Tuesday, November 5, 2024
Homeराजनीति'पूरा भारत मेरे बाप की मिल्कियत, अब्बा की जमीन है, अब ये लड़ाई हिस्सेदारी...

‘पूरा भारत मेरे बाप की मिल्कियत, अब्बा की जमीन है, अब ये लड़ाई हिस्सेदारी की लड़ाई है’: असदुद्दीन ओवैसी

“असदुद्दीन ओवैसी बिहार का तो नहीं है, मगर ये पूरा भारत असदुद्ददीन ओवैसी के बाप की मिल्कियत है। कैसे है? हमारे अब्बा, आपके अब्बा, उनके अब्बा, उनके अब्बा के अब्बा जब दुनिया में कदम रखे, तो भारत में रखे थे कदम। तो ये हमारे अब्बा की जमीन हुई और किसी माई के लाल में ताकत नहीं है कि....."

बिहार में विधानसभा चुनाव के तीसरे और अंतिम चरण में प्रवेश करते ही, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने एक चुनावी रैली में विवादित टिप्पणी की। विवादास्पद राजनेता ने भारत पर अपने पूर्वजों का मालिकाना हक बताया।

ओवैसी ने कहा, “असदुद्दीन ओवैसी बिहार का तो नहीं है, मगर ये पूरा भारत असदुद्ददीन ओवैसी के बाप की मिल्कियत है। कैसे है? हमारे अब्बा, आपके अब्बा, उनके अब्बा, उनके अब्बा के अब्बा जब दुनिया में कदम रखे, तो भारत में रखे थे कदम। तो ये हमारे अब्बा की जमीन हुई और किसी माई के लाल में ताकत नहीं है कि हमको हमारी अब्बा की जमीन पर घुसपैठी करार दे। ये अब्बा की जमीन है और अब्बा की जायदाद में बेटी और बेटे का हिस्सा मिलेगा। अब ये लड़ाई हिस्सेदारी की लड़ाई है।”

बिहार चुनाव के अंतिम चरण की पूर्व संध्या पर ओवैसी की विवादास्पद टिप्पणी आई। AIMIM प्रमुख बिहार में एक रैली को संबोधित कर रहे थे, जब उन्होंने यह विवादित टिप्पणी की। ओवैसी की इस विवादास्पद टिप्पणी की हर तरफ आलोचना हो रही है।

ओवैसी के AIMIM का इतिहास और हिंदुओं पर अत्याचार

चूँकि, ओवैसी ने जोर देकर कहा कि उनके पूर्वज भारत के हैं, इसलिए भारतीयों के प्रति उनके पूर्वाग्रहों और उनके कार्यों को जानने की जरूरत है। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन रजाकारों की विरासत है। एक जिहादी आतंकी समूह, जिसने निजाम के राज्य में हिंदुओं के खिलाफ अनगिनत अत्याचार किए। जिसे भारत के लौह पुरुष सरदार पटेल द्वारा कुचल दिया गया था। वर्ष 1927 में स्थापित मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन निज़ाम समर्थक पार्टी थी। जो कि निज़ाम के हैदराबाद को पूरी तरह से भारतीय संघ में विलय नहीं करना चाहती थी।

अपने उद्देश्य की प्राप्ति के लिए एमआईएम के कासिम रिज़वी ने नेतृत्व वाले रजाकारों को बुलवाया। दरअसल, रजाकार मूल रूप से जिहादी भीड़ थी, जिसे एमआईएम ने सड़कों पर होने वाली हिंसा को रोकने के लिए इस्तेमाल किया। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्र रहे रिजवी को वर्ष 1946 में एमआईएम का अध्यक्ष चुना गया था, जिसने रजाकारों का नेतृत्व किया था। तब उसने इस क्षेत्र में हिंदुओं के खिलाफ सबसे जघन्य अपराध किए थे। यहाँ तक कि रजाकारों ने महिलाओं और बच्चों के साथ छेड़छाड़ और बलात्कार किए, हिंदुओं का उत्पीड़न किया और हिंदुओं की हत्याएँ कीं। लेकिन जल्द ही सरदार पटेल ने सामने आकर इस पागलपन का अंत कर दिया। 

उन्होंने निज़ाम को घुटने के बल लाया और उसे भारतीय संघ में प्रवेश करने के लिए मजबूर कर दिया। ऑपरेशन पोलो भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया था, जिससे रजाकार भारतीय सेना से दंग थे। यही कारण था कि उन्होंने विनम्रतापूर्वक आत्मसमर्पण कर दिया। जिसके बाद निजाम के मंत्री लईक अली और कासिम रिज़वी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। जिसके चलते रिजवी ने आखिरकार नौ साल की जेल की सजा काटी और फिर उसे इस शर्त पर रिहा किया गया कि वह पाकिस्तान के लिए रवाना हो जाएगा। जिसे उसने पूरा किया।

बिहार चुनाव के लिए AIMIM मैदान में

इस चुनाव में एआईएमआईएम ने उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी, बसपा एवं कुछ अन्य दलों के साथ मिलकर ‘ग्रैंड डेमोक्रेटिक सेक्युलर अलांयस’ (जीडीएसएफ) का गठन किया है। कुशवाहा इस गठबंधन की तरफ से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार हैं।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

जिस ईमान खलीफ का मुक्का खाकर रोने लगी थी महिला बॉक्सर, वह मेडिकल जाँच में निकली ‘मर्द’: मानने को तैयार नहीं थी ओलंपिक कमेटी,...

पेरिस ओलंपिक में महिला मुक्केबाजी में ईमान ने गोल्ड जीता था। लोगों ने तब भी उनके जेंडर पर सवाल उठाया था और अब तो मेडिकल रिपोर्ट ही लीक होने की बात सामने आ रही है।

दिल्ली के सिंहासन पर बैठे अंतिम हिंदू सम्राट, जिन्होंने गोहत्या पर लगा दिया था प्रतिबंध: सरकारी कागजों में जहाँ उनका समाधि-स्थल, वहाँ दरगाह का...

एक सामान्य परिवार में जन्मे हेमू उर्फ हेमचंद्र ने हुमायूँ को हराकर दिल्ली के सिंहासन पर कब्जा कर लिया। हालाँकि, वह 29 दिन ही शासन कर सके।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -