Friday, November 15, 2024
Homeराजनीतिकॉन्ग्रेस नेता अपराधियों से भी बदतर: झारखंड प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार का इस्तीफा

कॉन्ग्रेस नेता अपराधियों से भी बदतर: झारखंड प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार का इस्तीफा

"मैं पुलिस वीरता पुरस्कार के सबसे कम उम्र के विजेताओं में से एक हूँ। जमशेदपुर में माफिया का सफाया किया। मैं आत्मविश्वास से कह सकता हूँ सबसे खराब से खराब अपराधी भी मेरे इन सहयोगियों से बेहतर दिखते हैं।"

झारखंड के प्रदेश कॉन्ग्रेस अध्यक्ष डॉ. अजय कुमार ने शुक्रवार (अगस्त 9, 2019) को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। सोनिया और राहुल गॉंधी सहित 10 कॉन्ग्रेस नेताओं को भेजे अपने इस्तीफे में उन्होंने पार्टी के अपने सहयोगियों को अपराधियों से भी बदतर बताया है।

कुमार ने कहा है कि उन्होंने कॉन्ग्रेस पार्टी को आगे ले जाने के लिए काफी ईमानदारी से कोशिश की। झारखंड में पार्टी की कमान संभालने की बाद वे पार्टी को एकीकृत और जिम्मेदार तरीके से आगे ले जाना चाहते थे, लेकिन चंद लोगों के निहित स्वार्थों के कारण ऐसा नहीं कर सके।

राजनीति में आने से पहले बतौर आईपीएस अधिकारी के अपने अनुभवों का जिक्र करते हुए इस्तीफे में उन्होंने कहा है, “मैं पुलिस वीरता पुरस्कार के सबसे कम उम्र के विजेताओं में से एक हूँ। जमशेदपुर में माफिया का सफाया किया। मैं आत्मविश्वास से कह सकता हूँ सबसे खराब से खराब अपराधी भी मेरे इन सहयोगियों से बेहतर दिखते हैं।”

डॉ. अजय ने अपने पत्र में आरोप लगाया है कि प्रदेश के अधिकांश नेता पार्टी के प्रति वफादार नहीं हैं। उन्होंने कहा है कि पार्टी के कुछ नेता जैसे सुबोध कांत सहाय, रामेश्वर उरांव, प्रदीप बलमुचू, चंद्रशेखर दुबे, फुरकान अंसारी और कई अन्य वरिष्ठ नेता केवल राजनीतिक पदों को हथियाने में लगे हैं। व्यक्तिगत लाभ के लिए पार्टी हित को ताक पर रखने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं। इनका सहयाेग न मिलने के बावजूद 2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने पिछले चुनाव की अपेक्षा 12 फ़ीसदी ज्यादा वोट हासिल किया था।

इस्तीफे में उन्होंने पार्टी कार्यालय में खुद पर हमला करवाने और गुंडों को रखने का आरोप भी प्रदेश के नेताओं पर लगाया है। उन्होंने कहा है कि सुबोधकांत सहाय जैसे तथाकथित कद्दावर नेता का प्रदेश पार्टी मुख्यालय में किन्नरों को उत्पात मचाने के लिए प्रोत्साहित करना बेहद स्तरहीन और घटिया हरकत थी। उन्होंने कहा कि तथाकथित वरिष्ठ नेता इन कामों के लिए तो पैसे खर्च करते हैं, लेकिन उनमें से एक भी 5,000 रुपए प्रति माह पार्टी हित में योगदान करने के लिए तैयार नहीं हैं।

साथ ही उन्होंने कहा है कि झारखंड के सभी वरिष्ठ नेता केवल अपने परिवारों के लिए लड़ते हैं। एक नेता अपने लिए बोकारो और बेटे के लिए पलामू से सीट चाहते हैं। एक नेता को भाई के लिए हटिया सीट चाहिए। दूसरा नेता घाटशिला से बेटी के लिए और खूंटी से खुद के लिए सीट चाहता है। एक अन्य नेता जामताड़ा से बेटे के लिए और मधुपुर से बेटी के लिए सीट चाहते हैं। एक नेता अब तक लड़े तमाम चुनाव हार कर भी गुमला से टिकट चाहते हैं। ये नेता आलाकमान की सहमति से बने गठबंधन का तभी तक समर्थन करते हैं जब तक उनकी अपनी सीट सुरक्षित रहती है।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

अंग्रेज अफसर ने इंस्पेक्टर सदरुद्दीन को दी चिट… 500 जनजातीय लोगों पर बरसने लगी गोलियाँ: जब जंगल बचाने को बलिदान हो गईं टुरिया की...

अंग्रेज अफसर ने इंस्पेक्टर सदरुद्दीन को चिट दी जिसमें लिखा था- टीच देम लेसन। इसके बाद जंगल बचाने को जुटे 500 जनजातीय लोगों पर फायरिंग शुरू हो गई।

कश्मीर को बनाया विवाद का मुद्दा, पाकिस्तान से PoK भी नहीं लेना चाहते थे नेहरू: अमेरिकी दस्तावेजों से खुलासा, अब 370 की वापसी चाहता...

प्रधानमंत्री नेहरू पाकिस्तान के साथ सीमा विवाद सुलझाने के लिए पाक अधिकृत कश्मीर सौंपने को तैयार थे, यह खुलासा अमेरिकी दस्तावेज से हुआ है।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -