कोरोना वायरस से लड़ने में सफल रहे उत्तर प्रदेश के आगरा मॉडल की चहुँओर चर्चा हो रही है। अब यह मॉडल पूरे देश को राह दिखाने को तैयार है। आगरा की लड़ाई तभी शुरू हो चुकी थी, जब देश में लॉकडाउन हुआ भी नहीं था। रात के 2 बजे जैसे ही एक व्यक्ति के कोरोना पॉजिटिव होने की सूचना आई, 1248 टीमें बना कर पूरे जिले में कोरोना के लक्षण वाले लोगों और उनके संपर्क में आने वालों को ट्रेस करने का अभियान शुरू किया गया। केंद्र सरकार ने भी अपनी डेली ब्रीफिंग के दौरान आगरा मॉडल का जिक्र किया। अब दूसरे राज्य भी इससे सीख रहे हैं। उच्च-स्तरीय बैठकों में इसकी चर्चा हो रही है।
आगरा में कोरोना के मामले तब आए थे, जब एक व्यक्ति ऑस्ट्रिया से लौटा और उसके साथ दिल्ली के मयूर विहार का भी एक व्यक्ति था, जो दिल्ली का पहला कोरोना पॉजिटिव मामला था। ऑस्ट्रिया से उक्त व्यक्ति जैसे ही आगरा आया, यहाँ भी संक्रमण शुरू हो गया। हालाँकि, उसके एयरपोर्ट पर हुए टेस्ट की पुष्टि रिपोर्ट आ गई थी और तभी आगरा का प्रशासन हरकत में आ गया। इसके बाद कॉम्बिंग अभियान शुरू हुआ और उक्त व्यक्ति के घर के तीन किलोमीटर के रेडियस को सील कर दिया गया। दो-दो सदस्यों वाली 259 टीमें बनाई गईं। कुछ ही दिनों में 1.63 लाख घरों तक जाकर 1000 सैम्पल इकट्ठे किए गए।
एसएन मेडिकल कॉलेज को अधिकारियों ने अपना बेस बनाया था। एक टीम एक दिन में लगभग 100 घरों तक जाती थी। सारे छोटे अस्पतालों में भी डॉक्टरों को बिठाया जाने लगा, ताकि जिन्हें भी कोरोना के लक्षण दिखाई दें, उन्हें मेडिकल टेस्ट के लिए ज्यादा दूर न जाना पड़े। ‘कमान एंड कण्ट्रोल सेंटर’ को वॉररूम बना कर जिला प्रशासन और सरकार के बीच सामंजस्य बिठा कर काम किया गया। इसमें फ्रंटलाइन कर्मचारियों का ख़ासा योगदान रहा। जिला प्रशासन ने नक़्शे पर चिह्नित किया कि कहाँ-कहाँ पॉजिटिव मामले मिले हैं और एक टास्क फोर्स का गठन किया गया। हर हॉटस्पॉट के 5 किलोमीटर के आसपास के क्षेत्र को कन्टेनमेंट जोन में बदल दिया गया।
इन सभी क्षेत्रों में ‘अर्बन प्राइमरी हेल्थ केयर’ को लगाया गया और 1248 टीमें तैनात की गईं। आशा कर्मचारियों से सेवा ली गई, जिन्होंने 9 लाख लोगों की घर-घर जाकर स्क्रीनिंग की। जिला, प्रखंड और ग्रामीण स्तर पर ‘रैपिड एक्शन टीम’ बनाई गई, जिससे कम्युनिटी ट्रांसफर को रोकने में मदद मिली। सबसे पहले तो सिटी की सीमा को सील कर दिया गया। इसके बाद जिले के सभी एंट्री और एग्जिट पॉइंट्स पर चेकपोस्ट स्थापित किए गए। प्राइवेट गाड़ियों को रोका जाने लगा और आसपास के जिलों से भी अनुरोध किया गया कि वो अपनी-अपनी सीमाओं को सील कर दें। आगरा में फ़िलहाल कोरोना के मरीजों की संख्या 106 है, जिनमें 52 जमाती हैं। जिलाधिकारी ने बताया:
“चिह्नित किए गए क्षेत्रों में हमने नई रणनीति के तहत काम शुरू करने का निर्णय लिया है। इन क्षेत्रों में डॉक्टरों की टीम जाकर स्क्रीनिंग करेगी। स्क्रीनिंग के दौरान किसी तरह का लक्षण पाए जाने पर उसे एंबुलेंस से सीधे जिला अस्पताल लाया जाएगा। इसके बाद उसका नमूना लिया जाएगा। इस प्रक्रिया के लिए सभी कर्मचारियों को पीपीई किट दे दी गई है। इन इलाकों के पर्यवेक्षण के लिए सभी अपर मजिस्ट्रेट एसडीएम और सीओ की ड्यूटी लगाई गई है। इसके पीछे उद्देश्य है कि उनके रहते ज्यादा से ज्यादा लोगों की स्क्रीनिंग हो पाए।”
आगरा में हर एरिया का एक माइक्रोप्लान बनाया गया था। कुल 2500 लोगों की पहचान की गई जिन्हें कफ, सर्दी, बुखार जैसे लक्षणों की शिकायत थी। इनमें से 36 लोगों की ट्रेवल हिस्ट्री थी। सबकी मेडिकल जाँच की गई। अभी तक आगरा में 33 हॉटस्पॉट क्षेत्र थे। इसमें शनिवार (अप्रैल 11, 2020) की सुबह 5 क्षेत्र और चिह्नित किए गए। बाद में 9 कम कर 29 कर दिए गए। इस तरह अब आगरा के 29 हॉटस्पॉट इलाकों में स्क्रीनिंग का काम शुरू किया गया।