दिल्ली से लेकर पंजाब तक आम आदमी पार्टी (AAP) की सरकार प्रदूषण रोकने में नाकाम हो रही है। लगातार कई तरह की योजनाएँ बनाने के दावों और तमाम प्रतिबंध लगाने के बाद भी राजधानी दिल्ली में हवा का स्तर खराब होता जा रहा है जबकि पंजाब में पराली जलने से रोकने में भी नाकामी मिल रही है।
सर्दियों का मौसम आते ही दिल्ली की हवा एक बार फिर एक बार खराब हो गई है। रविवार (29 अक्टूबर, 2023) को दिल्ली के सोनिया विहार इलाके में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 352 जबकि दिल्ली विश्वविद्यालय के उत्तरी कैम्पस में 351 दर्ज किया गया। नेहरू नगर में तो AQI 400 के पार निकल गया।
#WATCH | Overall Air Quality Index (AQI) in Delhi stands at 309, in the 'Very Poor' category as per SAFAR-India. pic.twitter.com/RVZzF0lSC3
— ANI (@ANI) October 29, 2023
दिल्ली के अन्य कई इलाकों में भी AQI 200-300 के बीच है। हवा में प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक है, विशेषकर साँस की बीमारियों से परेशान रोगियों के लिए यह घातक हो सकता है।
यह हालात तब हैं जब दिल्ली में निर्माण कार्यों समेत गाड़ियों और डीजल जनरेटर जैसी गतिविधियों पर आंशिक या पूर्ण रूप से कई प्रतिबंध लगाए गए हैं। दिल्ली की केजरीवाल सरकार प्रदूषण रोकने में नाकाम रहने पर अब अपने हाथ खड़े कर रही है। दिल्ली सरकार में मंत्री आतिशी मार्लेना ने 25 अक्टूबर को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि प्रदूषण के स्रोतों को मापने के लिए कोई आधिकारिक डाटा मौजूद नहीं है। आतिशी के इस बयान को सोशल मीडिया पर हास्यास्पद बताया गया।
#WATCH | Delhi: Services Minister Atishi says, "There is no official data available which can tell which source leads to what amount of pollution. The problem is that no policy can be drafted to reduce this pollution when the government doesn't know the amount of contribution of… pic.twitter.com/HY6vzjLp8k
— ANI (@ANI) October 25, 2023
गौरतलब है कि पंजाब में ‘आम आदमी पार्टी’ (AAP) की सरकार आने से पहले आतिशी स्वयं और केजरीवाल दिल्ली के प्रदूषण का पूरा भार हरियाणा और पंजाब में किसानों के पराली जलाने पर डालते रहते थे। उनका खुद का एक वर्ष 2020 का बयान इसी विषय में है।
दिल्ली के अलावा पंजाब में भी आम आदमी पार्टी की सरकार प्रदूषण को नियंत्रित करने में असफल साबित हो रही है। जहाँ हरियाणा की सरकार ने पराली जलाने की घटनाओं पर नियन्त्रण पाया है वहीं पंजाब में लगातार पराली जल रही है। मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि पंजाब में पराली जलाने के कारण दृश्यता कम हो गई है और शहरों का प्रदूषण स्तर भी बढ़ रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब में इस वर्ष 15 सितम्बर से लेकर 28 अक्टूबर तक पराली जलाने की 4186 घटनाएँ सामने आ चुकी हैं। हरियाणा में यह इसकी एक चौथाई 1019 ही हैं।
पंजाब में किसान पराली जलाने के नायाब तरीके भी ढूँढ रहे हैं। एक रिपोर्ट में बताया गया है कि पराली में आग लगाने के तुरंत बाद किसान उस पर ट्रैक्टर चला रहे हैं ताकि जलती हुई पराली दब जाए और उसका धुआँ ज्यादा ना उठे। इस तरीके से पंजाब की एजेंसियाँ सैटेलाइट में यह धुआँ नहीं देख पाती।
पंजाब के किसान यह कदम उठाने के लिए इस लिए भी मजबूर हैं क्योंकि उन्हें आम आदमी पार्टी की सरकार पराली का स्थायी निस्तारण अभी तक नहीं दे पाई है, ऐसे में किसानों के पास इसे जलाने के अलावा और कोई रास्ता भी नहीं बचता है भले ही यह पर्यावरण के लिए कितना ही हानिकारक क्यों ना हो।