विपक्षी सांसदों के जोरदार हंगामे के बीच राज्यसभा ने कृषि विधेयकों को पारित कर दिया है। रविवार (सितंबर 20, 2020) को कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सरलीकरण) विधेयक-2020, कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 को उच्च सदन ने ध्वनिमत से पास कर दिया। इसके बाद राज्यसभा की कार्यवाही स्थगित कर दी गई।
A watershed moment in the history of Indian agriculture! Congratulations to our hardworking farmers on the passage of key bills in Parliament, which will ensure a complete transformation of the agriculture sector as well as empower crores of farmers.
— Narendra Modi (@narendramodi) September 20, 2020
बता दें कि यह विधेयक लोकसभा में पारित हो चुका है। विधेयक पारित होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि सुधार संबंधी विधेयकों को ‘ऐतिहासिक’ करार दिया। उन्होंने कहा, “भारत के कृषि इतिहास में आज एक बड़ा दिन है। संसद में अहम विधेयकों के पारित होने पर मैं अपने परिश्रमी अन्नदाताओं को बधाई देता हूँ। यह न केवल कृषि क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन लाएगा, बल्कि इससे करोड़ों किसान सशक्त होंगे।”
I said it earlier and I say it once again:
— Narendra Modi (@narendramodi) September 20, 2020
System of MSP will remain.
Government procurement will continue.
We are here to serve our farmers. We will do everything possible to support them and ensure a better life for their coming generations.
प्रधानमंत्री ने जोर देते हुए कहा, “मैं पहले भी कहा चुका हूँ और एक बार फिर कहता हूँ: MSP की व्यवस्था जारी रहेगी। सरकारी खरीद जारी रहेगी। हम यहाँ अपने किसानों की सेवा के लिए हैं। हम अन्नदाताओं की सहायता के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे और उनकी आने वाली पीढ़ियों के लिए बेहतर जीवन सुनिश्चित करेंगे।”
Our agriculture sector is in desperate need of latest technology that assists the industrious farmers. Now, with the passage of the bills, our farmers will have easier access to futuristic technology that will boost production and yield better results. This is a welcome step.
— Narendra Modi (@narendramodi) September 20, 2020
इसके अलावा उन्होंने ये भी कहा कि कृषि क्षेत्र को आधुनिकतम तकनीक की तत्काल जरूरत है, क्योंकि इससे मेहनतकश किसानों को मदद मिलेगी। अब इन बिलों के पास होने से हमारे किसानों की पहुँच भविष्य की टेक्नोलॉजी तक आसान होगी। इससे न केवल उपज बढ़ेगी, बल्कि बेहतर परिणाम सामने आएँगे। यह एक स्वागत योग्य कदम है।
इन बिलों को राज्यसभा में पेश करते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि ये दोनों बिल ऐतिहासिक हैं और किसानों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाले हैं। इस बिल के माध्यम से किसान अपनी फसल किसी भी जगह पर मनचाही कीमत पर बेचने के लिए आजाद होगा। इन विधेयकों से किसानों को महँगी फसलें उगाने का अवसर मिलेगा।” वहीं सदन में चर्चा के दौरान कॉन्ग्रेस ने विधेयक को किसानों के डेथ वारंट पर हस्ताक्षर करने जैसा बताया।
Self proclaimed flag bearer of democracy attempting to tear Rule book in Rajya Sabha.
— Chota Don (@choga_don) September 20, 2020
Shameful @derekobrienmp ! pic.twitter.com/jBMsyEW5LE
बता दें कि ध्वनिमत से पारित होने से पहले इन विधेयकों पर सदन में खूब हंगामा हुआ। नारेबाजी करते हुए सांसद वेल तक पहुँच गए। कोविड-19 के खतरे को भुलाते हुए धक्का-मुक्की भी हुई। विपक्ष ने इसे ‘काला दिन’ बताया है। तृणमूल कॉन्ग्रेस के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि यह ‘लोकतंत्र की हत्या’ है। डेरेक ओ ब्रायन ने उप सभापति के सामने रूल बुक फाड़ने की कोशिश की। इस दौरान डेरेक ओ ब्रायन उप सभापति हरिवंश के बिल्कुल ही करीब पहुँच गए। वहाँ खड़े मार्शल ने बड़ी ही मुश्किल से उन्हें हटाया।
जब उप सभापति हरिवंश ने विधेयकों पर ध्वनिमत से वोटिंग के लिए कहा तो विपक्षी सांसद हंगामा करने लगे। वे इन विधेयकों को प्रवर समिति (सिलेक्ट कमिटी) में भेजे जाने के प्रस्ताव पर मत विभाजन की माँग कर रहे थे।
तृणमूल कॉन्ग्रेस और अन्य विपक्षी सदस्य आसन के बिल्कुल पास पहुँच गए। हंगामा इतना ज्यादा हुआ कि मार्शल को हस्तक्षेप करना पड़ा। विपक्षी सदस्यों ने विधेयक के टुकड़े हवा में उछाल दिए। यहाँ तक कि उप सभापति के सामने लगा माइक भी तोड़ दिया गया। कुछ देर के लिए सदन की कार्यवाही को रोकना पड़ा। दोबारा कार्यवाही शुरू होने पर भी हंगामा जारी रहा।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने विधेयकों के राज्यसभा में पास होने के मौके पर कहा, “70 साल से जिस तरीके से किसानों के साथ अन्याय हो रहा था, शोषण हो रहा था, उनको आजादी दिलाने का काम सरकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में किया है।” नड्डा ने आगे कहा, “विपक्षी पार्टियाँ किसान विरोधी हैं और इस प्रक्रिया का हिस्सा बनने के बजाय वह किसानों की इस आजादी को रोकने का प्रयास कर रही हैं। भाजपा उनके कदम की आलचोना करती है।”