दिल्ली के लुटियंस जोन में लगातार चेतावनी के बावजूद अभी तक 82 पूर्व सांसदों ने सरकारी बंगला खाली नहीं किया है। अगर इन पूर्व सांसदों ने आवास खाली नहीं किया तो सरकार इनसे लोक आवास अधिनियम के तहत घर खाली करा सकती है। इनके इस व्यवहार को अनधिकृत कब्जे के रूप में गिना जाएगा। लोकसभा आवास समिति ने कहा है कि इन पूर्व सांसदों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इन्हें बार-बार नोटिस भेजा जा रहा है लेकिन वे बंगला खाली नहीं कर रहे।
अधिकारी उस आदेश का इंतजार कर रहे हैं, जिसमें इन पूर्व सांसदों से आवास खाली कराने को कहा जाएगा। आदेश के साथ ही इनके बंगलों की बिजली, पानी और गैस कनेक्शन काट दिए जाएँगे। नियमानुसार, दोबारा चुन कर न आए सांसदों को लोकसभा भंग होने के एक महीने के भीतर अपना सरकारी आवास खाली करना होता है। राष्ट्रपति कोविंद ने 25 मई को ही पिछली लोकसभा भंग कर दी थी। इस हिसाब से देखें तो अब तक लगभग 4 महीने हो चुके हैं।
ज्ञात हो कि लोकसभा की हाउसिंग कमिटी ने सभी पूर्व सांसदों को सरकारी आवास खाली करने के लिए 7 दिनों की समय सीमा दी थी। कमिटी की अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने कहा था कि जो पूर्व सांसद सरकारी आवास खाली करने में आनाकानी कर रहे हैं, उनके घर में बिजली और पानी की सप्लाई काट दी जाएगी। ऐसा करने के लिए अधिकारियों को निर्देश दे दिया गया था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़, 200 ऐसे पूर्व सांसद थे जो सरकारी आवासों में जमे हुए थे।
82 ex-MPs still to vacate official bungalows despite warning: Report https://t.co/ZnHRlI0QQR pic.twitter.com/A9DqAh5Fj4
— NDTV (@ndtv) September 15, 2019
इसके बाद ख़बर आई थी कि पानी और बिजली के कनेक्शन काट दिए जाने के निर्देश के कारण, या यूँ कहें कि डर के कारण सरकारी बंगलों में रहने वाले 50% से अधिक पूर्व सांसदों ने अपना-अपना सरकारी आवास खाली कर दिया है। कुछ नए मंत्री अपने आधिकारिक आवास की प्रतीक्षा कर रहे हैं क्योंकि अभी पूर्व सांसदों ने अपने आवास खाली नहीं किए हैं। कुछ दोबारा चुने हुए सांसदों को, जिन्हें मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली, उन्हें वर्तमान आवास को खाली करने के लिए लोकसभा निकाय से नया आवास लेने की आवश्यकता होगी।