्री अपना कार्यकाल पूरा किया था। ऐसे में इतने बड़े नेता द्वारा दिए गए बयान हल्के में नहीं लिए जाने चाहिए। उनके जिस बयान का हम जिक्र कर रहे हैं, वो उन्होंने अनुच्छेद-370 के निरस्त होने से 4 महीने पहले अप्रैल 2019 में दिया था।
उन्होंने कहा था, “वो समझते हैं कि बाहर से लाएँगे, बसाएँगे और हम सोते रहेंगे? हम इसका मुकाबला करेंगे। अनुच्छेद-370 को कैसे ख़त्म करोगे? अल्लाह की कसम खा कर कहता हूँ, अल्लाह को ये मंजूर नहीं होगा। हम इनसे आज़ाद हो जाएँ। करें, हम भी देखते हैं। देखता हूँ फिर कौन इनका झंडा खड़ा करने के लिए तैयार होगा।” कुछ इसी तरह का बयान पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने भी दिया था कि इसके बाद जम्मू कश्मीर में कोई तिरंगा उठाने वाला भी न बचेगा।
#WATCH F Abdullah: Bahar se laenge, basaenge,hum sote rahenge?Hum iska muqabala karenge,370 ko kaise khatam karoge?Allah ki kasam kehta hun,Allah ko yahi manzoor hoga,hum inse azad ho jayen.Karen hum bhi dekhte hain.Dekhta hun phir kon inka jhanda khada karne ke liye taiyar hoga. pic.twitter.com/hrxoh9ECOY
— ANI (@ANI) April 8, 2019
अब जब कश्मीर फिर से गैर-मुस्लिमों का कत्लेआम शुरू हो गया है, फारूक अब्दुल्ला का ये धमकी भरा बयान याद आ रहा है। पिछले 5 दिन में जम्मू कश्मीर में 7 हत्याएँ हुई हैं। बौखलाए आतंकियों ने गुरुवार (7 अक्टूबर, 2021) को एक महिला सिख शिक्षक और एक हिन्दू शिक्षक की हत्या कर दी। 6 हत्याएँ शहर में हुई हैं। लोगों को 90 का दशक याद आ रहा, जब वहाँ के पंडितों का नरसंहार हुआ था। उन्हें घाटी छोड़नी पड़ी थी।
जम्मू कश्मीर के लोगों के बीच जनसांख्यिकी बदलाव का डर बैठाया जा रहा है और उन्हें कहा जा रहा है कि हिन्दुओं के यहाँ आने से वो असुरक्षित महसूस करेंगे। अफगानिस्तान में तालिबान का शासन आने के बाद इस्लामी आतंकियों का मनोबल बढ़ा है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने NSA अजीत डोभाल सहित अन्य अधिकारियों की एक उच्च-स्तरीय बैठक भी बुलाई। इसमें CRPF BSF के मुखिया भी शामिल हुए।
ताज़ा घटनाओं की बात करें तो 2 अक्तूबर को राजधाइ श्रीनगर के चट्टाबल के रहने वाले माजिद अहमद गोजरी की आतंकियों ने हत्या कर दी। इसी दिन एसडी कॉलोनी बटमालू में मोहम्मद शफी डार को गोलियों से भून डाला गया। 5 अक्टूबर को लोकप्रिय दवा कारोबारी माखन लाल बिंदरू की हत्या हुई। इसके कुछ ही देर बाद बिहार के महादलित चाट विक्रेता वीरंजन पासवान की हत्या हुई। उसी दिन बांदीपोरा में मोहम्मद शफी लोन को मार डाला गया।
फिर दो शिक्षकों को मौत के घाट उतार दिया गया। वही फारूक अब्दुल्ला अब घड़ियाली आँसू बहा रहे हैं। उन्होंने मशहूर कश्मीरी पंडित हस्ती माखन लाल बिंदरू के इंदिरा नगर स्थित आवास का दौरा कर पीड़ितों से मुलाकात की, जिन्हें मार डाला गया था। उन्होंने बिंदरू को नेकदिल इंसान बताते हुए कहा कि वो सबकी मदद करते थे। हत्यारों को उन्होंने शैतान करार दिया और पीड़ित परिवार से आग्रह किया कि वो कश्मीर छोड़ कर न जाएँ।