पूर्व वित्तमंत्री, वरिष्ठ कॉन्ग्रेस नेता और वकील होने के साथ-साथ भ्रष्टाचार मामलों में आरोपित पी चिदंबरम ने 12 सितंबर को दिल्ली हाई कोर्ट में अपनी दो याचिकाएँ दाखिल कीं। उनकी एक याचिका जमानत से संबंधी थी जबकि दूसरी याचिका न्यायिक हिरासत के फैसले को खारिज करने के संबंध में दाखिल की गई।
Apart from mentioning his old age of 74, #PChidambaram, in his bail plea before the #Delhi High Court, has cited 9 diseases he suffers from.
— Utkarsh Anand (@utkarsh_aanand) September 11, 2019
His two petitions, one on bail and another to quash the judicial remand proceedings, will be heard by Justice Suresh Kait tomorrow. pic.twitter.com/GFdeBm0wVw
मजेदार बात यह रही कि इनमें से एक याचिका में लगभग-लगभग गिड़गिड़ाने वाली भाषा-शैली का प्रयोग किया गया है। संसद में बैठ कर कल तक जो देश के आम नागरिकों पर लागू होने वाले कानून बनाते थे, आज अपने ही बनाए कानून से बचने के लिए उम्र और बीमारी का बहाना ढूंढ रहे हैं।
वकील रहे पी चिदंबरम का यह मामला भारतीय कानून के इतिहास में संभवत चुनिंदा मामलों में से एक होगा, जहाँ खुद आरोपित ही न्यायिक हिरासत के बजाय संस्थागत हिरासत (CBI/ED) में जाना चाहते हैं। जानकारों की मानें तो तिहाड़ जेल में चिदंबरम को वो सुख-सुविधाएँ नहीं मिल पा रही हैं, जो 15 दिनों तक CBI कस्टडी में मिल रही थी। जानकारी के लिए बता दें कि CBI कस्टडी में उन्हें VIP सेल में रखा गया था।
आपको बता दें कि INX मीडिया घोटाले में कोर्ट के आदेश के बाद पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम के तिहाड़ जाने के बाद कपिल सिब्बल ने ट्विटर के जरिए सवाल किया था कि अब आखिर हमारे मौलिक अधिकारों की रक्षा कौन करेगा?
5 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने ईडी की कस्टडी में पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया था और उसी रात ही उन्हें तिहाड़ जेल भेज दिया गया था।