पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव बेहद नज़दीक हैं। ऐसे में प्रदेश के भीतर सियासी खींचतान का दौर चरम पर है। सबसे ताज़ा झटका मिला है ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी को। दरअसल आज गुरुवार (25 फरवरी 2021) को प्रदेश की राजधानी कोलकाता में उनकी रैली का आयोजन होना था लेकिन पुलिस ने अनुमति नहीं दी। नतीजतन असदुद्दीन ओवैसी की रैली रद्द हो गई।
हैदराबाद सांसद और एआईएमआईएम के मुखिया ओवैसी चुनावी अभियान की शुरुआत करने के लिए मुस्लिम बाहुल्य मटियाब्रुज में रैली करने वाले थे। यह क्षेत्र तृणमूल सांसद और ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी के संसदीय क्षेत्र में आता है। हालाँकि पुलिस ने इस पहलू पर कोई टिप्पणी नहीं की है, टीएमसी नेताओं ने भी अनुमति नहीं मिलने में अपनी भूमिका होने की बात से इनकार किया है।
वहीं एआईएमआईएम के प्रदेश सचिव जमीर उल हसन ने तृणमूल कॉन्ग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा, “पुलिस ने हमें कोलकाता में रैली की इजाज़त नहीं दी है। हमने रैली की अनुमति के लिए लगभग 10 दिन पहले आवेदन दिया था लेकिन रैली से ठीक एक दिन पहले हमें सूचित किया गया कि हम रैली नहीं कर सकते हैं। टीएमसी शुरू से ही ऐसे हथकंडे अपना रही है लेकिन हम इनके आगे झुकने वाले नहीं हैं। अब हम इस मुद्दे पर चर्चा करेंगे और कार्यक्रम की नई तारीख बताएंगे।”
फ़िलहाल इस मुद्दे पर कोलकाता पुलिस की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। वहीं तृणमूल सांसद सौगात राय ने इस तरह के तमाम आरोपों को सिरे से खारिज किया है। उनका कहना है, “एआईएमआईएम की रैली को अनुमति नहीं मिलने पर हमारी कोई भूमिका नहीं है। वह बंगाल में सिर्फ भाजपा की परोक्ष प्रतिनिधि के अलावा कुछ अलग नहीं कर रही है। यहाँ के ज़्यादातर मुसलमान बंगाली भाषी हैं वो एआईएमआईएम का समर्थन करेंगे। वह किसी भी सूरत में ममता बनर्जी के साथ ही रहने वाले हैं।
एआईएमआईएम पश्चिम बंगाल चुनावों को लेकर सियासी समीकरण सहेजने में जुटी हुई है। पार्टी के मुखिया की निगाह ऐसी तमाम सीटों पर हैं जो मुस्लिम बाहुल्य हैं। ऐसे क्षेत्रों में मालदा, दक्षिण 24 परगना, दिनाजपुर और मुर्शिदाबाद शामिल हैं। बिहार विधानसभा चुनावों में उल्लेखनीय प्रदर्शन के बाद ही एआईएमआईएम के मुखिया ओवैसी ने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया था। ओवैसी ने बिहार में जीत हासिल करने वाले 5 विधायकों को पश्चिम बंगाल में बतौर आब्जर्वर नियुक्त किया है। इसके अलावा तेलंगाना के दो विधायक भी चुनावी अभियान में जुटे हुए हैं।